छठ महापर्व 2025: पटना के गंगा घाट और तालाब सजकर तैयार, भक्तों में उत्साह
> पटना में छठ पूजा की तैयारियां जोरों पर
> गंगा घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम
> व्रतियों में भक्ति का ज्वार
पटना (The Bihar Now डेस्क)| राजधानी पटना में छठ महापर्व (Chhath Puja) का उत्साह चरम पर है. गंगा घाट और तालाब (Ganga Ghat Chhath Puja Preparations) रंग-बिरंगी सजावट के साथ तैयार हैं. सोमवार को व्रती और श्रद्धालु ‘पूर्वाषाढ़ा’ नक्षत्र में डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे, जबकि मंगलवार को ‘उत्तराषाढ़ा’ नक्षत्र में उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे. शहर के 78 गंगा घाटों और 60 कृत्रिम तालाबों पर भक्तों की भीड़ उमड़ेगी.
ज्योतिष के अनुसार, मंगलवार सुबह उभयचर और अमलाकृति जैसे शुभ योग बन रहे हैं, जो इस पर्व को और खास बनाएंगे. व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखकर उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण करेंगे. कहा जाता है कि डूबते सूर्य को सूर्यास्त से आधा घंटा पहले और उगते सूर्य की पहली किरण के साथ (Time to Offer Arghya to the Sun) अर्घ्य देना शुभ माना जाता है.
अर्घ्य का समय पटना में –
सूर्यास्त (27 अक्टूबर को) – सायं 05.12 बजे
सूर्योदय (28 अक्टूबर को) – प्रातः 05.55 बजे
खरना पूजा में भक्ति का रंग
छठ के दूसरे दिन रविवार को व्रतियों ने ‘मूल’ नक्षत्र में खरना पूजा (Kharna Puja) बड़े उत्साह के साथ की. सूर्यास्त के बाद व्रतियों ने केले के पत्ते पर अरवा चावल, गुड़, दूध और गंगाजल से बनी खीर, रोटी और केले का प्रसाद ग्रहण किया. हर तरफ श्रद्धा और भक्ति का माहौल देखने को मिला.
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
चार दिवसीय छठ महापर्व को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम (Bihar Chhath Festival Security Arrangements) किए हैं. पटना के 35 गंगा घाटों पर 187 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिनसे हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी. जिले के गंगा और सहायक नदियों के 550 घाटों पर छठ पूजा होगी, जहां 444 गोताखोर तैनात किए गए हैं. इसके अलावा, सभी शहरी और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में नोडल चिकित्सा अधिकारियों की तैनाती की गई है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके.
देव और उलार में भक्तों का उत्साह
पटना के उलार सूर्य मंदिर के पास बने तालाबों पर और औरंगाबाद के देव में भी व्रतियों की भारी भीड़ देखी जा रही है. पूरे बिहार में 8500 छठ घाटों पर अर्घ्य की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. संवेदनशील घाटों पर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात हैं, जिसमें 15 जगहों पर एनडीआरएफ और 140 जगहों पर एसडीआरएफ के जवान सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे.
छठ महापर्व का महत्व
छठ पूजा बिहार की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक है. यह पर्व सूर्य और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है. पटना के घाटों पर भक्तों का उत्साह और भक्ति देखते ही बनता है.
पूजा के नियम
छठ पूजा के संदर्भ में, पूजा-पाठ और अनुष्ठानों को पूरा करने की एक विशेष प्रक्रिया निर्धारित है. इस व्रत को करते समय श्रद्धालुओं को कई महत्वपूर्ण नियमों का सख्ती से पालन करना होता है.
- छठ का व्रत रखने वाले व्यक्ति (जातक) के लिए पवित्रता और शुद्धता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है.
- इस पर्व के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठानों को केवल विवाहित स्त्रियाँ ही संपन्न कर सकती हैं.
- छठ पर्व के नियमों के अनुसार, परिवार के सभी सदस्यों—चाहे पुरुष हों या स्त्री—को रात के समय ज़मीन पर शयन करना अनिवार्य होता है.
- छठ पूजा के लिए तैयार किए जाने वाले प्रसाद को ग्रहण करने से पूर्व, सभी बर्तनों को अच्छी तरह से धोकर शुद्ध कर लेना चाहिए.
- स्वच्छता के नियम का पालन करते हुए, छठ पर्व के दौरान घर के अंदर एक अस्थायी रसोई (चूल्हा) स्थापित करने का विधान है.
- इस शुभ अवसर पर घर में ठेकुआ नामक पारंपरिक पकवान (मिठाई) विशेष रूप से तैयार किया जाता है.
व्रती विवाहित महिलाओं को कुछ विशेष धार्मिक मर्यादाओं का पालन करना होता है; उदाहरण के लिए, वे इस अवधि में स्वयं द्वारा पकाया गया भोजन नहीं खा सकती हैं और सिलाई किए हुए वस्त्र भी धारण नहीं कर सकती हैं.

