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TET STET शिक्षकों ने मनाया राज्यव्यापी संकल्प दिवस

प्रदेशभर में टीइटी एसटीइटी शिक्षकों ने मनाया संकल्प दिवस
संकल्पपत्र का किया पाठ – सरकार को उसी की भाषा में जवाब देंगे शिक्षक
शिक्षकों को बंधुआ मजदूर समझनेवाली सरकार को सबक सिखाने का लिया संकल्प
सेवाशर्त के जरिये शिक्षकों को बंधुआ बनाये रखना चाहती राज्य सरकार
शोषण और हकमारी के खिलाफ “बदला लो बदल डालो” का लिया संकल्प
सहायक शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा तदनुरूप सेवाशर्त टीइटी एसटीइटी शिक्षकों का हक

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क) | बिहार सरकार द्वारा पारित सेवाशर्त पर बिहार के नियोजित शिक्षकों की नाराजगी लागातार बढती ही जा रही है . शिक्षक अब खुलकर सेवाशर्त को शिक्षकविरोधी बताते हुए आंदोलन की राह पर हैं. शोषणमूलक सेवाशर्त के खिलाफ बिहार के टीइटी एसटीइटी शिक्षकों ने राज्यव्यापी संकल्प दिवस मनाया.

प्रदेश के तमाम सरकारी विद्यालयों में काली पट्टी बांधकर काम करते हुए शिक्षकों ने शोषण और हकमारी के खिलाफ “बदला लो बदल डालो” का संकल्प भी लिया. नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए बहुप्रतीक्षित सेवाशर्त को सूबे के टीइटी एसटीइटी शिक्षक बंधुआकरण का दस्तावेज बता रहे हैं.

शिक्षकों का कहना है कि सेवाशर्त में ऐच्छिक स्थानान्तरण, फुलफ्रेज इपीएएफ, अर्जितावकाश, ग्रेच्युटी, बीमा, मेडिकल समेत टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षकों की महत्वपूर्ण मांगों को दरकिनार कर दिया गया है. जहां ऐच्छिक स्थानान्तरण का लाभ शिक्षिकाओं एवं विकलांगों के लिए केवल एकबार रखा गया है वहीं म्युचअल स्थानान्तरण के नाम पर शिक्षकों को भ्रमित करने की कोशिश की गई है. अर्जितावकाश भी राज्यकर्मियों को तीन सौ दिनों का मिलता है वही नियोजित शिक्षकों को महज 110 दिनों का दिया गया है.

टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के प्रदेश अध्यक्ष मार्कंडेय पाठक एवं प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पाण्डेय ने कहा कि स्थानीय निकायों के जरिये कमतर वेतन और शोषणप्रद शर्तों पर शिक्षकों के नियोजन प्रक्रिया को समाप्त करने और उसकी जगह समुचित सरकार के द्वारा केंद्रीकृत नियुक्ति के लिए शिक्षक लागातार आंदोलनरत रहे हैं. लेकिन सरकार ने शिक्षकों को बंधुआ बनाये रखने की साजिश के तहत टीइटी एसटीइटी शिक्षकों को उनके वाजिब सेवाशर्त से बेदखल किया है.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाये गये इपीएफ संशोधन कानून के आलोक में मूल वेतन पर इपीएफ कटौती के बजाय मिनिमम वेज पर इपीएफ की कटौती करते हुए शिक्षकों के इपीएफ के पर भी कतर दिये गये हैं. अनुकंपा के नाम पर आश्रितों के लिए मस्टररॉल टाइप अनुसेवी और विद्यालय सहायक जैसे मानदेयी पद गढ़े गये हैं जिनसे एक परिवार का मिनिमम गुजारा संभव नही. ग्रेच्युटी बीमा एवं मेडिकल आदि सुविधाओं का तो जिक्र तक नही है. प्रोन्नति एवं पदौन्नति जैसे मसले पर RTE और NCTE के प्रावधानों की खुली धज्जियां उड़ाकर हम सबके भविष्य से खिलवाड़ किया गया है. डीए में कटौती करते हुए 01 अप्रैल 2021 से 15% वेतनवृद्धि का लालीपाप दिखाया जा रहा है. जबकि सुप्रीमकोर्ट ने पिछले साल ही टीइटी शिक्षकों के लिए बेटर पे स्कैल का सुझाव दिया है. यह सेवाशर्त सर्वोच्च न्यायालय के वेतन संबंधी न्यायिक सुझावों का भी निषेध कर रही है.

संगठन के प्रदेश सचिव अमित कुमार नाजिर हुसैन शाकिर इमाम व प्रदेश मीडिया प्रभारी राहुल विकास कहा कि सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली का ध्वंस करनेवाली और शिक्षकों को उनके वाजिब श्रमिक हकों से वंचित करनेवाली सरकार को उसकी ही भाषा में जवाब देंगे. बिहार की वर्तमान एनडीए सरकार हम शिक्षकों को बंधुआ बनाये रखना चाहती है – हम बंधुआगिरी से मुक्ति के लिए “बदला लो – बदल डालो” के जज्बे के साथ आगे बढ़ेंगे. अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए वर्तमान सरकार को बदलने के लिए एकजूट रहेंगे. प्रदेश भर में टीइटी एसटीइटी शिक्षकों को बंधुआ मजदूर समझनेवाली राज्य सरकार को सबक सिखाने का लिया संकल्प लिया.