Operation Sindoor ने पाकिस्तान में आतंकी ढांचे को किया तबाह, आतंक नेटवर्क को बड़ा झटका
नौ आतंकी ठिकानों पर भारत की सफल कार्रवाई,
लश्कर और जैश के गढ़ ध्वस्त,
पाक सेना और ISI की मिलीभगत उजागर,
आतंकियों को दिया जा रहा था खुला समर्थन,
PM मोदी की निगरानी में रातभर चला ऑपरेशन,
सेना-नौसेना-वायुसेना ने दिखाया दम.
पीएम नरेंद्र मोदी ने रातभर इस ऑपरेशन पर नजर रखी और हर पल की रिपोर्ट ली
नई दिल्ली (The Bihar Now डेस्क)| भारत ने बुधवार को एक ऐतिहासिक और साहसिक कदम उठाते हुए पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में आतंकी संगठनों के नौ ठिकानों पर सटीक हमले किए. इस ऑपरेशन, जिसे ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) नाम दिया गया, ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के ढांचे को तहस-नहस कर दिया.
सूत्रों के अनुसार, सभी नौ ठिकानों पर हमले पूरी तरह सफल रहे, जिससे भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को और मजबूत किया.
पाकिस्तान-ISI का काला चेहरा बेनकाब
सूत्रों ने खुलासा किया कि पाकिस्तान की सेना और उसकी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) भारत विरोधी आतंकी संगठनों को न केवल संरक्षण दे रही है, बल्कि उन्हें वित्तीय, सैन्य, और प्रशिक्षण सहायता भी प्रदान कर रही है. लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों को सरकारी इमारतों में छिपे ठिकानों पर प्रशिक्षण शिविर और लॉन्च पैड संचालित करने की खुली छूट दी गई है. इन ठिकानों पर आतंकियों को हथियारों का प्रशिक्षण, धार्मिक उन्माद फैलाने की ट्रेनिंग और जिहाद के लिए प्रचार किया जाता है.
निशाने पर थे आतंक के बड़े गढ़
ऑपरेशन सिंदूर में जिन नौ ठिकानों को निशाना बनाया गया, उनमें से चार पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर में और पांच पाकिस्तान के मुख्य भू-भाग में स्थित थे. इनमें मरकज तैबा (मुरीदके) और मरकज सुभान अल्लाह (बहावलपुर) जैसे आतंकी संगठनों के प्रमुख केंद्र शामिल थे. ये ठिकाने न केवल आतंकी कमांडरों के लिए सुरक्षित आश्रय थे, बल्कि जिहाद के लिए युवाओं को उकसाने और हथियारों की ट्रेनिंग देने का अड्डा भी थे.
प्रमुख निशाने और उनकी खासियतें
मरकज सुभान अल्लाह, बहावलपुर (JeM): 2015 से संचालित, यह जैश-ए-मोहम्मद का प्रशिक्षण और उन्माद का मुख्य केंद्र है और जैश का परिचालन मुख्यालय है. यह 14 फरवरी 2019 को हुए पुलवामा हमले सहित जैश की आतंकी साजिशों से जुड़ा है. इस मरकज में जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर, जैश के वास्तविक प्रमुख मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर, मौलाना अम्मार और मसूद अजहर के अन्य परिवार के सदस्यों के आवास हैं. मसूद अजहर ने इस सुविधा से कई बार भारत विरोधी बयानबाजी की और युवाओं से इस्लामी जिहाद में शामिल होने की अपील की. जैश अपने कैडरों के लिए मरकज सुभान अल्लाह में नियमित हथियार, शारीरिक और धार्मिक प्रशिक्षण आयोजित करता है.
मरकज तैबा, मुरीदके (LeT): वर्ष 2000 में स्थापित, मरकज तैबा लश्कर-ए-तैयबा का सबसे महत्वपूर्ण प्रशिक्षण केंद्र है, जो नंगल सहदां, मुरीदके, शेखपुरा, पंजाब, पाकिस्तान में स्थित है. इस परिसर में हथियार और शारीरिक प्रशिक्षण सुविधाएं, साथ ही पाकिस्तान और विदेशों से आतंकी संगठनों के लिए दावा और कट्टरपंथ की सुविधाएं हैं. यह मरकज हर साल विभिन्न पाठ्यक्रमों में लगभग 1000 छात्रों को नामांकित करता है, जिससे लश्कर के लिए आतंकी संगठनों को तैयार करने में इस मरकज की भूमिका उजागर होती है. ओसामा बिन लादेन ने मरकज तैबा परिसर में मस्जिद और गेस्ट हाउस के निर्माण के लिए 10 मिलियन रुपये का वित्त पोषण किया था. पाकिस्तान की आईएसआई के इशारे पर, 26/11 मुंबई हमले के सभी अपराधियों, जिसमें अजमल कसाब शामिल था, को इस सुविधा में ‘दौरा-ए-रिब्बत’ (खुफिया प्रशिक्षण) दिया गया था. डेविड कोलमैन हेडली और तहव्वुर हुसैन राणा, 26/11 मुंबई हमलों के प्रमुख साजिशकर्ता, ने जकी-उर-रहमान लखवी के निर्देश पर अब्दुल रहमान सईद @ पाशा, हारून और खुर्रम (सह-साजिशकर्ता) के साथ मुरीदके का दौरा किया था.
