ओवैसी का बड़ा ऐलान: AIMIM बिहार चुनाव में ‘INDIA गठबंधन’ से अलग
. “एकतरफा मोहब्बत अब नहीं चलेगी” – ओवैसी का RJD पर निशाना
. सीमांचल पर फोकस, तीसरे मोर्चे की संभावना तलाशेगी AIMIM
. चुनाव आयोग पर सवाल, NRC को लेकर ओवैसी ने जताई चिंता
हैदराबाद / पटना (The Bihar Now डेस्क)| ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार की सियासत में एक बार फिर से हलचल मचा दी है. सोमवार को उन्होंने साफ कर दिया कि उनकी पार्टी आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में विपक्षी ‘INDIA गठबंधन’ का हिस्सा नहीं बनेगी.
अपनी बेबाक शैली के लिए मशहूर ओवैसी ने कहा, “एकतरफा मोहब्बत अब और नहीं चलेगी.” उनका यह बयान राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन पर तीखा कटाक्ष माना जा रहा है.
RJD के ठंडे रवैये से नाराज AIMIM
ओवैसी ने खुलासा किया कि AIMIM ने RJD के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल होने के लिए कई बार प्रस्ताव भेजा, लेकिन उन्हें बार-बार ठंडा रुख झेलना पड़ा. इस निराशा के बाद अब उनकी पार्टी ने तीसरे मोर्चे के गठन की दिशा में कदम बढ़ाने का फैसला किया है.
ओवैसी ने न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा, “बिहार के लोगों को यह समझना होगा कि हमारे खिलाफ लगाए गए सारे आरोप झूठे और बेबुनियाद थे. कुछ लोग नहीं चाहते कि गरीब, दबे-कुचले और वंचित वर्ग का कोई नेता उभरे. वे सिर्फ वही चाहते हैं जो उनके पीछे सिर झुकाकर चले.”
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AIMIM ने यह भी स्पष्ट किया कि वह बिहार के सीमांचल क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ का इस्तेमाल करेगी और उसी क्षेत्र पर फोकस करते हुए चुनावी मैदान में उतरेगी. पार्टी के बिहार अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने तीसरे मोर्चे के विचार को आगे बढ़ाया है, जिसे ओवैसी ने पूर्ण समर्थन देने का ऐलान किया है.
चुनाव आयोग पर भी साधा निशाना
ओवैसी ने अपनी प्रेस वार्ता में न केवल राजनीतिक दलों, बल्कि चुनाव आयोग पर भी गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने पूछा, “चुनाव आयोग को यह अधिकार किसने दिया कि वह किसी की नागरिकता तय करे? यह एक संवैधानिक संस्था है, लेकिन आधिकारिक बयान देने की बजाय ‘सूत्रों’ के हवाले से खबरें क्यों सामने आ रही हैं?” ओवैसी ने विशेष गहन संशोधन (SIR) को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को ‘पिछले दरवाजे’ से लागू करने की साजिश करार दिया. उन्होंने इसे लोकतंत्र और संविधान के लिए खतरा बताया.
बिहार चुनाव का गणित
बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर या नवंबर 2025 में होने की संभावना है, हालांकि अभी तक चुनाव आयोग ने आधिकारिक तारीखों की घोषणा नहीं की है. बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से सत्तारूढ़ एनडीए के पास 131 विधायक हैं, जिनमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 80, जनता दल यूनाइटेड (JDU) के 45, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM-S) के 4 और 2 निर्दलीय विधायक शामिल हैं. दूसरी ओर, विपक्षी ‘INDIA गठबंधन’ के पास 111 विधायक हैं, जिनमें RJD के 77, कांग्रेस के 19 और वाम दलों के 15 विधायक शामिल हैं.
AIMIM का यह फैसला बिहार की सियासत में नया मोड़ ला सकता है, खासकर सीमांचल जैसे क्षेत्रों में, जहां पार्टी का पहले से ही मजबूत जनाधार है. क्या तीसरा मोर्चा बिहार की सियासत को नई दिशा दे पाएगा? यह सवाल अब हर किसी के जेहन में है.