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पीएम मोदी ने दिया अब तक का सबसे लंबा स्वतंत्रता दिवस भाषण

नई दिल्ली (The Bihar Now डेस्क)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरुवार को स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2024) पर अपना सबसे लंबा 98 मिनट का भाषण दिया. इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस की थीम ‘विकसित भारत@2047’ (theme for this year’s Independence Day ‘Viksit Bharat @ 2047’) थी.

अपने भाषण में पीएम मोदी ने नागरिकों से 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने में मदद करने का आग्रह किया, जो आजादी के 100 साल पूरे करेगा. उन्होंने ब्रिटिश शासन को समाप्त करने के लिए भारत की स्वतंत्रता-युग की आबादी की ताकत और साहस को उजागर करने की भी मांग की.

पीएम मोदी ने कहा, “अगर 40 करोड़ भारतीय ऐसा कर सकते हैं, तो मेरे परिवार के 140 करोड़ भारतीय चमत्कार कर सकते हैं. अगर वे एक संकल्प लेते हैं, तो सभी चुनौतियों के बावजूद, हम 2047 तक एक विकसित भारत (Viksit Bharat by 2047) बना सकते हैं.”

गुरुवार को पीएम मोदी द्वारा दिया गया भाषण भारत के इतिहास में किसी भी प्रधान मंत्री द्वारा दिया गया सबसे लंबा स्वतंत्रता दिवस भाषण (longest I-Day address) था. इससे पहले उनका सबसे लंबा I-day भाषण (I-Day Speech) 2016 में 96 मिनट का था, जबकि उनका सबसे छोटा भाषण 2017 में था, जब वह लगभग 56 मिनट तक बोले थे.

लाल किले (Red Fort) से राष्ट्र को संबोधित करने का यह पीएम मोदी का 11वां साल था. जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) और इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के बाद वह यह उपलब्धि हासिल करने वाले तीसरे प्रधानमंत्री बन गए हैं.

2014 में पीएम मोदी का पहला स्वतंत्रता दिवस भाषण 65 मिनट तक चला था. इन वर्षों में, उनके भाषणों की लंबाई अलग-अलग रही है: 2022 में 74 मिनट से लेकर 2018 में 83 मिनट तक. 2019 में यह 92 मिनट, 2020 में 90 मिनट और 2021 और 2015 में 88 मिनट थे. पिछले साल का भाषण 90 मिनट तक चला.

पीएम मोदी से पहले 1947 में जवाहरलाल नेहरू और आईके गुजराल का (I.K. Gujral) 1997 में स्वतंत्रता दिवस पर सबसे लंबा भाषण क्रमशः 72 और 71 मिनट का था. नेहरू और इंदिरा गांधी ने भी रिकॉर्ड पर सबसे छोटा भाषण क्रमशः 1954 और 1966 में 14 मिनट में दिया था.

पूर्व प्रधानमंत्रियों मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) और अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने लाल किले से कुछ सबसे छोटे भाषण दिए. 2012 और 2013 में मनमोहन सिंह का संबोधन क्रमशः 32 और 35 मिनट तक चला. 2002 और 2003 में वाजपेयी के भाषण इससे भी छोटे 25 और 30 मिनट के थे.