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सर्जल/तेहरा कलां, नरोवाल (JeM): नरोवाल जिले के शकरगढ़ तहसील, पंजाब, पाकिस्तान में स्थित, यह जैश-ए-मोहम्मद का मुख्य लॉन्चिंग सुविधा है, जो जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ के लिए उपयोग की जाती है. पाक-आईएसआई की सरकारी इमारतों में आतंकी ढांचे को छिपाने की सुनियोजित रणनीति के तहत, सर्जल सुविधा सर्जल क्षेत्र के तहरा कलां गांव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के परिसर से संचालित की जा रही है. यह जैश सुविधा जम्मू के सांबा सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 06 किमी की निकटता के कारण विशेष महत्व रखती है. यह सुविधा आतंकियों की घुसपैठ के लिए सीमा पार सुरंग खोदने का आधार है. यह ड्रोन के लिए लॉन्चिंग बेस के रूप में भी कार्य करता है, जिसके माध्यम से हथियार/गोला-बारूद/नशीले पदार्थ और युद्ध सामग्री भारतीय क्षेत्र में गिराए जाते हैं. जैश आतंकी मोहम्मद अदनान अली @ डॉक्टर और काशिफ जान नियमित रूप से इस सुविधा का दौरा करते हैं और जैश के वास्तविक प्रमुख मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर इस सुविधा के समग्र संचालन की निगरानी करते हैं. यह सुविधा जैश द्वारा आतंकियों की घुसपैठ और हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी के लिए सक्रिय रूप से उपयोग की जा रही है.
महमूना जोया, सियालकोट (HM): पाक-आईएसआई द्वारा सरकारी इमारतों में आतंकी सुविधाएं स्थापित करने का एक और उदाहरण, हिजबुल मुजाहिदीन की महमूना जोया सुविधा भुट्टा कोटली सरकारी परिसर में स्थित है. इस सुविधा का उपयोग जम्मू क्षेत्र में हिजबुल कैडरों की घुसपैठ के लिए किया जाता है. हिजबुल कैडरों को इस सुविधा पर वरिष्ठ कमांडरों द्वारा आतंकी संचालन और हथियार संचालन के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है. मोहम्मद इरफान खान, जिन्हें इरफान टांडा के नाम से भी जाना जाता है, इस हिजबुल सुविधा का कमांडर है. इस सुविधा पर किसी भी समय आमतौर पर 20-25 आतंकी मौजूद रहते हैं, जो घुसपैठ की कोशिशों और भारत में आतंकी गतिविधियों की निगरानी करते हैं.
मरकज अहले हदीस बरनाला, भिंबर (LeT): PoJK में स्थित यह लश्कर का प्रमुख केंद्र है, जहां से पुंछ-राजौरी क्षेत्र में घुसपैठ की साजिश रची जाती है. कोटे जामेल रोड पर बरनाला शहर के बाहरी इलाके में स्थित, यह पीओजेके में लश्कर का प्रमुख मरकज है और इसका उपयोग पुंछ-राजौरी-रियासी सेक्टर में लश्कर आतंकियों और हथियारों/गोला-बारूद की घुसपैठ के लिए किया जाता है. यह मरकज भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ से पहले लश्कर आतंकियों के लिए मंचन केंद्र के रूप में भी उपयोग किया जाता है. यह 100-150 कैडरों को समायोजित कर सकता है. लश्कर के आतंकी ऑपरेटिव कासिम गुज्जर @ महरोरे, कासिम खांडा और अनस जरार इस मरकज से संचालित होते हैं और इसके आसपास रहते हैं. लश्कर के परिचालन कमांडर लश्कर/जमात-उद-दावा/जम्मू-कश्मीर यूनाइटेड मूवमेंट की आतंकी गतिविधियों को व्यवस्थित करने और निगरानी करने के लिए इस मरकज का दौरा करते हैं.
