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बिहार चुनाव 2025: JDU में बग़ावत पर नीतीश का सख्त एक्शन, गोपाल मंडल समेत 16 नेता बाहर

> नीतीश कुमार का बड़ा फैसला
> 2 दिन में 16 बागी नेताओं की जेडीयू से छुट्टी
> गोपाल मंडल से लेकर पूर्व मंत्रियों तक, पूरी लिस्ट

पटना (The Bihar Now डेस्क)| बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Elections 2025) के बीच जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में बग़ावत की आग भड़कने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सख्त रुख अपनाया है. पार्टी ने गोपालपुर के विधायक गोपाल मंडल (Gopal Mandal Expelled From JDU) समेत पांच नेताओं को तुरंत बाहर का रास्ता (Nitish Kumar Takes Action Against Rebel Leaders) दिखा दिया. इन नेताओं पर पार्टी विरोधी गतिविधियों और संगठन के नियम तोड़ने का आरोप है. इसके साथ ही, पिछले दो दिनों में कुल 16 नेताओं को जेडीयू से निष्कासित किया जा चुका है.

जेडीयू ने एक बयान में कहा, “इन नेताओं ने पार्टी के अनुशासन और नैतिकता को ठुकराते हुए बग़ावत की, जिसके चलते तत्काल प्रभाव से उनकी प्राथमिक सदस्यता खत्म कर दी गई.” नीतीश कुमार ने साफ कर दिया कि पार्टी में अनुशासन सबसे ऊपर है, और कोई भी बागी बख्शा नहीं जाएगा.

किन नेताओं को दिखाया बाहर का रास्ता?

जेडीयू ने हाल ही में जिन 16 नेताओं को निष्कासित किया, उनमें कई बड़े नाम शामिल हैं. इनमें से कुछ ने टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया था, जिससे पार्टी को नुकसान होने का खतरा था. निष्कासित नेताओं की सूची (JDU Expelled Leaders List) इस प्रकार है:

  • नरेंद्र कुमार नीरज (गोपाल मंडल) – गोपालपुर विधायक
  • शैलेश कुमार – पूर्व मंत्री, ग्रामीण कार्य विभाग
  • हिमराज सिंह – पूर्व मंत्री
  • संजीव श्याम सिंह – पूर्व विधान पार्षद
  • महेश्वर प्रसाद यादव – पूर्व विधायक
  • संजय प्रसाद – पूर्व विधान पार्षद
  • श्याम बहादुर सिंह – पूर्व विधायक
  • रणविजय सिंह – पूर्व विधान पार्षद
  • सुदर्शन कुमार – पूर्व विधायक
  • प्रभात किरण
  • अमर कुमार सिंह
  • डॉ. आश्मा परवीन
  • लव कुमार
  • आशा सुमन
  • दिव्यांशु भारद्वाज
  • विवेक शुक्ला

क्यों हुई बग़ावत, क्यों लिया गया सख्त फैसला?

टिकट बंटवारे से नाराज़गी और पार्टी विरोधी गतिविधियां – जेडीयू में बग़ावत की मुख्य वजह टिकट बंटवारे को लेकर नाराज़गी है. कई नेताओं को उम्मीद थी कि उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा, लेकिन जब टिकट नहीं मिला, तो उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने का फैसला किया. इससे जेडीयू के आधिकारिक उम्मीदवारों को नुकसान होने की आशंका थी.

पार्टी ने पहले इन नेताओं को समझाने की कोशिश की, लेकिन जब वे नहीं माने, तो नीतीश कुमार ने सख्ती दिखाते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया. यह फैसला जेडीयू के अनुशासन और संगठन की मजबूती को बनाए रखने के लिए लिया गया.

चुनाव पर क्या होगा असर?

त्रिकोणीय मुकाबले से जेडीयू की राह मुश्किल – इन बागी नेताओं के निर्दलीय चुनाव लड़ने से कई सीटों पर जेडीयू के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इनमें से कई नेताओं का अपने इलाके में अच्छा जनाधार है, जिसके चलते जेडीयू का वोट बैंक बंट सकता है. इससे विपक्षी दलों, खासकर आरजेडी और कांग्रेस को फायदा मिलने की संभावना है. कुछ सीटों पर पहले एनडीए की जीत आसान लग रही थी, लेकिन अब बागियों की वजह से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.

नीतीश का संदेश: अनुशासन से कोई समझौता नहीं

पार्टी में नए चेहरों को मौका, पुराने नेताओं पर गाज – नीतीश कुमार ने इस कार्रवाई से साफ कर दिया कि जेडीयू में अनुशासन तोड़ने की इजाज़त किसी को नहीं है. टिकट न मिलने पर बग़ावत करने वालों को पार्टी में जगह नहीं दी जाएगी. साथ ही, यह भी संकेत है कि जेडीयू अब नए और युवा नेताओं को मौका देकर संगठन को और मजबूत करना चाहती है.

हालांकि, बागी नेताओं के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं होगा. बिना पार्टी समर्थन और चुनाव चिह्न के जीत हासिल करना मुश्किल होता है, चाहे व्यक्तिगत जनाधार कितना भी मजबूत हो.