सहजन की खेती को इससे मिलेगा प्रोत्साहन – कृषि मंत्री

पटना (TBN – the bihar now डेस्क) | बिहार में सहजन का क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम कार्यान्वित करने के साथ सहजन की खेती का प्रति हेक्टेयर इकाई लागत 74,000 रूपये आकलित किया गया है. यह बात रविवार को बिहार के कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने बताई.
प्रेम कुमार ने कहा कि किसानों को इस इकाई लागत का 50 प्रतिशत यानि 37,000 रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से सरकार द्वारा दो किस्तों 75ः25 के अनुपात में अनुदान देने का प्रावधान किया गया है. किसानों को सहजन की खेती के लिए पहले वर्ष में पहली किस्त के रूप में 27750 रूपये प्रति हेक्टेयर एवं दूसरे वर्ष दूसरे किस्त के रूप में 9250 रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान दिया जा रहा है. लेकिन दूसरे वर्ष में 90 प्रतिशत सहजन के पौधा जीवित रहने पर ही दूसरी किस्त की अनुदान राशि दिया जाएगा.
मंत्री ने कहा कि सहजन उत्पाद का पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट के लिए इस योजना में सोलर कोल्ड रूम, सोलर ड्रायर, प्राईमरी पैक हाऊस इत्यादि को शामिल किया गया है. इन सभी की इकाई लागत एवं इस पर सहायता अनुदान बिहार उद्यानिक उत्पाद विकास कार्यक्रम के तर्ज पर रखा गया है.
उन्होंने कहा कि इस वर्ष राज्य में सहजन के क्षेत्र विस्तार का भौतिक लक्ष्य 780 हे॰ निर्धारित किया गया है, जिस पर किसानों को 288.60 लाख रू॰ सहायतानुदान दिया जायेगा. अभी तक इस लक्ष्य के आलोक में भौतिक उपलब्धि 568 हे॰ प्राप्त हुआ है.
सहजन बहुत उपयोगी पौधा
प्रेम कुमार ने कहा कि सहजन एक बहुत उपयोगी पौधा है. सहजन के सभी भागों का उपयोग भोजन, दवा, औषधीय आदि कार्यो में किया जाता है. सहजन में प्रचुर मात्रा में विटामिन एवं पोषक तत्त्व पाये जाते हैं. उन्होंने कहा कि सहजन का फूल, फल और पत्तियो का भोजन के रूप में व्यवहार किया जाता है तथा इसके छाल, पत्ती, बीज, गोंद, जड़ आदि से आयुर्वेदिक दवा तैयार किया जाता है. इतना ही नहीं, सहजन के पत्ती मवेशियों के चारा के रूप में भी उपयोग किया जाता है. सहजन के इन गुणों के कारण ही राज्य में सहजन का क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम कार्यान्वित किया जा रहा है.
प्रेम कुमार ने कहा कि राज्य में सहजन के क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम के कार्यान्वयन का उद्देश्य सहजन के विकसित प्रभेदों की खेती को बढ़ावा देकर न सिर्फ स्थानीय बल्कि दूर-दराज के बाजारों में सब्जी के रूप में सालो भर उपलब्धता सुनिश्चित कराना, पोषक एवं गुणवत्तायुक्त पत्ती का मवेशी हेतु चारा की उपलब्ध कराना तथा सहजन में मौजूद औषधीय गुणों को ध्यान में रखते हुए किसानों के बीच में एक स्थायी एवं दीर्घकालीन आमदनी हेतु उनका सोच विकसित करना है. राज्य में इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन से सहजन की खेती को प्रोत्साहन मिलेगा, साथ ही, इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी.