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बाढ़ अनुमंडल को मिली स्वास्थ्य और विकास की बड़ी सौगात

बाढ़ (TBN – अखिलेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट)| बुधवार का दिन बाढ़ अनुमंडल के लिए ऐतिहासिक रहा, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ थाना क्षेत्र में 24 करोड़ 70 लाख रुपये की लागत से निर्मित 100 बेड के अनुमंडलीय अस्पताल का उद्घाटन किया.

6.5 एकड़ में फैले इस अस्पताल को केवल 18 महीनों में तैयार किया गया है, जो आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से लैस है. इस अस्पताल के शुरू होने से अब स्थानीय मरीजों को इलाज के लिए पटना की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी.

मुख्यमंत्री ने बाढ़ के साथ-साथ अथमलगोला के करजान में प्रखंड सह अंचल कार्यालय के नए भवन का भी उद्घाटन किया. इस भवन का निर्माण क्षेत्र में प्रशासनिक सेवाओं को और सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इन परियोजनाओं के उद्घाटन ने स्थानीय लोगों में उत्साह और विकास के प्रति विश्वास जगाया है.

स्थानीय लोगों में खुशी की लहर, पटना की निर्भरता होगी कम

नए अनुमंडलीय अस्पताल में मरीजों के लिए हर आधुनिक सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे बाढ़ और आसपास के क्षेत्रों के लोगों को अब बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं अपने नजदीक मिलेंगी. इस अस्पताल के शुरू होने से न केवल समय और धन की बचत होगी, बल्कि आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं में भी सुधार होगा. स्थानीय निवासियों ने इस पहल के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया और इसे क्षेत्र के लिए एक क्रांतिकारी कदम बताया.

पत्रकारों को प्रवेश से रोके जाने पर भारी रोष

हालांकि, इस भव्य आयोजन की चमक उस समय फीकी पड़ गई जब पटना जिला प्रशासन के एडीएम सप्लाई ने स्थानीय पत्रकारों को अस्पताल भवन में प्रवेश करने से रोक दिया. पत्रकारों को उद्घाटन स्थल पर जाने की अनुमति नहीं दी गई, जिसके चलते उनमें जबरदस्त नाराजगी देखी गई. बारिश की हल्की बूंदाबांदी के बीच पत्रकारों को खुले आसमान के नीचे इंतजार करने को मजबूर किया गया. पत्रकारों ने इस व्यवहार के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज किया, लेकिन प्रशासन ने उनकी मांगों को अनसुना कर दिया.

बीजेपी-जदयू कार्यकर्ताओं को भी नहीं मिली एंट्री

आश्चर्यजनक रूप से, यह व्यवहार केवल पत्रकारों तक सीमित नहीं रहा. सत्तारूढ़ गठबंधन के बीजेपी और जदयू के कार्यकर्ताओं को भी उद्घाटन स्थल पर प्रवेश से वंचित कर दिया गया. उन्हें भी बारिश के बीच खुले में बैठने को मजबूर होना पड़ा. प्रशासन के इस रवैये से कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष फैल गया. कई कार्यकर्ताओं ने इसे अपमानजनक बताते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की. इस घटना ने आयोजन की गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए हैं.