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नहाय-खाय के साथ शुरू हुई चैती छठ पूजा

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| शुक्रवार 12 अप्रैल से नहाय खाय के साथ ही चैती छठ पूजा की शुरुआत हो गई है. चार दिन चलने वाला यह महापर्व 15 अप्रैल को सुबह का अर्घ्य देने के बाद पारण के साथ समाप्त हो जाएगा.

चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार पर लोग छठी मैय्या का व्रत रखकर अपने परिवार की सुख शांति की कामना करेंगे. शुक्रवार को शुरू होने वाले इस पर्व पर व्रत से पूर्व स्नान करने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण किया गया.

छठ पर्व नहाय खाय से शुरू होता है. इस दिन गंगाजल का इस्तेमाल कर प्रसाद बनाया जाता है. इसमें लोग लौकी की सब्जी, चने की दाल और सेंधा नमक का उपयोग करते हैं.

इस महापर्व में व्रतधारी 36 घंटे का कठोर व्रत रखती हैं. इसमें महिलाओं द्वारा अपने संतान की लंबी आयु की कामना की जाती है. व्रतधारी भगवान सूर्य को 14 को सांध्य अर्घ्य और 15 अप्रैल को सुबह का अर्घ्य देंगे.

खरना का दिन

चैती छठ के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. इस साल चैती छठ का खरना 13 अप्रैल को किया जाएगा. इस दिन महिलाएं शाम के समय में स्नान करके गुड़ का खीर बनाती हैं और सूर्य देवतो को भोग लगाती हैं. उसके बाद उसी प्रसाद को वो स्वयं ग्रहण करती हैं.

संध्या अर्घ्य

इस साल चैती छठ का संध्या अर्घ्य रविवार 14 अप्रैल को दिया जाएगा. इस दिन शाम के समय व्रती महिलाएं जल में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इसके बाद छठी मैया की पूजा की जाती है.

सुबह अर्घ्य

चैती छठ का सुबह वाला अर्घ्य सोमवार 15 अप्रैल को किया जाएगा. इस दिन व्रत ब्रह्म मुहूर्त में ही पानी में चली जाती हैं और जब सूर्य देवता उगते हैं तो उनको अर्घ्य चढ़ाती हैं. इसी के साथ इस व्रत का समापन होता है और पारण किया जाता है.

धार्मिक मान्यता के अनुसार छठी माता को सूर्य देवता की बहन माना जाता है. छठ पर्व में सूर्य भगवान की उपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं और घर-परिवार में सुख-शांति और संपन्नता प्रदान करतीं हैं. मान्यताओं के अनुसार छठी मईया संतान की रक्षा करती हैं. सूर्य भगवान की उपासना से आरोग्यता प्राप्त होती है. ऐसा माना जाता है कि छठ का व्रत रखने से संतान की लंबी आयु होती है और घर परिवार में सुख, समृद्धि बनी रहती है. छठ को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना गया है.