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SC ने NTA से NEET-UG परिणाम प्रकाशित करने को कहा, सभी छात्रों की पहचान छिपाने का निर्देश

नई दिल्ली (The Bihar Now डेस्क)|सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (National Testing Agency) को पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा स्नातक परीक्षा (NEET-UG) 2024 में उपस्थित होने वाले सभी छात्रों द्वारा प्राप्त अंकों को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया और साथ ही सभी छात्रों की पहचान को छुपाने को भी कहा.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice of India DY Chandrachud) और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा (Justice Manoj Misra) की पीठ ने आदेश दिया कि परिणाम शनिवार दोपहर 12 बजे तक शहर और केंद्र-वार अलग-अलग प्रकाशित किया जाना चाहिए.

याचिकाकर्ताओं-छात्रों द्वारा कुछ पारदर्शिता लाने के लिए परीक्षण एजेंसी को सभी छात्रों के परिणाम प्रकाशित करने का निर्देश देने का आग्रह करने के बाद शीर्ष अदालत ने एनटीए (NTA) को परिणाम प्रकाशित करने का निर्देश दिया.

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, “याचिकाकर्ताओं ने निवेदन किया है कि यह उचित होगा यदि NEET-UG 24 परीक्षा के परिणाम वेबसाइट पर प्रकाशित किए जाएं ताकि उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त केंद्र-वार अंकों पर कुछ पारदर्शिता लाई जा सके. हम एनटीए को एनईईटी-यूजी 2024 परीक्षा (NEET-UG Exam 2024) में छात्रों द्वारा प्राप्त अंकों को प्रकाशित करने का निर्देश देते हैं और साथ ही यह सुनिश्चित भी करने को कहते हैं कि छात्रों की पहचान छिपाई जाए. परिणाम प्रत्येक केंद्र और शहर के संबंध में अलग से घोषित किए जाने चाहिए.”

22 जुलाई को सुनवाई जारी रहेगी

पीठ ने कहा कि वह NEET-UG 2024 परीक्षा में पेपर लीक और कदाचार का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर 22 जुलाई को सुनवाई जारी रखेगी. शीर्ष अदालत ने NEET-UG मामले में पूरे दिन सुनवाई की.

गुरुवार को शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें नीट-यूजी 2024 के नतीजों को वापस लेने और नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी, जिसमें आयोजित परीक्षा में पेपर लीक और कदाचार का आरोप लगाया गया था.

अभ्यर्थियों ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था और एनईईटी-यूजी के प्रश्नपत्र के लीक होने, प्रतिपूरक अंक देने और प्रश्न में विसंगति का मुद्दा उठाया था.

बता दें, एनटीए द्वारा आयोजित एनईईटी-यूजी परीक्षा, देश भर के सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस और आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों के लिए एडमिशन टेस्ट लेता है. इस वर्ष NEET-UG, 2024 5 मई को 4,750 केंद्रों पर आयोजित किया गया था और लगभग 24 लाख उम्मीदवार इसमें शामिल हुए थे.

सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने एनईईटी परीक्षा में कथित पेपर लीक और कदाचार को लेकर एनटीए से कई सवाल पूछे. इसमें एनटीए से पूछा गया कि परीक्षा देने वाले 23.33 लाख छात्रों में से कितने छात्रों ने अपना केंद्र बदला.

इसके जवाब में एनटीए ने कहा कि सुधार के नाम पर छात्र केंद्र बदलते हैं और 15,000 छात्रों ने सुधार के लिए इस विंडो का उपयोग किया. एनटीए ने कहा कि छात्र केवल शहर बदल सकते हैं और कोई भी उम्मीदवार केंद्र नहीं चुन सकता है. इसमें कहा गया है कि परीक्षा केंद्र का आवंटन सिस्टम द्वारा किया जाता है और केंद्र का आवंटन परीक्षा से केवल दो दिन पहले होता है, इसलिए किसी को नहीं पता कि किस अभ्यर्थी को कौन-सा केंद्र आवंटित किया जाएगा.

प्रश्नपत्र निजी कूरियर से केंद्रों पर भेजे गए

याचिकाकर्ता-उम्मीदवारों के वकील ने तर्क दिया कि प्रश्नपत्र 24 अप्रैल को एक निजी कूरियर कंपनी के माध्यम से केंद्रों पर भेजे गए थे और 3 मई को एसबीआई और केनरा बैंकों में पहुंचे. इस पर सीजेआई ने कहा कि प्रश्नपत्र 24 अप्रैल को भेजे गए थे और 3 मई को प्राप्त हुए थे. जिससे समय का अंतर लगभग नौ दिन हो जाता है.

शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि प्रश्न पत्र 571 शहरों में एसबीआई और केनरा बैंक शाखाओं को भेजे गए थे और 4,750 केंद्र थे.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सीबीआई ने प्रिंटर से लेकर सेंटर तक पूरे घटनाक्रम की जांच की है.

