‘तारीख-पे-तारीख’ युग का हुआ अंत : गृह मंत्री अमित शाह
नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने गुरुवार को कहा कि औपनिवेशिक युग के आपराधिक कानूनों को बदलने वाले तीन विधेयक न केवल भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ बनाएंगे, बल्कि ‘तारीख-पे-तारीख प्रणाली’ को भी खत्म कर देंगे.
आतंकवाद, मॉब लिंचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों के लिए दंड को और अधिक सख्त बनाने वाले विधेयक को संसद द्वारा मंजूरी दे दी गई.
शाह ने संसद के उच्च सदन में विधेयकों पर बहस के दौरान कहा कि एक बार लागू होने के बाद, ये कानून तारीख-पे-तारीख युग का अंत सुनिश्चित करेंगे और तीन साल के भीतर न्याय मिलेगा.
ध्वनि मत से तीनों विधेयक पारित
अधिकांश विपक्षी सांसदों की अनुपस्थिति में राज्यसभा में ध्वनि मत से तीन विधेयक पारित किए गए क्योंकि कई को अनियंत्रित व्यवहार के लिए निलंबित कर दिया गया था, जबकि वे 13 दिसंबर को संसद सुरक्षा उल्लंघन पर चर्चा के लिए दबाव डाल रहे थे. लोकसभा ने बुधवार को इन विधेयकों को मंजूरी दे दी थी.
आपराधिक न्याय प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत
शाह ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) को निरस्त करने और प्रतिस्थापित करने वाले विधेयक आपराधिक न्याय प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत करेंगे.
भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता [Bharatiya Nyaya (Second) Sanhita], भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता [Bharatiya Nagarik Suraksha (Second) Sanhita]और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक [Bharatiya Sakshya (Second) Bill] अब राष्ट्रपति के पास उनकी सहमति के लिए जाएंगे, जिसके बाद ये कानून बन जाएंगे.
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उन्होंने कहा, ”मुझे गर्व है कि पहली बार भारत की संसद देश की आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए कानून बना रही है, जिसमें पूरी तरह से ‘भारतीय’ आत्मा, शरीर और विचार हैं. इससे देश को 19वीं से 21वीं सदी में छलांग लगाने में मदद मिलेगी.
विधेयक की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए शाह ने कहा कि पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया गया है और इसे दंडनीय अपराध बनाया गया है.
शाह ने कहा, “जो लोग पूछते हैं कि इन कानूनों के बाद क्या होगा, मैं कहना चाहता हूं कि कई दशकों तक शासन करने के बाद भी उनके पास आतंकवाद की परिभाषा नहीं थी. नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi government) ने आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखाया है और इन कानूनों में इसकी परिभाषा दी है.”
7 साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों में फोरेंसिक अनिवार्य
उन्होंने कहा कि सात साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों में फोरेंसिक को अनिवार्य बनाया जाएगा. विधेयकों का इरादा “न्याय प्रदान करना है न कि सजा देना”
गृह मंत्री ने कहा कि ब्रिटिश काल के विपरीत, जब इन कानूनों का मुख्य उद्देश्य शासन के खिलाफ जाने वाले लोगों को दंडित करना था, इन तीन विधेयकों का इरादा “न्याय प्रदान करना है न कि सजा देना”.
यह कहते हुए कि राजद्रोह कानून को खत्म कर दिया गया है, उन्होंने कहा कि नया कानून देश की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ कृत्यों के लिए सजा का प्रावधान करता है, लेकिन राज्य की आलोचना के खिलाफ नहीं. उन्होंने कहा, “ये देश की रक्षा के लिए हैं, किसी व्यक्ति या सरकार की नहीं.”
गृहमंत्री ने कहा, “अब ‘राजद्रोह’ ‘देशद्रोह’ में बदल गया है और देश के खिलाफ जाने वालों के लिए कड़े प्रावधान बनाए गए हैं. हमने ‘राजद्रोह’ की अंग्रेजी अवधारणा को समाप्त कर दिया है. अगर कोई देश के खिलाफ बोलता है या इसके हित के खिलाफ काम करता है तो उसे कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा.”
तीन साल के भीतर न्याय
शाह ने कहा, “एक बार ये कानून लागू हो गए तो ‘तारीख पे तारीख’ का युग खत्म हो जाएगा और तीन साल के भीतर न्याय मिलेगा.”
शाह ने कहा कि नए कानून सुनिश्चित करते हैं कि सभी पुलिस स्टेशनों और अदालतों को एकीकृत और डिजिटल किया जाएगा और उम्मीद जताई कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ पूरी तरह से डिजिटल होने वाला पहला राज्य होगा.
कांग्रेस पर हमला
कांग्रेस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 75 वर्षों में से 60 वर्षों तक सत्ता में रहने के दौरान सबसे पुरानी पार्टी ने बड़े पैमाने पर राजद्रोह कानून का इस्तेमाल किया, लेकिन जैसे ही वह सत्ता से बाहर हुई, उसने इसे हटाने की मांग की.
उन्होंने कहा, “कांग्रेस कभी भी राजद्रोह कानून को खत्म नहीं करना चाहती थी. यह मोदी सरकार है जो इसे हमेशा के लिए खत्म कर रही है.”
शाह ने कहा, “मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि मोदी सरकार ने उन प्रावधानों को हटा दिया है जिनके तहत गांधी, तिलक और सावरकर जेल गए थे.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में इन कानूनों को दरकिनार कर इसकी प्रतिष्ठा बढ़ाने में मदद की है.
