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नहीं रहीं छठ गीतों की “शारदा”, छठी मैया ने बुला लिया

पटना / नई दिल्ली (The Bihar Now डेस्क)| बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा (Famous folk singer Sharda Sinha) अब इस दुनिया में नहीं रहीं. उन्होंने मंगलवार देर शाम दिल्ली के AIIMS में अंतिम सांस ली. उनकी हालत पिछले कई दिनों से नाजुक चल रही थी. उनके बेटे अंशुमान ने शारदा सिन्हा के निधन की पुष्टि की है.

2017 में उन्हें मल्टीपल मायलोमा नामक कैंसर का पता चला था, जो अस्थि मज्जा को प्रभावित करने वाला कैंसर होता है.

पिछले शनिवार 26 अक्टूबर को शारदा सिन्हा की अचानक तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल (AIIMS, New Delhi) में भर्ती कराया गया था. लोक गायिका को हाल के दिनों में खाने-पीने में काफी कठिनाई हो रही थी. रविवार 4 नवंबर को उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी थी कि उनकी मां की हालत काफी खराब है और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. अंशुमान ने लोगों से उनकी मां शारदा सिन्हा के लिए प्रार्थना करने की अपील की थी.

ज्ञातव्य है, हाल ही में शारदा सिन्हा के पति ब्रज किशोर का 80 साल की उम्र में ब्रेन हैमरेज (brain hemorrhage) से निधन हो गया था. इसी साल शारदा सिन्हा और ब्रज किशोर ने अपनी शादी की 54वीं सालगिरह मनाई थी. शारदा सिन्हा की उम्र 72 साल थी. वह अपने छठ गानों के लिए बिहार के साथ-साथ विदेशों में भी काफी मशहूर थीं.

शारदा सिन्हा, जिनका जन्म 1 अक्टूबर 1952 को हुआ, एक प्रसिद्ध भारतीय लोक और शास्त्रीय गायिका थीं. शारदा सिन्हा मुख्य रूप से मैथिली और भोजपुरी भाषा में गाना गाती थीं और उन्हें “बिहार कोकिला” कहा जाता है. उन्होंने कई क्षेत्रीय गीत गाए थे, जैसे “विवाह गीत” और “छठ गीत”. 1991 में उन्हें संगीत में उनके योगदान के लिए पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. इसके अलावा, 2018 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर उन्हें भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया.

शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के सुपौल जिले के हुलास में हुआ था. उनके ससुराल का घर बेगूसराय जिले के सिहामा गांव में है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मैथिली लोक गीत गाकर की. सिन्हा भोजपुरी, मैथिली, मगही और हिंदी में गाती थीं. प्रयाग संगीत समिति ने इलाहाबाद में बसंत महोत्सव का आयोजन किया, जहां उन्होंने बसंत ऋतु के विषय पर कई गीत प्रस्तुत किए, जिसमें लोक गीतों के माध्यम से बसंत के आगमन को बताया गया. वह नियमित रूप से छठ पूजा के उत्सवों के दौरान प्रदर्शन करती थीं. उन्होंने तब प्रदर्शन किया जब मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम बिहार आए थे.

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने डॉ. (श्रीमती) शारदा सिन्हा को पद्म भूषण पुरस्कार प्रदान किया, यह समारोह राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आयोजित हुआ था.

शारदा सिन्हा ने 2010 में नई दिल्ली के प्रगति मैदान में बिहार उत्सव में प्रदर्शन किया. सिन्हा ने हिट फिल्म “मैंने प्यार किया” (1989) का गाना “कहें तो से सजना” भी गाया था. इसके अलावा “गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट 2” का “तार बिजली” और फिल्म “चारफुटिया छोकरे” का “कौन सी नगरीया” गाना भी गाया.

शारदा सिन्हा, जो छठ पर्व की लोकप्रिय लोक गायिका रहीं, ने 2016 में एक दशक के बाद छठ पर दो नए गीत पेश किए. उनका आखिरी भक्ति गीतों का एलबम 2006 में रिलीज़ हुआ था.

