नई शिक्षा नीति 2020 शिक्षा के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी – उपमुख्यमंत्री
पटना (TBN – The Bihar NOw डेस्क) | उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को कहा कि 28 सालों के बाद नरेन्द्र मोदी की सरकार ने नई शिक्षा नीति-2020 घोषित किया है जो शिक्षा के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी. वे आईसीएआर (ICAR) सभागार में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व विद्या भारती की ओर से नई शिक्षा नीति-2020 पर आयोजित राज्यस्तरीय निबंध प्रतियोगिता के शुभारंभ समारोह को सम्बोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2 करोड़ ज्यादा बच्चों को शिक्षा के दायरे में लाने, ड्रापआउट रोकने और पाठ्यक्रम के बोझ को कम करने के साथ ही व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति में जीडीपी के कुल खर्च 4.3 को बढ़ा कर 6 प्रतिशत तक करने के लक्ष्य है. उन्होंने बताया कि 5वीं कक्षा तक के बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा दी जाएगी. 3 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों को पहली बार प्री स्कूल शिक्षा से जोड़ा जाएगा. बच्चों को मध्याह्न भोजन के साथ सुबह का जलपान भी दिया जाएगा.
नई नीति में “हाइयर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया” का गठन
शिक्षा की नई शिक्षा नीति में यूजीसी (UGC) तथा एआईसीटी (AICT) वगैरह को खत्म कर ‘हाइयर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया (Higher Education Commission of India)’ के गठन के साथ ही एम.फिल को समाप्त करने की अनुशंसा की गई है. अब उच्च शिक्षा 3 की बजाय 4 वर्ष की होगी. अगर कोई छात्र एक वर्ष पढ़ता है तो उसे सर्टिफिकेट, 2 वर्ष में डिप्लोमा तथा 3 वर्ष पूरा करने पर बैचलर की डिग्री मिलेगी और वह शोध कार्य के साथ चौथा वर्ष पूरा करेगा. छात्र बीच की अवधि में भी अपने विषयों की अदला-बदली कर सकेंगे.
नई शिक्षा नीति-2020 में व्यावसायिक शिक्षा को वर्तमान के 5 फीसदी से बढ़ा कर 2024 तक 50 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य है. मालूम हो कि अमेरिका में जहां 19 से 24 आयुवर्ग के 52 फीसदी, वहीं जर्मनी में 75 फीसदी छात्र व्यावसायिक शिक्षा से छाया हुआ है. शिक्षक बनने वालों के लिए 2030 के बाद चार वर्षीय इंटेग्रेटेड बीएड कोर्स अनिवार्य किया जाएगा. नई शिक्षा नीति देश की संस्कृति, परम्परा और इतिहास से जहां प्रेरित है वहीं दुनिया के साथ संतुलन बनाने में भी सफल साबित होगी.