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छात्रों में बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं पर सुशील मोदी ने जताई चिंता

नई दिल्ली / पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुशील कुमार मोदी (BJP Upper House MP Sushil Modi) ने मंगलवार को छात्रों के बीच आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की. इस मुद्दे के विशेष उल्लेख में उन्होंने राज्यसभा (Rajya Sabha) को बताया कि केवल 2021 में 18 वर्ष से कम उम्र के छात्रों की आत्महत्या के 10,732 मामले सामने आए हैं, जो 2020 से 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.

सुशील मोदी ने उच्च सदन को बताया कि 2021 में, 18 वर्ष से कम आयु के छात्रों के 10,732 आत्महत्या के मामले सामने आए हैं. इसमें पिछले वर्ष की तुलना में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाई गई है. पिछले पांच वर्षों में आईआईटी (IIT), आईआईएम (IIM), एम्स (AMIIS) और अन्य शीर्ष प्रमुख संस्थानों में 75 छात्रों ने आत्महत्या की है. ये मामले चिंताजनक दर से बढ़ रहे हैं.

कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं

उन्होंने आगे कहा कि आत्महत्याओं की उच्च संख्या दर्शाती है कि प्रमुख विश्वविद्यालयों में प्रवेश पाने के लिए छात्रों को कितना गंभीर मानसिक और शारीरिक तनाव से गुजरना पड़ता है. “कोटा (Kota, Rajasthan) में इस साल, पुलिस ने 15 से अधिक आत्महत्याओं की सूचना दी है. आत्महत्याओं की उच्च संख्या उस गंभीर मानसिक और शारीरिक तनाव को दर्शाती है जिससे छात्र प्रमुख विश्वविद्यालयों में प्रवेश पाने के लिए गुजरते हैं. छात्रों को गंभीर शैक्षणिक तनाव का सामना करना पड़ता है और उनमें मेडिकल और इंजीनियरिंग परीक्षाओं में कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं विकसित होती हैं.

भाजपा के उच्च सदन सांसद सुशील मोदी ने आगे कहा कि कोचिंग सेंटरों (coaching centres) में परीक्षाओं में खराब अंकों के कारण कम आत्मसम्मान, माता-पिता की अपेक्षाओं का दबाव, वित्तीय बाधाएं और खराब प्रदर्शन को लेकर कलंक जैसे कारक छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लगातार खराब करने में योगदान करते हैं.

आत्महत्या रोकथाम तंत्र विकसित करने की मांग

उन्होंने कहा, “लगातार शैक्षणिक दबाव के परिणाम बेहद चिंताजनक हैं. इसलिए मैं सरकार से एक व्यापक आत्महत्या रोकथाम तंत्र (suicide prevention mechanism) विकसित करने और इसे मिशन मोड में लागू करने का अनुरोध करता हूं ताकि जल्द से जल्द इस आत्महत्या रोकथाम तंत्र के परिणाम सामने आ सके.

उन्होंने केंद्र सरकार से कोचिंग संस्थानों, स्कूलों और विश्वविद्यालयों में मानसिक स्वास्थ्य सहायता बढ़ाने के लिए सक्रिय पहल करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा, “उपलब्ध पार्षदों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, और छात्रों और पार्षदों के बीच खुले तौर पर संवाद करने के लिए एक तंत्र विकसित किया जाना चाहिए. शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों को लक्षित करते हुए जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए.”

सुशील मोदी ने आगे कहा कि जनता के बीच जागरूकता बढ़ने से आत्महत्या की प्रवृत्ति की शीघ्र पहचान और उपचार में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, “इसलिए, मैं सरकार से इस मामले पर गौर करने का आग्रह करता हूं.”

(इनपुट-एजेंसी)