“सुपावो ना मिले माई” और “पहिले पहिले छठी मइया” जैसे गीतों के माध्यम से शारदा लोगों से छठ के दौरान बिहार आने की अपील करती थीं. इस त्योहार के दौरान अन्य छठ गीतों में “केलवा के पात पर उगलन सूरज मल झाके झुके,” “हे छठी मइया,” “हो दिनानाथ,” “बहंगी लचकात जाये,” “रोजे रोजे उगेला,” “सुन छठी माई,” “जोड़े जोड़ें सुपावा” और “पटना के घाट पर” शामिल हैं. ये गीत भले ही पुराने हैं, लेकिन इनकी प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है और छठ भक्त हर साल इन्हें बजाते हैं.

शारदा ने 3 नवंबर 2016 को द टेलीग्राफ को बताया, “संगीत कंपनियों की मनमानी और अच्छे बोलों की कमी ने मुझे अब तक दूर रखा. जब इस साल इन मुद्दों का समाधान हुआ, तो मैंने गानों में अपनी आवाज दी. गानों की शूटिंग में 20 दिन लगे, जो दीवाली के दिन रिलीज हुए.”

सुपावो ना मिले माई (5.57 मिनट) के गीतकार हृदय नारायण झा हैं और पहल पहील छठी माई (6.57 मिनट) के लिए शांति जैन और शारदा ने लिखा. पहल पहील… – निर्माताओं में नीति चंद्रा, नितिन नीरा चंद्रा और अंशुमान सिन्हा शामिल हैं – इसे स्वर शारदा (शारदा सिन्हा म्यूजिक फाउंडेशन), चंपारण टॉकीज और नियो बिहार के बैनर के तहत रिलीज़ किया गया. सुपावो ना मिले माई को स्वर शारदा के बैनर के तहत अंशुमान ने बनाया था.

शारदा सिन्हा का आखिरी एलबम “छठ” पर आधारित “अरग” था, जिसमें आठ गाने हैं. अपने पूरे करियर में उन्होंने टी-सीरीज, एचएमवी और टिप्स द्वारा जारी नौ एलबम में 62 छठ गीत गाए. शारदा ने कहा, “इन गीतों के माध्यम से, मैंने हमारी समृद्ध संस्कृति और परंपरा को बचाने की पूरी कोशिश की है. इसमें एक शहरी समकालीन अनुभव है ताकि लोग इससे जुड़ सकें.”

शारदा ने कुछ हिंदी फिल्म गानों में भी अपनी आवाज़ दी थी जैसे – “कहे तो से सजना” फिल्म (मैंने प्यार किया) में, जिसमें सलमान खान ने अपने करियर की शुरुआत की थी. इसके अलावा उनके और भी गाने हैं जैसे “हम आपके हैं कौन”, अनुराग कश्यप की प्रशंसा प्राप्त गली “गैंग्स ऑफ वासेपुर (भाग II)”, “चार फुटिया चोकरे” और नितिन नीर चंद्रा की “देस्वा”.

मुख्यमंत्री ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार कोकिला, पद्म श्री एवं पद्म भूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है.

मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि बिहार कोकिला शारदा सिन्हा मशहूर लोक गायिका थी. उन्होंने मैथिली, बज्जिका, भोजपुरी के अलावे हिन्दी गीत भी गाये थे. उन्होंने कई हिन्दी फिल्मों में भी अपनी मधुर आवाज दी थी. संगीत जगत में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने 1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया था. स्व० शारदा सिन्हा के छठ महापर्व पर सुरीली आवाज में गाए मधुर गाने बिहार और उत्तर प्रदेश समेत देश के सभी भागों में गूंजा करते हैं. उनके निधन से संगीत के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है.

मुख्यमंत्री ने स्व० शारदा सिन्हा की आत्मा की चिर शान्ति तथा उनके परिजनों, प्रशंसकों एवं अनुयाइयों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है.