रेप केस में शाहनवाज हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से राहत
नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें भाजपा विधायक सैयद शाहनवाज हुसैन के खिलाफ बलात्कार की शिकायत पर प्राथमिकी (Supreme Court stayed a Delhi High Court order to register FIR Shahnawaz Hussain in rape complaint) दर्ज करने का आदेश दिया गया था.
न्यायमूर्ति यूयू ललित (Justice UU Lalit), न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट (Justice S Ravindra Bhat) और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu Dhulia) की पीठ ने भी निचली अदालत के समक्ष सभी लंबित कार्यवाही पर रोक लगा दी और तर्क दिया कि मामले पर विचार किया जाना चाहिए.
शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, के प्रभाव और संचालन पर आगे की कार्यवाही पर रोक रहेगा.
दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) की एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति आशा मेनन (Justice Asha Menon, Delhi High Court ) द्वारा पारित एक आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता शाहनवाज हुसैन की तरफ से कहा गया कि पुलिस के पास हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करने के लिए बहुत कुछ है.
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील में, हुसैन ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश से उनके बेदाग करियर और प्रतिष्ठा को “अपूरणीय क्षति” होगी. आगे यह तर्क दिया गया कि हुसैन के खिलाफ रेप की शिकायत “झूठी, तुच्छ और दुर्भावनापूर्ण” थी और किसी प्रतिशोध को खत्म करने के इरादे से बनाई गई थी.
यह भी दलील दिया गया कि शिकायतकर्ता ने पहले भी फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भाजपा नेता को बदनाम किया था. भाजपा नेता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा (Senior Advocate Siddharth Luthra) और मुकुल रोहतगी (Senior Advocate Mukul Rohatgi) पेश हुए जबकि याचिका अधिवक्ता मोहित पॉल (Advocate Mohit Paul) के माध्यम से दायर की गई थी.
क्या है मामला
बता दें, साल 2018 में दिल्ली की रहने वाली एक महिला ने केंद्र और बिहार सरकार में मंत्री शाहनवाज हुसैन पर आरोप लगाया था कि उसके साथ उन्होंने छतरपुर (Chattarpur) फॉर्महाउस में नशीला पदार्थ खाने और उसके साथ बलात्कार रेप किया. साथ ही उसने हुसैन पर कथित तौर पर उसे जान से मारने की धमकी की बात भी कही थी.
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अपने आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करते हुए उस महिला ने महानगर मजिस्ट्रेट (Metropolitan Magistrate), साकेत कोर्ट का रुख किया था. मामले पर पुलिस ने अदालत में कहा था कि शाहनवाज के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता.
लेकिन 7 जुलाई 2018 को महानगर मजिस्ट्रेट ने पुलिस के तर्क को खारिज करते हुए पुलिस को भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था. अदालत ने कहा था कि महिला ने जो शिकायत की है, वह एक संज्ञेय अपराध है.
महानगर मजिस्ट्रेट के फैसले को शाहनवाज ने सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली. उसके बाद सेशन कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शाहनवाज हुसैन ने दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) में एक याचिका दायर की.
मामले पर विस्तृत सुनवाई के पूरा होने तक दिल्ली उच्च न्यायालय ने 13 जुलाई 2018 को प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी. मामले पर पूरा सुनने के बाद गत बुधवार 17 अगस्त को दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले में अपना फैसला सुनाया और सत्र अदालत के उस फैसले को बरकरार रखते हुए भाजपा नेता की याचिका खारिज कर दी.