मरकज अब्बास, कोटली (JeM): कोटली में स्थित जैश का एक महत्वपूर्ण आतंकी सुविधा. हाफिज अब्दुल शकूर @ कारी जर्रार, जैश परिषद का ‘शूरा सदस्य’ और जैश के शीर्ष कमांडर मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर का करीबी सहयोगी, इस मरकज का प्रमुख है. कारी जर्रार जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों की योजना और निष्पादन में सीधे तौर पर शामिल है और भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा वांछित है. मरकज अब्बास लगभग 100-125 जैश कैडरों को समायोजित कर सकता है. पुंछ-राजौरी सेक्टरों से कैडरों की घुसपैठ सहित जैश की आतंकी गतिविधियां इस सुविधा से नियोजित और निष्पादित की जाती हैं.
मस्कर रहील शाहिद, कोटली (HM): हिजबुल का यह पुराना ठिकाना पहाड़ी युद्ध और स्नाइपिंग की ट्रेनिंग के लिए जाना जाता है. हिजबुल की सबसे पुरानी सुविधाओं में से एक. यह लगभग 150-200 हिजबुल आतंकियों को समायोजित कर सकती है. हिजबुल आतंकी विशेष रूप से हथियार गोलीबारी प्रशिक्षण और विशेष शारीरिक प्रशिक्षण लेने के लिए इस सुविधा का दौरा करते हैं. पारंपरिक हथियार/शारीरिक प्रशिक्षण प्रदान करने के अलावा, यह शिविर बीएटी/स्नाइपिंग कार्रवाइयों और पहाड़ी क्षेत्र में युद्ध और जीवित रहने के प्रशिक्षण में कैडरों को प्रशिक्षित करने में विशेषज्ञता रखता है.
शवई नल्लाह कैंप, मुजफ्फराबाद (LeT): इसे बैत-उल-मुजाहिदीन के नाम से भी जाना जाता है, यह मुजफ्फराबाद-नीलम रोड पर चेलाबंदी पुल के पास, मुजफ्फराबाद, पीओजेके में स्थित है. यह लश्कर का सबसे महत्वपूर्ण शिविर है. 26/11 मुंबई हमले के हमलावरों, जिसमें अजमल कसाब शामिल था, ने इस शिविर में आतंकी प्रशिक्षण प्राप्त किया था. यह शिविर लश्कर कैडरों की भर्ती, पंजीकरण और प्रशिक्षण के लिए उपयोग किया जाता है और यह 2000 की शुरुआत से कार्यरत है. इसका उपयोग दौरा-ए-आम प्रशिक्षण देने के लिए आधार शिविर के रूप में किया जाता है, जिसमें धार्मिक उन्माद, शारीरिक प्रशिक्षण, जीपीएस उपयोग, नक्शा पढ़ने और राइफल्स और ग्रेनेड के लिए हथियार प्रशिक्षण शामिल हैं. पाक-आईएसआई भी पाक सेना के प्रशिक्षकों को प्रदान करके लश्कर आतंकियों को हथियार प्रशिक्षण देने में सहायता करता है. यह एक बड़ा प्रशिक्षण शिविर है जो एक समय में 200-250 लश्कर कैडरों को समायोजित कर सकता है. इस शिविर का उपयोग भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ से पहले लश्कर आतंकियों के लिए मंचन शिविर के रूप में भी किया जाता है. यहां डेरा डाले लश्कर आतंकियों को उत्तरी कश्मीर के सामने स्थित लॉन्चिंग सुविधाओं में भेजा जाता है.
मरकज सय्यदना बिलाल, मुजफ्फराबाद (JeM): पीओजेके में जैश का मुख्य केंद्र, जो मुजफ्फराबाद में रेड फोर्ट के सामने स्थित है. इस सुविधा का उपयोग जम्मू-कश्मीर में लॉन्चिंग से पहले जैश आतंकियों के लिए ट्रांजिट कैंप के रूप में किया जाता है. किसी भी समय इस सुविधा में 50-100 कैडर रहते हैं. जैश का परिचालन कमांडर और पीओजेके में जैश प्रमुख, मुफ्ती असगर खान कश्मीरी इस सुविधा का प्रभारी है. अब्दुल्ला जिहादी @ अब्दुल्ला कश्मीरी और आशिक नेनग्रू (भारतीय भगोड़ा) भी इस केंद्र से संचालित होते हैं. पाक सेना की विशेष सेवा समूह (एसएसजी) के कमांडो भी इस सुविधा पर जैश कैडरों को प्रशिक्षण देते हैं.
भारतीय सेना का शानदार प्रदर्शन
ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने संयुक्त रूप से हिस्सा लिया. विशेष परिशुद्ध हथियारों का उपयोग कर इन ठिकानों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया. सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रातभर इस ऑपरेशन पर नजर रखी और सेना को पूर्ण समर्थन दिया.
आतंकवाद के खिलाफ भारत का सख्त संदेश
इस ऑपरेशन ने न केवल पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को करारा जवाब दिया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. यह कार्रवाई भारत की सैन्य ताकत और आतंकवाद के खिलाफ उसकी दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रतीक है.