विपक्षी कांग्रेस की अनुपस्थिति ने उन्हें पार्टी पर कटाक्ष करने से नहीं रोका, क्योंकि उन्होंने कहा कि जो लोग “इटालियन चश्मा” पहनते हैं वे भारतीय संसद द्वारा नए आपराधिक कानून बनाने पर गर्व नहीं कर सकते.
उनका तंज पार्टी की पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी पर था, जो इटालियन मूल की हैं.
शाह ने कहा कि पुराने कानून 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश शासन की रक्षा के लिए बनाये गये थे.
उन्होंने कहा कि इन कानूनों का उद्देश्य केवल ब्रिटिश शासन की रक्षा करना था. इसमें भारतीय नागरिकों की सुरक्षा, सम्मान और मानवाधिकारों की कोई सुरक्षा नहीं थी.
“हमने देशद्रोह की अंग्रेजी प्रथा को खत्म कर दिया है. अब कोई भी सरकार के खिलाफ बोल सकता है क्योंकि हर किसी को बोलने की आजादी है. लेकिन आप देश के खिलाफ नहीं बोल सकते. अगर आप देश के खिलाफ बोलते हैं, अगर आप देश के संसाधनों को नुकसान पहुंचाते हैं, तो कड़ी से कड़ी सज़ा मिलेगी,” शाह ने कहा.
बहस के दौरान जवाब देते हुए शाह ने कहा कि एक बार नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे तो एफआईआर दर्ज करने से लेकर फैसले तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी.
महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कोई समझौता नहीं
गृह मंत्री ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कोई समझौता नहीं किया जाएगा और मोदी सरकार यौन उत्पीड़न के प्रति संवेदनशील है. इन कानूनों में पहली बार सामुदायिक सेवा का प्रावधान शामिल किया गया है. उन्होंने कहा कि संगठित अपराध में शामिल लोगों के खिलाफ भी प्रावधान हैं.
उन्होंने कहा कि जो लोग अपराध करने के बाद देश से भाग गए, उन पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया जाएगा और दंडित किया जाएगा.
शाह ने कहा कि विधेयकों पर शायद अब तक का सबसे व्यापक विचार-विमर्श हुआ और विधेयकों की जांच करने वाली संसदीय स्थायी समिति की 72 प्रतिशत सिफारिशें स्वीकार कर ली गईं.
मॉब लिंचिंग में संलिप्त को मृत्युदंड
नए प्रावधानों के बारे में विस्तार से बताते हुए शाह ने कहा कि मॉब लिंचिंग को मृत्युदंड के साथ दंडनीय बना दिया गया है.
उन्होंने कहा, “हम पर मॉब लिंचिंग को बचाने का आरोप लगाया गया था. लेकिन आपने (कांग्रेस) कानून नहीं बनाया, हमने बनाया है. किसी इंसान की हत्या से बड़ा कोई अपराध नहीं है और इससे सख्ती से निपटा जाएगा.” बता दें, मोदी सरकार के दौरान लिंचिंग के मामले हुए हैं.
उन्होंने कहा कि ई-अदालतों, ई-जेलों और ई-अभियोजन की प्रक्रिया पूरी हो गई है और मुकदमे भी ऑनलाइन आयोजित किए जा सकते हैं.
शाह ने कहा कि हिट-एंड-रन मामलों में 10 साल की कैद की सजा होगी, जबकि सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में नरम रुख अपनाया जाता है, जहां आरोपी पीड़ितों को अस्पताल ले जाता है.
विधेयक में एफआईआर दर्ज करने से लेकर जांच और आरोप पत्र दाखिल करने तक की समयसीमा का प्रावधान है.
शाह ने कहा कि अब बम विस्फोटों या आर्थिक अपराधों में शामिल आरोपियों जैसे अपराध करने के बाद छिपने वाले आरोपियों की अनुपस्थिति में सुनवाई होगी.
30 दिनों के दया याचिका दायर करने का प्रावधान
शाह ने कहा कि दया याचिका दायर करने के लिए एक समय सीमा भी निर्धारित की गई है और केवल मौत की सजा पाए लोग ही ऐसी याचिका दायर कर सकते हैं और वह भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा सजा की पुष्टि करने के 30 दिनों के भीतर और कोई भी ऐसी याचिका दायर नहीं कर सकता है.
गृह मंत्री ने कहा कि नए कानून झूठे वादे या शादी के बहाने यौन संबंध स्थापित करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करते हैं.
घोषित अपराधियों की संपत्ति जब्त करने का प्रावधान किया गया है. उन्होंने कहा, छोटे-मोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा प्रदान की गई है जिससे जेलों पर दबाव कम होगा.
शाह ने कहा कि अब शिकायत मिलने के तीन दिनों के भीतर एफआईआर दर्ज करनी होगी और प्रारंभिक जांच 14 दिनों के भीतर समाप्त करनी होगी.
उन्होंने कहा कि न्यायाधीश 45 दिनों से अधिक समय तक फैसला सुरक्षित नहीं रख सकेंगे और आरोपियों को बरी करने के लिए याचिका दायर करने के लिए सात दिन का समय मिलेगा.
शाह ने कहा, जज को उन सात दिनों में सुनवाई करनी होगी और अधिकतम 120 दिनों में मामले की सुनवाई होगी.