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ब्रेकिंग: संगीत सम्राट पंकज उधास का लंबी बीमारी के बाद निधन

मुंबई (TBN – The Bihar Now डेस्क)| प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंकज उधास का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. लंबी बीमारी के बाद उन्होंने सोमवार 26 फरवरी को अंतिम सांस ली, पंकज उधास की बेटी नायाब उधास ने एक पोस्ट शेयर कर लिखा – ‘बहुत दुख के साथ हमें ये आपको बताना पड़ रहा है कि पद्मश्री पंकज उधास का 26 फरवरी 2024 को निधन हो गया है. वो लंबे समय से बीमार थे.’ इसके अलावा पंकज उधास के PR ने भी बताया कि सिंगर का निधन 26 फरवरी की सुबह करीबन 11 बजे ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ. उनकी तबीयत कई दिनों से ठीक नहीं थी.

पंकज उधास की बेटी नायाब उधास ने अपने पिता के निधन के खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि वह लंबी बीमारी से जूझ रहे थे. वहीं उनके अच्छे दोस्त, गायक अनूप जलोटा ने एक मीडिया से बातचीत में विशेष रूप से पुष्टि की कि पंकज उधास कैंसर से जूझ रहे थे. पंकज को पैंक्रियाज का कैंसर था और अनूप ने बताया कि उन्हें इसके बारे में पिछले पांच से छह महीने से पता था.

ग़ज़ल सम्राट के निधन के बारे में बात करते हुए अनूप ने कहा, “लोगों ने पंकज उधास को खो दिया है, लेकिन मैंने आज एक बहुत प्रिय दोस्त खो दिया है. हम 45 साल तक दोस्त रहे. हम साथ में खूबसूरत शामें बिताते थे. उन दिनों पंकज, मैं और तलत अज़ीज़ मशहूर थे. हम साथ मिलकर काम करते थे.”

17 मई 1951 को जन्मे उन्होंने संगीत की दुनिया पर अमिट छाप छोड़ी. पंकज उधास को, जिन्हें संगीत उद्योग, विशेषकर ग़ज़ल गायन के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जाना जाता है. उधास, जिनका करियर कई दशकों तक चला, अपनी मखमली आवाज़ और अपने संगीत के माध्यम से गहरी भावनाओं को जगाने की क्षमता के लिए जाने जाते थे. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1980 में अपने ग़ज़ल एल्बम “आहट” की रिलीज़ के साथ की और कई हिट गाने रिकॉर्ड किए, और “नशा” और “शगुफ्ता” जैसे एल्बमों के साथ संगीत जगत में एक अमिट छाप छोड़ी.

अपने शानदार करियर के दौरान पंकज उधास को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जो संगीत उद्योग पर उनके महत्वपूर्ण प्रभाव को दर्शाता है. विशेष रूप से, ग़ज़ल गायन में उनके उत्कृष्ट योगदान और कैंसर रोगियों और थैलेसीमिक बच्चों के प्रति उनके परोपकारी प्रयासों के लिए उन्हें 2006 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. उनके काम को न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर मनाया गया, जैसा कि प्रतिष्ठित एमटीवी इमीज़ अवार्ड और इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी अवार्ड सहित दुनिया के विभिन्न कोनों से उन्हें मिले विभिन्न पुरस्कारों और सम्मानों से पता चलता है.

उधास के संगीत भंडार में कालजयी धुनें शामिल हैं जिन्होंने कई लोगों के दिलों को छू लिया है. उनके सबसे पसंदीदा ट्रैक में से एक हैं “चिट्ठी आई है”, एक दिल को छू लेने वाली ग़ज़ल जो किसी प्रियजन के पत्र से उत्पन्न भावनाओं को व्यक्त करती है. 1980 में उधास को उनकी गजल एल्बम ‘आहट’ से प्रसिद्धि मिली. इस एल्बम की मनमोहक धुनें हमारे दिलों में बस गईं.

“मुकरार,” “तरन्नुम,” और “महफ़िल” जैसी हिट फ़िल्में आईं, प्रत्येक नोट कच्ची भावना से टपकता था. फिल्म “नाम” से “चिठ्ठी आई है” का उनका गायन प्रेम पत्रों और दूर की चाहत का एक गीत बन गया.

“और आहिस्ता किजिये बातें” प्यार के क्षेत्र में धीमी और सौम्य बातचीत के लिए एक मधुर निवेदन है. उनके गाने, जैसे “ना कजरे की धार” और “थोड़ी थोड़ी पिया करो” उनकी बहुमुखी प्रतिभा और उनकी संगीत प्रतिभा की गहराई को दर्शाते हैं.

पंकज उधास को 2006 में प्रतिष्ठित ‘पद्म श्री’ पुरस्कार मिल, जो हिंदी सिनेमा और भारतीय पॉप संगीत में उनके योगदान का प्रमाण है. महान लता मंगेशकर के साथ काम करते हुए उन्होंने फिल्म “घायल” में युगल गीत “माहिया तेरी कसम” को अपनी भावपूर्ण आवाज दी.

पंकज उधास की विरासत उनके संगीत के माध्यम से जीवित रहेगी और दुनिया भर के श्रोताओं की पीढ़ियों को प्रेरित और प्रेरित करती रहेगी. भारतीय संगीत उद्योग में उनके योगदान और ग़ज़ल शैली पर उनके प्रभाव ने संगीत में महान हस्तियों में से एक के रूप में उनकी जगह पक्की कर दी है.

देश के सूचना मंत्री अनुराग ठाकुर ने X पर पोस्ट कर पंकज उधास के निधन पर शोक व्यक्त किया और लिखा – “पंकज उधास जी के निधन की खबर से गहरा दुख हुआ. उनके 4 दशकों से अधिक के करियर ने हमारे संगीत उद्योग को समृद्ध किया और हमें गज़लों की कुछ सबसे यादगार और मधुर प्रस्तुतियाँ दीं. उनका निधन हमारे संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है. इस कठिन समय में उनके परिवार, दोस्तों और अनुयायियों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना. उसकी आत्मा को शांति मिलें.”