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बिहार विस चुनाव 2025: जदयू से निष्कासित बागी नेता किस-किस का बिगाड़ेंगे खेल

> नीतीश कुमार का सख्त फैसला
> जेडीयू में अनुशासन की जीत
> बागी नेताओं पर कार्रवाई

पटना (The Bihar Now डेस्क)| बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections 2025) के पहले चरण के प्रचार के बीच जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में बग़ावत की आग (Rebellion in JDU 2025) भड़क उठी है. लंबे समय से पार्टी के अंदर चल रहा असंतोष अब खुलकर सामने आ गया है. इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तुरंत कड़ा कदम (Nitish Kumar’s Tough Decision) उठाया और 11 बागी नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता (JDU Rebel Leader Expelled) दिखा दिया.

इन नेताओं पर आरोप है कि वे जेडीयू की सदस्यता के बावजूद निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे थे और पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे.

जेडीयू ने साफ कहा कि इन नेताओं को कई बार समझाने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने पार्टी के नियमों और अनुशासन को ठुकरा दिया. नीतीश कुमार की राजनीति में अनुशासन हमेशा से सबसे ऊपर रहा है, और इस बार भी उन्होंने सख्ती दिखाकर संगठन को मजबूत करने का संदेश दिया है.

जेडीयू में बग़ावत के 3 बड़े कारण

टिकट न मिलने से नाराज़गी, गुटबाज़ी और सीट बंटवारे ने बढ़ाया तनाव

  1. टिकट बंटवारे से असंतोष: कई पुराने और वरिष्ठ नेताओं को इस बार टिकट नहीं मिला, जिससे उनकी नाराज़गी खुलकर सामने आई.
  2. स्थानीय स्तर पर गुटबाज़ी: कुछ नेताओं को लगा कि उनके इलाके में उनकी व्यक्तिगत पकड़ इतनी मजबूत है कि वे बिना पार्टी समर्थन के भी जीत सकते हैं.
  3. एनडीए में सीट बंटवारे का असर: जेडीयू और बीजेपी के बीच सीटों के बंटवारे ने भी कुछ नेताओं को बग़ावत के लिए उकसाया.

बागी नेताओं ने बनाया त्रिकोणीय मुकाबला

कई सीटों पर जेडीयू के लिए बढ़ी मुश्किलें

निष्कासित नेताओं में चार पूर्व विधायक, एक पूर्व मंत्री और कुछ प्रभावशाली चेहरे शामिल हैं. इनमें शैलेश कुमार (पूर्व मंत्री), संजय प्रसाद (पूर्व विधान पार्षद), श्याम बहादुर सिंह (पूर्व विधायक), रणविजय सिंह (पूर्व विधान पार्षद), सुदर्शन कुमार (पूर्व विधायक), अमर कुमार सिंह (बेगूसराय), आश्मा परवीन (वैशाली), लव कुमार (नबीनगर), आशा सुमन (कटिहार), दिव्यांशु भारद्वाज (मोतिहारी) और विवेक शुक्ला (सिवान) जैसे नाम हैं. इनमें से कई नेताओं का अपने इलाके में अच्छा जनाधार है, जिसके चलते कई सीटों पर मुकाबला अब त्रिकोणीय हो गया है.

किन सीटों पर पड़ेगा असर?

बागियों के चलते जेडीयू का वोट बैंक खतरे में

निष्कासित नेताओं के निर्दलीय मैदान में उतरने से जेडीयू के आधिकारिक उम्मीदवारों का वोट बंट सकता है. इससे विपक्षी दलों, खासकर आरजेडी और कांग्रेस (Triangular Contest in Bihar Elections) को फायदा मिलने की संभावना है. कुछ प्रमुख सीटों पर स्थिति (Bihar Election Seat Equations) इस प्रकार है:

  • बरबीघा: पूर्व विधायक सुदर्शन कुमार का यादव, कुर्मी और अल्पसंख्यक वोटरों पर अच्छा प्रभाव है. उनके निर्दलीय लड़ने से जेडीयू का कोर वोट खिसक सकता है, जिससे आरजेडी को फायदा हो सकता है.
  • बड़हरिया, सिवान: श्याम बहादुर सिंह की साफ-सुथरी छवि और स्थानीय प्रभाव के चलते जेडीयू के लिए यह सीट बचाना मुश्किल हो सकता है. यहां मुकाबला अब जेडीयू, बागी और आरजेडी के बीच है.
  • बरहरा, भोजपुर: रणविजय सिंह का सवर्ण और युवा वोटरों में प्रभाव है. उनके निर्दलीय उतरने से एनडीए का वोट बंटेगा, जिससे राजद-वाम गठबंधन को फायदा हो सकता है.
  • कदवा, कटिहार: आशा सुमन की महिलाओं और अति पिछड़ा वर्ग में अच्छी पकड़ है. उनके बागी बनने से जेडीयू-बीजेपी की आंतरिक लड़ाई और उलझ सकती है.
  • वैशाली: डॉ. आश्मा परवीन का अल्पसंख्यक और महिला वोटरों में प्रभाव है. उनके निर्दलीय लड़ने से जेडीयू की रणनीति को झटका लगेगा.
  • मोतिहारी: युवा नेता दिव्यांशु भारद्वाज के बागी बनने से जेडीयू-बीजेपी का वोट बंट सकता है, जिससे मुकाबला और कड़ा होगा.

नीतीश का सख्त संदेश: अनुशासन सबसे ऊपर

जेडीयू में नए चेहरों को मौका, पुराने नेताओं की छुट्टी

नीतीश कुमार ने इस कार्रवाई से साफ कर दिया है कि जेडीयू में अनुशासन से समझौता नहीं होगा. टिकट न मिलने पर बग़ावत करने वालों को पार्टी में जगह नहीं दी जाएगी. साथ ही, नीतीश ने यह भी संदेश दिया है कि जेडीयू अब नए और युवा चेहरों को मौका देगी ताकि पार्टी का ढांचा और मजबूत हो.

हालांकि, बागी नेताओं के लिए रास्ता आसान नहीं है. बिना पार्टी के समर्थन और चुनाव चिह्न के जीत हासिल करना मुश्किल होता है, चाहे व्यक्तिगत जनाधार कितना भी हो. वैसे समय बताएगा कि नीतीश का यह फैसला जेडीयू को मजबूत करेगा या बागियों की वजह से पार्टी को नुकसान होगा?