3 सितंबर को है “अजा एकादशी”, जानिए क्या है इसकी महत्ता

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| हिन्दु मान्यताओं के अनुसार, हर महीने में दो एकादशी होती हैं. एक कृष्ण पक्ष की एकादशी और दूसरी शुक्ल पक्ष की एकादशी. 2021 में इस बार कुल 25 एकादशी पड़ रही हैं.
अभी भादों मास या भाद्रपद चल रहा है. हिंदी पंचांग में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की एकादशी को “अजा एकादशी” (Aja Ekadashi) और शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं.
“अजा” का शाब्दिक अर्थ होता है “जिसका जन्म न हो”. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु के श्रीहरि रूप की पूजा करने से अतीत में किए गए सभी पापों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है. इसी संदर्भ में भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रह्मवैवर्त पुराण में “अजा एकादशी” की महिमा का वर्णन युधिष्ठिर से किया था. इसका तात्पर्य यह बताना था कि इस व्रत के प्रभाव से कर्मों के प्रभाव और जन्म-मरण के दुष्चक्र से मुक्ति मिल जाती है.
इस साल कब है “अजा एकादशी” का व्रत और इसका शुभ मुहूर्त –
अजा एकादशी तिथि प्रारंभ 02 सितम्बर 2021 को सुबह 06:21 बजे
एकादशी तिथि समाप्त 03 सितम्बर 2021 को सुबह 07:44 बजे
अजा एकादशी व्रत पारण 04 सितंबर 2021 दिन शनिवार को सुबह 05:30 बजे से सुबह 08:23 मिनट तक.
“अजा एकादशी” की व्रत कथा
“अजा एकादशी” के व्रत के बारे में कहा जाता है कि प्राचीनकाल में चक्रवर्ती राजा हरिशचंद्र ने परिस्थिति जन्य कारणों के चलते अपना सारा राज्य व धन त्याग करते हुए स्त्री, पुत्र तथा स्वयं को बेच दिया. राजा हरिशचंद्र डोम का दास बनकर सत्य को अंगीकृत करते हुए मृतकों का वस्त्र धारण करता और उनसे कर वसूलता रहा. मगर कोई भी स्थिति उसे सत्य से विचलित नहीं कर पाई.
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कई वर्ष बीत जाने के बाद एक दिन राजा हरिशचंद्र चिंतित बैठे हुए थे. तभी गौतम ऋषि आ गए. राजा ने उन्हें प्रणाम किया और अपनी सारी दुखभरी कहानी सुनाई. गौतम ऋषि ने राजा को अजा एकादशी का व्रत रखने की बात कही.
उसके बाद राजा हरिशचंद्र ने ऋषि के बताये के अनुसार पूर्ण निष्ठा और विधिपूर्वक व्रत रखा. उस व्रत के प्रभाव से राजा के समस्त पाप नष्ट हो गए. उन्हें उनका राज्य पुनः मिल गया और अंत में वह अपने परिवार सहित स्वर्ग को पधार गए.