तेजस्वी और नीतीश मिलकर क्या करेंगे लालू यादव का ?
पटना (TBN – अनुभव सिन्हा की खास रिपोर्ट)| मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की वजह से लालू यादव (Lalu Yadav) टेंशन में हैं. इस महीने की 9 और 10 तारीख को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक में तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को सर्वाधिकार देकर लालू ने अपने हाथ बांध लिए हैं. तेजस्वी सीएम बनने के लिए अधीर हैं, लेकिन लालू की शर्त नीतीश को मान्य नहीं है. यह लालू यादव की टेंशन का कारण है.
उल्लेखनीय है कि पिछले 9 और 10 अक्टूबर को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम (Talkatora Stadium, New Delhi) में राजद ने राष्ट्रीय परिषद (National Council of RJD) की दो दिवसीय बैठक बुलाई थी. इस बैठक में प्रस्ताव पारित कर पार्टी का नाम और सिम्बल बदले जाने पर निर्णय लेने का अधिकार तेजस्वी यादव को सर्वसम्मति से दिया गया. राजद और जदयू के विलय की सम्भावना को देखते हुए लालू ने इस पर हामी भरी थी. उस समय तक लालू को लगता था कि अपने शीशे में नीतीश कुमार को ढालने में कोई दिक्कत नहीं होगी. लेकिन अब लालू को पछतावा हो रहा है.
दरअसल, लालू चाहते थे कि नीतीश कुमार जदयू का विलय राजद में उसी तरह से कर दें जैसे शरद यादव और देवेन्द्र प्रसाद यादव ने अपने दलों का विलय राजद में किया था. पर, नीतीश कुमार चाहते हैं कि राजद अपना विलय जदयू में करे. लालू और नीतीश इस तरह अपनी-अपनी शर्तों पर अड़े हुए हैं.
नीतीश के पेट में दांत – लालू
नीतीश के पेट में दांत है, लालू ने ऐसे ही नहीं कहा था. उस राजनीति का बिहार में कोई मतलब ही नहीं है जो नीतीश कुमार से होती हुई सामने आए और सरल भी हो ! तो मामले को नीतीश कुमार ने पेंचदार बना दिया है. सीएम बनने की तेजस्वी की ललक को वह बढा़ते रहते हैं. इसका परिणाम यह है कि लालू से इतर तेजस्वी राजद का जदयू में विलय करने के लिए तैयार हैं. तेजस्वी की इस मंशा को जानकर ही लालू यादव टेंशन में हैं.
तेजस्वी को पिता के विरोध की परवाह नहीं
यह तो निर्विवाद है कि तेजस्वी को सीएम बनने की जल्दी है. उन्हें पिता के विरोध की परवाह नहीं है. मगर नीतीश कुमार यह काम जल्द से जल्द कर दें, वह स्थिति नहीं बन पा रही है. पहली बात तो यह है कि किस पार्टी का किस पार्टी में विलय हो और कब हो, यह तय नहीं हो पा रहा है. दूसरी बात जो ज्यादा खास है, वह है नीतीश कुमार का राजनीतिक भविष्य ! नीतीश कुमार इस बिन्दु पर संतुष्ट नहीं हैं.
नीतीश ऐसे ही हरी झंडी नहीं दिखाएंगे
इससे तेजस्वी का सीएम प्रोजेक्ट निकट भविष्य में पूरा होता नजर नहीं आता. यदि वह सीएम बनने के लिए राजद का विलय जदयू में करने की घोषणा कर भी दें, तब भी राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में अपनी भूमिका के प्रति आश्वस्त हो जाने के बाद ही नीतीश कुमार विलय की प्रक्रिया को हरी झण्डी दिखायेंगे.
तो इस अन्तर्विरोध की परिणति क्या है ? दिलचस्प राजनीतिक घटना क्रम के लिए तैयार रहिए ! इसकी झलक नीतीश कुमार ने दिखा दी है. मोकामा और गोपालगंज विधान सभा उपचुनावों में वह प्रचार नहीं करेंगे. ललन सिंह की मौजूदगी वह इफेक्ट नहीं ला पा रही है. इसका असर राजद के प्रतिकूल होने पर नीतीश कुमार की पौ-बारह है.
कुल मिलाकर राजद के अन्तर्निहित विरोधाभासों का पटाक्षेप जल्द होगा, स्थितियां यही संकेत दे रही हैं.