मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांडः शुरू हुआ सरकारी खर्च पर IGIMS में संक्रमितों का इलाज

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| मुजफ्फरपुर आई अस्पताल (Muzaffarpur Eye Hospital) में कथित रूप से हुए मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद आँखों में संक्रमण की समस्या से ग्रसित मरीजों का इलाज पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान ( IGIMS) में सरकारी खर्च पर शुरू कर दिया गया है. अपनी आंख गवां देने वाले मरीजों के लिए यहां 16 बेड की भी व्यवस्था की गई है.
इसकी जानकारी देते हुए इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के अधीक्षक डॉ मनीष मंडल ने कहा कि यहां मुजफ्फरपुर से आए उन मरीजों का मुफ़्त इलाज किया जाएगा, जिनकी आंखों में कहीं न कहीं मोतियाबिंद के ऑपरेशन के दौरान गड़बड़ी हुई है. उन्होंने बताया कि संस्थान में ऐसे मरीजों के ऑपरेशन की तैयारी कर ली गई है और यहां 16 बेड लगाए गए हैं.
डॉ मंडल ने कहा, “सरकार ने निर्देश दिया है और हम लोगों ने उस निर्देश के अनुसार तैयारी भी कर ली है. हमारे अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ की एक टीम बनाई गयी है. आठ डॉक्टरों की टीम है, जो आंख का इलाज करेंगे. इन सब मरीजों का यहां पर मुफ्त में इलाज होगा. साथ ही मरीज के साथ जो परिजन आएंगे, उन्हें रहने और खाने की भी सुविधा सरकार की तरफ से फ्री में दी जाएगी. 6 मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं”.
वहीं संस्थान के नेत्र रोग विभाग के एचओडी डॉ विभूति भूषण ने कहा कि ‘ऐसी घटना आंख के ऑपरेशन के समय में होती है. लेकिन यह बड़ी घटना है. यह किस तरह हुआ, क्यों हुआ, जब हमारे पास मरीज आएंगे, तब ही हम बता सकते हैं. फिलहाल हम लोगों ने अपनी तैयारी कर ली है. यहां पर 16 बेड लगाए गए हैं. सभी बेड ऑक्सीजन युक्त हैं. किसी भी तरह की दिक्कत अगर मरीजों को होगी, तो उसके इलाज के लिए हम लोग तैयार हैं. हम लोगों ने एक टीम बनाई है और वो टीम पूरी तरह से मुजफ्फरपुर से आए हुए हैं. ऐसे मरीजों को देखने को तैयार हैं, जो मोतियाबिंद के ऑपरेशन के दौरान अपनी आंख की रोशनी खो चुके हैं या आंख में कोई गड़बड़ी हुई है. हमें उम्मीद है कि हम ऐसे मरीजों को ठीक कर लेंगे.’
बता दें, बीते 22 नवंबर को जोरन छपरा स्थित मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में 65 लोगों की मोतियाबिंद का मुफ्त ऑपरेशन (Free Cataract Operation Camp in Muzaffarpur Eye Hospital) हुआ था. दूसरे दिन आंखों से पट्टी खुलने के बाद पीड़ितों ने बताया कि उन्हें ऑपरेशन वाली आंखों से दिखाई नहीं दे रहा था. उसके बाद से ही ये सभी पीड़ित उस अस्पताल के डॉक्टर के पास चक्कर काट रहे थे. जब इसकी शिकायत जिला सिविल सर्जन के पास पहुंची, तब मामला सार्वजनिक हुआ.
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सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस मामले में अभी तक 15 मरीजों की आंखें निकाली जा चुकी हैं जबकि 10 मरीजों की आंखों में हुए संक्रमण का इलाज चल रहा है. इलाज के बाद अभी भी कई लोगों की संक्रमित आंखों को निकाला जा सकता है.
इधर सिविल सर्जन डॉ. विनय कुमार शर्मा के बयान पर ब्रह्मपुरा थाने में आई हॉस्पिटल प्रशासन के खिलाफ केस दर्ज (Case filed against Muzaffarpur eye hospital) किया गया है. अस्पताल प्रशासन पर बड़ी लापरवाही बरतने का आरोप लगा है. इन लोगों पर एफआईआर की गई है – हॉस्पिटल के सचिव दिलीप जलान, प्रबंधक दीपक कुमार, आंख के आपरेशन करने वाले डॉक्टर डॉ. एनडी साहू, डॉ. निरूपमा, डॉ. समीक्षा और यक्षु सहायक बबीता कुमारी, बिल्टू कुमार, सरस्वती रानी, विकास कुमार, भावना वर्मा, अनूप कुमार, साहिन प्रवीण, सौरभ कुमार व उमाशंकर सिंह. इस अस्पताल को फिलहाल बंद कर दिया गया है.