कथित रेप मामले में बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| भारतीय जनता पार्टी के नेता शाहनवाज हुसैन (BJP leader Shahnawaz Hussain) ने अपने खिलाफ दर्ज कथित बलात्कार मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख किया है.
मामले की तत्काल सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है. शाहनवाज के वकील ने कहा है कि अगर उनके क्लाइंट शाहनवाज हुसैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाती है, तो उनका 30 साल लंबा करियर तबाह हो जाएगा. हालांकि, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना ने कहा कि कोर्ट अगले सप्ताह मामले की सुनवाई करेगा.
क्या है मामला
बता दें, साल 2018 में दिल्ली की रहने वाली एक महिला ने केंद्र और बिहार सरकार में मंत्री शाहनवाज हुसैन पर आरोप लगाया था कि उसके साथ उन्होंने छतरपुर (Chattarpur) फॉर्महाउस में नशीला पदार्थ खाने और उसके साथ बलात्कार रेप किया. साथ ही उसने हुसैन पर कथित तौर पर उसे जान से मारने की धमकी की बात भी कही थी.
अपने आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करते हुए उस महिला ने महानगर मजिस्ट्रेट (Metropolitan Magistrate), साकेत कोर्ट का रुख किया था. मामले पर पुलिस ने अदालत में कहा था कि शाहनवाज के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता.
लेकिन 7 जुलाई 2018 को महानगर मजिस्ट्रेट ने पुलिस के तर्क को खारिज करते हुए पुलिस को भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था. अदालत ने कहा था कि महिला ने जो शिकायत की है, वह एक संज्ञेय अपराध है.
महानगर मजिस्ट्रेट के फैसले को शाहनवाज ने सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली. उसके बाद सेशन कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शाहनवाज हुसैन ने दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) में एक याचिका दायर की.
शाहनवाज के वकील की दलील
शाहनवाज की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा (Senior Advocate Siddharth Luthra) ने कोर्ट को कहा था कि पुलिस द्वारा की गई जांच ने शिकायतकर्ता के मामले को पूरी तरह से गलत साबित कर दिया है कि वह और याचिकाकर्ता छतरपुर फार्म में एक साथ थे जहां याचिकाकर्ता ने उसे नशीला पदार्थ दिया और उसके साथ बलात्कार किया.
अधिवक्ता ने कोर्ट को यह भी कहा कि याचिकाकर्ता शाहनवाज हुसैन उस रात 9.15 बजे के बाद अपने आवास से कहीं नहीं गए थे और इसलिए, अभियोजन पक्ष के आरोप के अनुसार रात 10.30 बजे वे छतरपुर में नहीं हो सकते थे.
इसके अलावा, रोशन टेंट हाउस के गवाह, जहां पीडिता ने दावा किया था कि वह याचिकाकर्ता शाहनवाज हुसैन से मिली थी, ने न तो इस तथ्य की पुष्टि की और न ही सीसीटीवी फुटेज ने उसके दावे का समर्थन किया.
उच्च न्यायालय ने लगाई थी अंतरिम रोक
मामले पर विस्तृत सुनवाई के पूरा होने तक दिल्ली उच्च न्यायालय ने 13 जुलाई 2018 को प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी.
मामले पर पूरा सुनने के बाद गत बुधवार 17 अगस्त को दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले में अपना फैसला सुनाया और सत्र अदालत के उस फैसले को बरकरार रखते हुए भाजपा नेता की याचिका खारिज कर दी.
उच्च न्यायालय ने हटाई अंतरिम रोक
उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति आशा मेनन (Justice Asha Menon) ने कहा कि महानगर मजिस्ट्रेट के प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश के आदेशों में कोई गड़बड़ी नहीं है. विशेष न्यायाधीश के फैसले में भी कोई त्रुटि नहीं है. न्यायमूर्ति ने सत्र न्यायालय के प्राथमिकी दर्ज करने के संचालन पर रोक लगाने वाले अंतरिम आदेश को भी हटा दिया.
उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है, “एफआईआर तुरंत दर्ज की जाए. जांच पूरी की जाए और सीआरपीसी की धारा 173 के तहत मामले की जांच 3 महीने में पूरी कर विस्तृत रिपोर्ट साकेत कोर्ट के महानगर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश की जाए.”