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नन-वेज तरीके से मसालेदार बनाकर यह क्या बोल गए नीतीश कुमार !!

पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की रिपोर्ट)| मंगलवार 7 नवम्बर को विधान परिषद (Bihar Legislative Assembly) में नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने इतनी बडी़ लकीर खींच दी, जिसे कोई भी छोटा नहीं कर पायेगा. विधानसभा में जातीय जनगणना रिपोर्ट (caste census report) पेश होने के बाद वह विधान परिषद में बोल रहे थे.

पत्रकार दीर्घा की ओर देखते हुए पत्रकारों से उन्होंने उनकी बात ठीक से समझ लेने की ताकीद भी की. उनकी बातें किसी सेक्स एडुकेशनिस्ट जैसी नहीं थी, वह जनसंख्या नियंत्रण के लिए उत्तेजनापूर्ण निरोधात्मक उपाय का जिक्र कर रहे थे. सदन में मौजूद महिला सदस्यों के चेहरे शर्म से झुके हुए थे और सीएम यह समझा रहे थे कि लड़कियों के शिक्षित होने का मतलब क्या होता है !

नन-वेज तरीके से मसालेदार बनाकर किया पेश

नीतीश कुमार की सुविधा यह है कि सदन में दिए गए वक्तव्य को कानूनी दायरे में घसीटा नहीं जा सकता. उनका वक्तव्य परिषद के रिकार्ड में भले दर्ज हो गया हो क्योंकि सभापति ने हस्तक्षेप नहीं किया और पत्रकारों की जमात भी इसकी गवाह बनी, लेकिन ईबीसी मिलाकर जातीय जनगणना के आधार पर कुल 75% आरक्षण का आश्वासन ही लक्ष्य था जिसको नन-वेज तरीके से मसालेदार बनाकर उन्होंने पेश किया.

शर्मनाक भाषा से दिया उदाहरण

नीतीश कुमार का वक्तव्य जितना भी शर्मनाक हो, अचम्भित करने वाली बात यह है कि जातीय जनगणना रिपोर्ट के आधार पर दिए जा सकने वाले आरक्षण के नाम पर पत्नी द्वारा गर्भधारण को रोकने की पति को बताने वाली प्रक्रिया का जिक्र किस तरह से उचित है ? सवाल 75% या 80% आरक्षण देने का जितना है उससे कहीं ज्यादा भाषा का है जो समाज की दिशा और दशा तय करता है.

यह सवाल भी है कि समाजवादियों की असलियत क्या यही है ? लेकिन जिस तरह से जदयू उनको पीएम मेटेरियल बताता है, ऐसे व्यक्ति के हाथ में यदि देश की बागडोर आ गई तब उस जिम्मेदारी को निभाने की पात्रता पर कैसी चर्चा होगी ?

नीतीश कुमार की ऐसी भाषा साफ संकेत देती है कि इस जातीय जनगणना रिपोर्ट का राजनीतिक इस्तेमाल वह कैसे करना चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण की तय सीमा से आगे बढ़ने पर इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में डालना होगा जिसके लिए केन्द्र सरकार की मंजूरी की जरूरत पडे़गी. यह सब आनन-फानन में हो जायेगा, ऐसा भी नहीं है.