उन्होंने अदालत को बताया, “सीबीआई ने प्रिंटर से लेकर केंद्रों तक घटना की पूरी श्रृंखला की जांच की है… कैसे सीलिंग हुई, जीपीएस ट्रैकिंग हुई…, डिजिटल लॉकर हैं… 7-लेयर सुरक्षा प्रणाली है. दो प्रिंटिंग प्रेस हैं क्योंकि दो पेपर हैं.”

सीलबंद ट्रंक बैंक को नहीं, सीधे प्रिंसिपल को मिला

याचिकाकर्ताओं के वकील ने पीठ को बताया कि ओएसिस स्कूल के लिए एक खुले ई-रिक्शा पर यात्रा करते समय एक ट्रंक पाया गया था और हज़ारीबाग़ स्कूल के प्रिंसिपल को यह ट्रंक मिला था और अब उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है. उस सीलबंद ट्रंक को किसी बैंक में नहीं दिया गया था बल्कि हज़ारीबाग़ स्कूल के प्रिंसिपल को दे दिया गया था.

उन्होंने आगे कहा, “एनटीए द्वारा परीक्षा आयोजित करने में एनटीए द्वारा एक प्रणालीगत विफलता (systemic failure) है. इसकी विफलता बहुआयामी है. प्रश्न पत्रों को ले जाने के क्रम में ही डील हो गया जब छह दिनों तक पेपर एक निजी कूरियर कंपनी के हाथों में थे और हज़ारीबाग़ में एक ई-रिक्शा में कागजात ले जाया जा रहा था. कूरियर का ड्राइवर प्रश्न पत्र बैंक ले जाने के बजाय ओएसिस स्कूल ले गया.”

उन्होंने कहा कि लीक हुए प्रश्नपत्रों का लेन-देन (dissemination of the leaked papers) 3 मई से ही हो रहा था, टेलीग्राम वीडियो के साक्ष्य से पता चलता है कि हल किए गए प्रश्नपत्र 4 मई को प्रसारित किए जा रहे थे.

वकील ने तर्क दिया, “सोशल मीडिया की प्रकृति को देखते हुए, लीक हुए कागजात और लाभार्थियों के सटीक प्रसार का सटीक निर्धारण करना असंभव है.”

इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा, लीक हुए पेपरों से पैसा कमाने वाले लोग उन्हें बड़े पैमाने पर क्यों प्रसारित करेंगे?

पीठ ने कहा, “किसी के ऐसा करने का विचार एनईईटी परीक्षा को राष्ट्रीय दिखावा बनाना नहीं है. लोग पैसे के लिए ऐसा कर रहे थे. इसलिए, यह परीक्षा को बदनाम करने के लिए नहीं था और कोई पैसा कमाने के लिए ऐसा कर रहा था, जो अब स्पष्ट है. प्रश्न पत्र के बड़े पैमाने पर लीक होने के लिए भी उस स्तर पर संपर्कों की आवश्यकता होती है ताकि आप विभिन्न शहरों आदि में ऐसे सभी प्रमुख संपर्कों से जुड़ सकें. जो कोई भी इससे पैसा कमा रहा है वह इसे बड़े पैमाने पर प्रसारित नहीं करेगा.”

सीजेआई ने एनटीए और केंद्र से पूछा कि उनके अनुसार, “छात्रों को सुबह 10.15 बजे पेपर मिला. इसमें 180 प्रश्न हैं. क्या यह संभव है कि सुबह 9.30 से 10.15 बजे के बीच समस्या समाधानकर्ता हों और उन्हें 45 मिनट में छात्रों को दे दिया जाए?”

सॉलिसिटर जनरल ने उत्तर दिया कि सात पेपर सॉल्वर थे और उन्होंने प्रत्येक से 25 प्रश्न हल करवाए.

सीजेआई ने कहा, “पूरी परिकल्पना कि 45 मिनट के भीतर उल्लंघन हुआ और पूरा पेपर हल कर दिया गया और छात्रों को दे दिया गया, बहुत दूर की कौड़ी लगती है.”

सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि आरोपियों की कार्यप्रणाली इस प्रकार थी कि “वे उन लोगों को पेपर दिया जिन्होंने पोस्टडेटेड चेक दिए थे. वे बिल्कुल भी बड़े पैमाने पर लीक नहीं चाहते थे. अन्यथा, उनके प्रयास बर्बाद हो गए होते. हज़ारीबाग़ में इस गिरोह के सदस्य ने पटना में बैठे गिरोह के एक और सदस्य को व्हाट्सएप के माध्यम से पेपर भेजा था.”

गोधरा में हुए पेपर लीक पर पीठ ने कहा कि वह यह नहीं कह सकती कि यह व्यापक कदाचार का हिस्सा था, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि धोखाधड़ी हुई थी.

पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील से पूछा “ऐसा प्रतीत होता है कि ग़लत काम केवल हज़ारीबाग़ और पटना में हुआ है… फिर इसके बाद हमारे पास केवल आँकड़े बचे हैं कि 61 छात्रों को 720/720 मिले… क्या हम केवल इस आधार पर पूरी परीक्षा रद्द कर सकते हैं?”