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जीवेश मिश्रा ने तेजस्वी को भेजा मानहानि नोटिस, तेजस्वी के बयानों पर पलटवार

पटना (The Bihar Now डेस्क)| नीतीश सरकार (Nitish government) के नगर विकास एवं आवास मंत्री (Minister of Urban Development and Housing) जीवेश मिश्रा (Jeevesh Mishra) ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को कानूनी नोटिस (legal notice to Tejashwi Yadav by Jeevesh Mishra) भेजा है. आरोप है कि तेजस्वी ने सोशल मीडिया और प्रेस के जरिए झूठे और मानहानिकारक बयान दिए, जिनका उद्देश्य मंत्री की छवि को नुकसान पहुंचाना और राजनीतिक फायदा उठाना है.

बता दें, दरभंगा जिले (Darbhanga district) के जाले प्रखंड के निवासी जीवेश मिश्रा ने अपने वकील के माध्यम से यह नोटिस जारी किया है, जिसमें तेजस्वी से माफी मांगने और बयान वापस लेने की मांग की गई है.

नोटिस के अनुसार, तेजस्वी यादव ने 15 और 16 सितंबर 2025 को अपने फेसबुक अकाउंट (facebook account) पर दावा किया कि जीवेश मिश्रा नकली दवाओं (counterfeit drugs) की बिक्री और दवा चोरी में शामिल थे. मंत्री ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार और दुर्भावनापूर्ण बताया है.

नोटिस में कहा गया है कि जीवेश मिश्रा पहले ‘मेसर्स आल्टो हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड’ नामक दवा कंपनी के निदेशक थे, जो औषधि वितरण से जुड़ी थी. हालांकि, उनके खिलाफ कोई भी आपराधिक आरोप कभी सिद्ध नहीं हुआ.

2012 का राजसमंद मामला, क्या थी हकीकत?

विवाद की जड़ 2012 में राजस्थान (Rajasthan) के राजसमंद जिले (Rajsamand district) में दर्ज एक शिकायत से जुड़ी है. ड्रग कंट्रोल अधिकारी ने सिप्रोलिन 500 टैबलेट के मामले में 16 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था, जिसमें जीवेश मिश्रा की कंपनी का नाम भी शामिल था. यह दवा फ्रांसिस बायोटेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Francis Biotech India Pvt Ltd) द्वारा निर्मित थी और आल्टो हेल्थ केयर (Alto Health Care) इसका अधिकृत वितरक था. जांच में पाया गया कि दवा में सिप्रोफ्लोक्सासिन की मात्रा 92.339% थी, जो मानक सीमा (90-110%) के भीतर थी. हालांकि, दवा डिजॉल्यूशन टेस्ट में असफल रही, लेकिन इसे किसी भी लैब ने नकली, मिलावटी या मिसब्रांडेड नहीं माना.

कोर्ट का फैसला और प्रोबेशन

4 जून 2025 को राजसमंद के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने इस मामले को तकनीकी खामी से जुड़ा माना और सभी आरोपियों को प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट, 1958 के तहत राहत दी. किसी को भी सजा नहीं सुनाई गई, बल्कि एक साल तक अपराध न दोहराने का बांड और 7,000 रुपये की लागत जमा करने का आदेश दिया गया. इसके अलावा, 30 जून 2025 को सेशंस कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी, यानी मामला अभी लंबित है.

तेजस्वी के बयान और मंत्री का जवाब

तेजस्वी यादव ने 15 सितंबर को फेसबुक पर लिखा कि जीवेश मिश्रा नकली दवाएं बेचकर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं और दवा चोरी में सजायाफ्ता हैं. 16 सितंबर को उन्होंने फिर से पोस्ट कर मिश्रा को ‘भ्रष्ट दवा चोर’ करार दिया.

जीवेश मिश्रा ने इन आरोपों को पूरी तरह गलत बताया और कहा कि न तो उन्होंने दवा चोरी की और न ही कोई कोर्ट उन्हें दोषी ठहराया. नोटिस में तेजस्वी से तत्काल माफी मांगने और बयान वापस लेने की मांग की गई है, अन्यथा कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.

सियासी विवाद ने बढ़ाई गर्मी

इस नोटिस ने बिहार की सियासत में नया मोड़ ला दिया है. तेजस्वी के बयानों और मंत्री के जवाब ने दोनों पक्षों के बीच तनातनी को और बढ़ा दिया है. यह मामला न केवल कानूनी, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी चर्चा का विषय बन गया है. जनता अब इस बात पर नजर रखे हुए है कि यह विवाद आगे कैसे बढ़ता है.