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भारत की सटीक सैन्य कार्रवाई में ढेर हुए खूंखार आतंकवादी; पाकिस्तान में मची खलबली

लश्कर और जैश के खूंखार आतंकियों का खात्मा,
भारत की निर्णायक कार्रवाई
पाकिस्तानी सेना और सरकार ने दी आतंकियों को अंतिम विदाई, उठे सवाल
जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने वालों का अंत,
भारत की सख्त रणनीति का असर

नई दिल्ली (The Bihar Now डेस्क)| भारत ने 7 मई 2025 को पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ एक ऐतिहासिक और सटीक सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) और जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) जैसे खूंखार आतंकी संगठनों के पांच शीर्ष आतंकवादी ढेर कर दिए गए.

इस कार्रवाई ने न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ता को प्रदर्शित किया, बल्कि पाकिस्तान में आतंकियों और वहां की सेना के बीच गहरे नापाक गठजोड़ को भी उजागर किया. आइए, जानते हैं इन आतंकियों के काले कारनामों और उनकी अंतिम विदाई के चौंकाने वाले विवरणों को.

मुदस्सर खादियान खास उर्फ मुदस्सर उर्फ अबू जुनदल (Mudassar Khadian Khas @ Mudassar @ Abu Jundal)

    संगठन: लश्कर-ए-तैयबा
    मुदस्सर मुरिदके में लश्कर के मारकज तैबा का प्रमुख संचालक था. यह आतंकी संगठन का एक महत्वपूर्ण चेहरा था, जिसने आतंकवाद को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई. चौंकाने वाली बात यह है कि मुदस्सर के अंतिम संस्कार में पाकिस्तानी सेना ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. पाक सेना प्रमुख और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज की ओर से पुष्पांजलि अर्पित की गई. उसका अंतिम संस्कार एक सरकारी स्कूल में हुआ, जहां जम्मू-उल-दावा के वैश्विक आतंकी हाफिज अब्दुल रऊफ ने नमाज-ए-जनाजा पढ़ाई. इस समारोह में पाक सेना के एक सेवारत लेफ्टिनेंट जनरल और पंजाब पुलिस के आईजी भी शामिल थे, जो पाकिस्तान के आतंकियों के प्रति रवैये पर गंभीर सवाल उठाता है.

    हाफिज मुहम्मद जामील (Hafiz Muhammed Jameel)

      संगठन: जैश-ए-मोहम्मद
      हाफिज जामील जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर का सबसे बड़ा साला था. वह बहावलपुर में मारकज सुभान अल्लाह का प्रभारी था और युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा में धकेलने के साथ-साथ जैश के लिए धन जुटाने में सक्रिय था. उसकी गतिविधियां आतंकवाद को पोषित करने का एक बड़ा जरिया थीं, जिसे भारत की इस कार्रवाई ने हमेशा के लिए समाप्त कर दिया.

      मोहम्मद यूसुफ अजहर उर्फ उस्ताद जी उर्फ मोहम्मद सलीम उर्फ घोसी साहब (Mohammad Yusuf Azhar @ Ustad Ji @ Mohd Salim @ Ghosi Sahab)

        संगठन: जैश-ए-मोहम्मद
        मौलाना मसूद अजहर का एक और साला, यूसुफ अजहर जैश का एक प्रमुख हथियार प्रशिक्षक था. जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों में उसकी संलिप्तता थी और वह कुख्यात आईसी-814 अपहरण मामले में भी वांछित था. उसका खात्मा भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का एक और सबूत है.

        खालिद उर्फ अबू अकाशा (Khalid @ Abu Akasha)

          संगठन: लश्कर-ए-तैयबा
          खालिद जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड था और अफगानिस्तान से हथियारों की तस्करी में लिप्त था. उसका अंतिम संस्कार फैसलाबाद में हुआ, जिसमें पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारी और फैसलाबाद के उपायुक्त शामिल हुए. यह घटना पाकिस्तान में आतंकवाद को सरकारी संरक्षण की पुष्टि करती है.

          मोहम्मद हसन खान (Mohammad Hassan Khan)

            संगठन: जैश-ए-मोहम्मद
            मोहम्मद हसन खान जैश के पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) में ऑपरेशनल कमांडर मुफ्ती असगर खान कश्मीरी का बेटा था. वह जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों के समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था. भारत की इस कार्रवाई ने जैश के इस महत्वपूर्ण कड़ी को भी तोड़ दिया.

            पाकिस्तान में आतंकियों को सरकारी सम्मान: एक खतरनाक सच्चाई

            इस कार्रवाई के बाद सामने आए तथ्य यह बताते हैं कि पाकिस्तान में आतंकियों को न केवल संरक्षण मिलता है, बल्कि उनकी मृत्यु पर सरकारी स्तर पर सम्मान भी दिया जाता है. यह भारत और वैश्विक समुदाय के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की दोहरी नीति अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

            भारत की रणनीति: आतंकवाद का अंत, शांति की शुरुआत

            भारत की यह कार्रवाई न केवल आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक कदम है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा. जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता के लिए भारत की यह रणनीति आतंकवाद के खिलाफ एक मील का पत्थर साबित होगी.

            (इनपुट-सूत्र)