आज तिब्बतियों का 2148वां नववर्ष उत्सव ‘लोसर’; बौद्ध भिक्षुओं ने की विशेष पूजा
बोधगया (TBN – The Bihar Now डेस्क)| तिब्बती कैलेंडर के अनुसार गुरुवार को तिब्बतियों के नए साल का पहला दिन है. इस दिन को ‘लोसर’ उत्सव के नाम से जाना जाता है जिसे वे तीन दिनों तक मनाते हैं. गुरुवार को बोधगया में इस तीन दिवसीय (Tibetans begin three-day ‘Losar’ festival in Bodh Gaya) पर्व की शुरुआत हुई तथा बौद्ध भिक्षुओं (Buddhist monks) ने विशेष पूजा की. तिब्बती कैलेंडर के मुताबिक आज 2148वां वर्ष है.
गुरुवार को ‘लोसर’ के उपलक्ष्य में बोधगया स्थित तिब्बती बौद्ध मठ में आयोजित इस विशेष पूजा में विश्वशांति की कामना की गई. यहां आयोजित इस कार्यक्रम में शामिल तिब्बती लोगों ने नाच गाकर खुशियां मनाई.
तीन दिनों तक चले वाले इस पर्व को लेकर तिब्बती बौद्ध मंदिर में विशेष तैयारी की गई है. साथ ही, बोधगया के सभी तब्बिती बौद्ध मोनेस्ट्री (Tabiti Buddhist Monastery) एवं करमापा बौद्ध मठ (Karmapa Buddhist Monastery) को सजाया गया है. पांच मार्च को विशेष पूजा के साथ यह पर्व संपन्न होगा.
गुरुवार सुबह महाबोधि मंदिर में पूजा-अर्चना कर तिब्बतियों ने नव वर्ष का स्वागत किया. श्रद्धालुओं ने विशेष पूजा संपन्न किया और सभी की खुशहाली के लिए प्रार्थना किया. तीन दिनों तक चलने वाले लोसर में धर्म रक्षक के रूप में माने जाने वाली देवी पाल्डेन ल्माहो (Goddess Palden Lhamo) को धार्मिक प्रसाद चढ़ाते हैं.
इस अवसर पर तिब्बती युवक दसंग ने बताया कि यह उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है. इस दिन लोग पूजा में शामिल होते हैं और पूजा समापन के बाद लोग अपने अपने अनुसार खुशियां मनाते हैं. यह दीपावली जैसा त्यौहार होता है.
वहीं, तिब्बती बौद्ध मठ के प्रभारी भंते आमजी लामा (Bhante Aamji Lama, In-charge of Tibetan Buddhist Monastery, Gaya) ने बताया कि कोरोना काल के कारण 2 वर्षों के बाद पहली बार यहां लोसर धूमधाम से मनाया जा रहा है. बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा सुख, शांति और समृद्धि के लिए विशेष पूजा और प्रार्थना की गई है. साथ ही लोगों के बीच प्रसाद आदि का वितरण किया गया.
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तिब्बती नया साल ‘लोसर’
बताते चलें, तिब्बती समुदाय का अपने धर्म के प्रति अगाध आस्था और विशिष्ट रीति रिवाज हैं. वे अपना नया साल लोसर पर्व धूमधाम से मनाते हैं. इस अवसर पर वे फसलों के पकने या आजीविका के साधन की सामग्री को ईश्वर को समर्पित कर उसकी पूजा अर्चना करते हैं. इस दिन वे नकारात्मक विचारों को छोड़ने का संकल्प लेते हैं. लोसर उत्सव में तिब्बती अपनी पांरपरिक वेश भूषा में प्रार्थना सभा में शामिल होते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं. साथ ही, पारंपरिक तिब्बती लोक गीतों पर नृत्य भी करते हैं.