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मुरली मनोहर श्रीवास्तव ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड-2022’ से सम्मानित

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| लेखक व वरिष्ठ पत्रकार मुरली मनोहर श्रीवास्तव (Senior Journalist Murli Manohar Srivastava) को ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड-2022’ (India Book of Records-2022) से नवाजा गया है. उन्हें यह सम्मान शहनाई नवाज भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां (Bharat Ratna Ustad Bismillah Khan) पर ‘शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां’ पर लंबे समय तक कार्य करने और शोधपरक हिंदी पुस्तक लिखने के लिए दिया गया है.

अपनी लेखनी को लेकर हर बार चर्चा में रहने वाले लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव इस बार इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड-2022 को लेकर चर्चा में हैं. दरअसल मुरली की यह पुस्तक वर्ष 2008 में प्रभात प्रकाशन दिल्ली (Prabhat Publications, Delhi) से प्रकाशित हुई थी. इस पुस्तक के चार संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं साथ ही पिछले 10 सालों से बेस्ट सेलर बॉयोग्राफी में भी यह पुस्तक शामिल है.

बता दें, इस पुस्तक की रचना मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने प्रकाशित होने से 10 वर्ष पहले ही कर दिया था. इस पुस्तक को मुरली ने उस्ताद के जीवनकाल में ही लिख दिया था, मगर अफसोस की उनके जीवनकाल में यह पुस्तक प्रकाशित नहीं हो सकी. हालांकि उस्ताद की दिली ख्वाहिश थी कि उनकी बायोग्राफी हिंदी में प्रकाशित हो, इसलिए मुरली ने बिस्मिल्लाह खां साहब के सानिध्य में रहकर इस पुस्तक की रचना की थी.

मुरली इस पुस्तक को प्रकाशित करवाने के लिए दिल्ली की गलियों में दौड़ते रहे मगर किसी ने मदद नहीं किया. आखिरकार 2008 में मुरली की यह पुस्तक प्रकाशित हुई जिसका लोकार्पण 15 नवंबर 2009 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया.

मुरली मनोहर श्रीवास्तव का जीवन परिचय

बिहार के बक्सर जिले के डुमरांव (Dumraon of Buxar district) के एक साधारण परिवार में जन्में मुरली मनोहर श्रीवास्तव का जन्म हुआ था. विज्ञान के विद्यार्थी और साहित्य से अनुराग रखने वाले मुरली ने जीवन में काफी संघर्ष किया. अपने गांव से पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले मुरली ने लाख मुश्किलों के बाद भी कभी मेहनत और लेखनी से मुंह नहीं मोड़ा.

अपनी लेखनी का श्रेय वह अपने पिता डॉ.शशि भूषण श्रीवास्तव को देते हैं. कहते हैं कि इन्होंने अपने पिता को अपने बाल्यकाल में ही फिल्म बनाते हुए और कहानियों की रचना करते देखा था, वहीं से इनको प्रेरणा मिली, पिताजी ने काफी प्रोत्साहित किया और मुरली मनोहर श्रीवास्तव एक बेहतर लेखक बन गए.

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इनके पिताजी बिस्मिल्लाह खां साहब को जिले की पहली फिल्म ‘बाजे शहनाई हमार अंगना’ (भोजपुरी) के लिए उस्ताद की जन्मस्थली फिल्म के मुहुर्त के सिलसिले में डुमरांव लेकर आए थे. उस वक्त भले ही इनकी बायोग्राफी लिखने की सोच नहीं रही हो, मगर आगे चलकर उस्ताद के ऊपर शोधपरक पुस्तक लिखने का ही नतीजा है कि मुरली मनोहर श्रीवास्तव को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड से सम्मानित किया गया है.

कभी हंसी का पात्र, आज रिकॉर्ड बनाया

गंगा-जमनी तहजीब को भारतीय संस्कृति की विरासत मानने वाले भारत रत्न शहनाई नवाज उस्ताद बिस्मिल्लाह खां पर पुस्तक लिखने के समय भले ही मुरली हंसी के पात्र बने हों, मगर आज उन पर किए गए कार्य की वजह से ही उन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड तक पहुंचाया है. उस्ताद पर यह पुस्तक दुनिया की इकलौती हिंदी पुस्तक है जिसे बिस्मिल्लाह खां साहब की चाहत पर लिखी गई थी.

इस पुस्तक में लोकवाद्य से शास्त्रीय वाद्य बनाने का श्रेय उस्ताद को जाता है, जिसे इस पुस्तक में कलमबद्ध किया गया है. साथ ही उस्ताद के नाम को कई जगहों पर गलत पढ़ाया जाना, उनकी कई बातें जो आमजन के लिए जानना जरुरी हो जाता है जिसे कहीं किसी ने नहीं लिखा है उसको इन्होंने अपनी पुस्तक में लिखकर पुस्तक को सारगर्भित बनाया है.

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मुरली मनोहर श्रीवास्तव और बिस्मिल्लाह खां साहब दोनों एक ही गांव और एक ही मुहल्ले के रहने वाले हैं. साथ ही उस्ताद की बायोग्राफी मुरली ने उनके साथ समय व्यतीत करके ही लिखा है, इसलिए इसे मानक के साथ दुनिया की पहली हिंदी और सारगर्भित पुस्तक मानी जाती है.

मुरली रखते हैं रोजा

मुरली ने बिस्मिल्लाह खां पर पुस्तक के अलावे दो डॉक्यूमेंट्री बनायी भी बनाई है – पहला “सफर-ए-बिस्मिल्लाह” और दूसरी दूरदर्शन के लिए. इसके अलावे उस्ताद पर रिर्सच बेस्ट काम करने की वजह से पूरी दुनिया में बिस्मिल्लाह खां के साथ मुरली का नाम जोड़ा जाता है. उस्ताद के सानिध्य में आकर मुरली मनोहर श्रीवास्तव नवरात्रि, छठ के अलावे पिछले 24 सालों से रोजा रखते भी आ रहे हैं. इसके अलावे में मुरली मनोहर श्रीवास्तव का डॉक्टरेट की मानद उपाधि के लिए यूनाइटेड किंग्डम में नामित किया गया है.