बच्चों के खिलाफ अपराध; NCRB की रिपोर्ट में इन राज्यों में सबसे ज्यादा मामले
> बच्चों पर बढ़ते यौन अपराध, NCRB की चिंताजनक रिपोर्ट
> अपहरण और पॉक्सो एक्ट के मामले सबसे ज्यादा
> अपराधी कोई और नहीं, अपनों का चेहरा
नई दिल्ली / पटना (The Bihar Now डेस्क)| नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट ने देश में बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों (Crimes Against Children in India) की गंभीर तस्वीर पेश की है. इस रिपोर्ट से पता चलता है कि कई राज्यों में बच्चों के साथ यौन अपराध और अपहरण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि बच्चों की सुरक्षा (NCRB Data on Child Safety) आज एक बड़ा सवाल बन गया है.
NCRB की रिपोर्ट (NCRB Report 2023) के अनुसार, बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में सबसे ज्यादा मामले अपहरण और पॉक्सो एक्ट से जुड़े हैं. साल 2023 में अपहरण के करीब 79,884 मामले दर्ज हुए, जो कुल मामलों का लगभग 45% हैं. वहीं, पॉक्सो एक्ट (POCSO Act Cases) के तहत 67,694 मामले सामने आए, जो कुल मामलों का 38.2% हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि बच्चों के खिलाफ अपराधों की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है.
रिपोर्ट का सबसे डरावना पहलू यह है कि अधिकांश मामलों में अपराधी बच्चे के करीबी ही होते हैं. कुल 40,434 मामलों में से 39,076 मामलों में अपराधी बच्चे के परिचित निकले. इनमें 3,224 मामले परिवार के सदस्यों से जुड़े थे, 15,146 मामले पड़ोसियों से और 20,706 मामले दोस्तों या परिचितों से. यह बताता है कि बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा उनके करीबियों से ही है.
इन राज्यों में सबसे ज्यादा खतरा
NCRB की 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चों के खिलाफ अपराधों में मध्य प्रदेश (Crimes Against Children in Madhya Pradesh), महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश सबसे आगे हैं. मध्य प्रदेश में 22,393 मामले दर्ज हुए, महाराष्ट्र में 22,390 और उत्तर प्रदेश में 18,852 मामले सामने आए. लेकिन अपराध दर के मामले में असम (Crime Rate in Assam) सबसे ऊपर है, जहां प्रति लाख बच्चों पर 84.2 अपराध दर्ज किए गए. ये आंकड़े हर किसी को सोचने पर मजबूर करते हैं.
हर 3 मिनट में एक बच्चा बन रहा शिकार
रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में हर दिन औसतन 486 बच्चे गंभीर अपराधों का शिकार बने. यानी हर 3 मिनट में एक बच्चे के खिलाफ अपराध दर्ज हुआ. 2023 में बच्चों के खिलाफ अपराध की दर 39.9 प्रति लाख बच्चे थी, जो 2022 की 36.6 की दर से ज्यादा है. यह साफ करता है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए और सख्त कदम उठाने की जरूरत है.