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तेजप्रताप और रोहिणी के विरोध के बावजूद क्यों अडिग है संजय यादव का रुतबा?

पटना (The Bihar Now डेस्क)| राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में राज्यसभा सांसद संजय यादव आज सबसे प्रभावशाली शख्सियत बन चुके हैं. लालू प्रसाद यादव के परिवार में तेजप्रताप यादव और रोहिणी आचार्य के खुले विरोध के बावजूद उनकी स्थिति अटल है. तेजस्वी यादव के हर कदम में संजय की रणनीति साफ दिखती है. आखिर क्या कारण हैं कि लालू परिवार और RJD में संजय यादव का दबदबा बरकरार है? आइए, उनके सफर और विवादों पर नजर डालते हैं.

संजय यादव की RJD में एंट्री: तेजस्वी का विश्वासपात्र बनने की कहानी

संजय यादव 2012 में RJD और लालू परिवार से जुड़े, जब लालू जेल में थे और तेजस्वी यादव राजनीति में कदम रख रहे थे. समाजवादी पार्टी (SP) के नेता अखिलेश यादव ने संजय को तेजस्वी से मिलवाया. हरियाणा मूल के संजय पहले SP में चुनावी रणनीतियों पर काम कर चुके थे. उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर तेजस्वी के साथ पटना का रुख किया और जल्द ही उनके सबसे करीबी सहयोगी बन गए. लालू के जेल से लौटने के बाद भी संजय का प्रभाव बढ़ता गया. आज वह RJD नेताओं और लालू-तेजस्वी से मिलने वालों के लिए ‘गेटकीपर’ की भूमिका निभाते हैं.

तेजप्रताप और रोहिणी के साथ टकराव: परिवार में बवाल

संजय यादव का नाम कई विवादों से जुड़ा है, खासकर लालू परिवार की आंतरिक कलह के कारण.

  • तेजप्रताप का गुस्सा: 2021 में तेजप्रताप ने संजय को ‘जयचंद’ करार दिया और उन पर परिवार को ‘हाईजैक’ करने का आरोप लगाया. मई 2025 में तेजप्रताप के RJD से निष्कासन के बाद उन्होंने संजय पर आकाश यादव को पार्टी से निकलवाने का इल्जाम लगाया. अगस्त 2025 में तेजप्रताप ने ‘जनशक्ति जनता दल’ बनाकर संजय को निशाना बनाया.
  • रोहिणी का विरोध: इधर, बिहार अधिकार यात्रा के दौरान तेजस्वी की बस में संजय की अगली सीट पर बैठने की तस्वीर पर गुरुवार को रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि यह सीट दलित नेताओं को मिलनी चाहिए. इस पोस्ट ने परिवार में हलचल मचा दी, लेकिन लालू की नाराजगी के बाद रोहिणी को पीछे हटना पड़ा. रोहिणी ने दूसरी पोस्ट में संजय के प्रति नरम रुख दिखाया.

इन विवादों के बावजूद संजय पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे उनकी ताकत का अंदाजा लगता है.

संजय यादव का दबदबा: क्या है उनकी ताकत?

  1. तेजस्वी का अटूट विश्वास: संजय यादव तेजस्वी के सबसे करीबी सलाहकार हैं. तेजस्वी उन्हें ‘ट्यूशन मास्टर’ कहते हैं. 2024 में MY-BAAP (मुस्लिम-यादव, बहुजन, अगड़ा, आधी आबादी, गरीब) रणनीति में उनकी भूमिका अहम थी. यह नारा RJD के वोट बैंक को बढ़ाने के लिए बनाया गया था. तेजस्वी ने 2024 में संजय को राज्यसभा भेजकर उनका कद और बढ़ाया.
  2. चुनावी रणनीति में माहिर: संजय की रणनीतिक सोच और चुनावी प्रबंधन की काबिलियत उन्हें खास बनाती है. 2015 और 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में उनकी रणनीतियों ने RJD को मजबूती दी. 2024 के लोकसभा चुनाव में भले ही RJD को 4 सीटें मिलीं, लेकिन वोट शेयर बढ़ाने में संजय की भूमिका थी.
  3. सोशल मीडिया का जादू: संजय सोशल मीडिया और डिजिटल कैंपेन में माहिर हैं. तेजस्वी के तीखे ट्वीट्स और पोस्ट्स के पीछे संजय का दिमाग होता है. उनकी रणनीति ने RJD को युवा और आधुनिक छवि दी है.
  4. लालू का परोक्ष समर्थन: लालू भले ही अब कम सक्रिय हों, लेकिन संजय को राज्यसभा भेजने का उनका फैसला उनके भरोसे को दिखाता है. रोहिणी के विरोध के बाद भी संजय के खिलाफ कोई कदम न उठना उनके रुतबे को दर्शाता है.
  5. विवादों से बचने की कला: संजय विवादों में चुप रहकर और तेजस्वी के पीछे रहकर अपनी स्थिति मजबूत रखते हैं. यह रणनीति उन्हें परिवार की कलह से बचाती है.

RJD में संजय की आलोचना: ‘हाईजैक’ का आरोप

पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि संजय RJD को ‘हाईजैक’ कर रहे हैं. झंडे तक उनकी फर्म से खरीदने पड़ते हैं. 2021 में आकाश यादव के निलंबन में उनका हाथ बताया गया. BJP नेता अमित मालवीय ने इसे ‘सामाजिक न्याय का ढोंग’ करार दिया.