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पटना: 9 डिसमिल जमीन पर बसे हिंदुओं को सुन्नी वक्फ बोर्ड ने घर खाली करने के लिए भेजा नोटिस

पटना (The Bihar Now डेस्क)| वक्फ बोर्ड (Waqf Board) का मुद्दा इस समय भारत की राजनीति (Indian politics) में बहुत महत्वपूर्ण बन गया है. केंद्र सरकार (Central Government) के वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill 2024) को लेकर देशभर में चर्चा चल रही है, और इससे जुड़े कई नए विवाद भी उभरकर सामने आ रहे हैं. इसी कड़ी में, पटना जिले के गोविंदपुर (Govindpur, Patna) में भी 9 डिसमिल जमीन को लेकर काफी हलचल हो गई है.

सुन्नी वक्फ बोर्ड ने ठोका दावा

गोविंदपुर में जिस 9 डिसमिल जमीन को लेकर विवाद बढ़ रहा है, उस पर तीन हिंदू और तीन मुस्लिम परिवारों का कब्जा है. अब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस जमीन पर अपना दावा करते हुए जिलाधिकारी के माध्यम से जमीन खाली करने के लिए 6 नोटिस भेजे हैं.

बीजेपी ने बनाया हाई प्रोफाइल मामला

जमीन पर वक्फ बोर्ड के दावों और लोगों को नोटिस भेजने के बाद, इस मुद्दे को बीजेपी के नेताओं ने बड़े जोर-शोर से उठाया है. बीजेपी सांसद संजय जायसवाल, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और बिहार सरकार के उप-मुख्यमंत्री विजय सिन्हा (Deputy Chief Minister Vijay Sinha) ने गोविंदपुर का दौरा कर इस मामले को हाई प्रोफाइल बना दिया है. बीजेपी नेता नोटिस की वैधता पर सवाल उठा रहे हैं और बोर्ड की कार्रवाई को चुनौती दे रहे हैं.

बीजेपी सांसद संजय जायसवाल (BJP MP Sanjay Jaiswal) के अनुसार, “वक्फ बोर्ड जमीन को 1969 की जमीन बता रहा है. दरअसल साजिश के तहत सुन्नी वक्फ बोर्ड उस जमीन को 1969 में लिया दिखा रहा है. बोर्ड अपने मोतवल्ली के सहारे जमीन कब्जा करने का काम कर रहा है. मोतवल्ली ने 2021 में उसे जमीन को अपने नाम से कराया. सुन्नी वक्फ बोर्ड साजिशकर्ता है.”

जमीन हमारी – बोर्ड

बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष इरशादुल्लाह ने फोन पर बातचीत में कहा कि बोर्ड किसी निजी जमीन पर कब्जा नहीं करता है. 9 डिसमिल जमीन पर 6 लोगों ने कब्जा किया हुआ है, जिनमें से तीन मुस्लिम और तीन हिंदू समुदाय के हैं. हमारी ओर से 6 नोटिस भेजे गए हैं.

सुन्नी वक्फ बोर्ड, बिहार के अध्यक्ष इरशादुल्लाह के अनुसार – “हमारा काम बोर्ड की संपत्ति को अवैध कब्जे से मुक्त कराना है. अगर उन्हें नोटिस पर कोई आपत्ति है तो न्यायालय जाना चाहिए. वह लोग पटना उच्च न्यायालय गए थे लेकिन उच्च न्यायालय ने निचली अदालत में जाने को कहा.उसके बाद से मामले को राजनीतिक रंग दिया जाने लगा.”

बेवजह किया जा रहा है परेशान

गोविंदपुर की 9 डिसमिल जमीन पर सुन्नी वक्फ बोर्ड अपना दावा कर रहा है. लेकिन वहां के स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह खतियानी जमीन है और उनके पास इस बात के ठोस सबूत हैं कि यह जमीन उनकी है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है.

तो फिर कोर्ट जाएं

इस मुद्दे पर शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष मोहम्मद इरशाद का कहना है कि विवाद पर शोर मचाने की कोई जरूरत नहीं है. जो भी व्यक्ति के पास कागजात होंगे, वह उस जमीन का मालिक होगा. बोर्ड बिना दान पत्र के किसी भी जमीन पर अपना दावा नहीं करता है.

शिया वक्फ बोर्ड, बिहार के पूर्व पूर्व अध्यक्ष मोहम्मद इरशाद ने कहा – “अगर कोई गड़बड़ी है तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाना चाहिए. जहां तक सरकारी जमीन पर कब्जे का सवाल है तो सरकार भी जमीन का उपयोग जन कल्याण में ही करती है.”

बोर्ड के पास अकूत संपत्ति

बिहार में वक्फ बोर्ड के पास बहुत सारी संपत्ति है. राज्य में दो वक्फ बोर्ड हैं – एक शिया वक्फ बोर्ड और दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड. सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास लगभग 5000 एकड़ खेत है, जबकि शिया वक्फ बोर्ड के पास लगभग 25000 बीघा जमीन है.

वक्फ बोर्ड के मुताबिक, उनकी संपत्ति का 30 प्रतिशत हिस्सा भू-माफिया या सरकार के कब्जे में है. राजधानी पटना में भी वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर सरकार का बड़ा कब्जा है. उदाहरण के लिए, सुलतानगंज थाना दरगाह की जमीन राज्य की है, जबकि कोतवाली थाना भी वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर बना हुआ है. इसके अलावा, पीरबहोर थाना और जिलाधिकारी का आवास भी वक्फ बोर्ड की जमीन पर स्थित है.

फ्रेजर रोड पर अवैध कब्जा

इसके अलावा, बड़े पैमाने पर भू-माफिया ने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर कब्जा कर लिया है. राजधानी पटना के बीचोंबीच फ्रेजर रोड पर 17 बीघा जमीन पर भी ऐसा ही अवैध कब्जा मौजूद है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी वक्फ बोर्ड के हक में फैसला दिया है.

कब्जे से मुक्त हो जमीन

पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. फिरोज मंसूरी ने कहा है कि वक्फ बोर्ड की संपत्ति को जनहित में इस्तेमाल होना चाहिए. लेकिन, ज्यादातर जगहों पर या तो भू-माफिया ने कब्जा कर लिया है या फिर सरकार उसका उपयोग कर रही है.

पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. फिरोज मंसूरी के अनुसार – “यह कहीं से उचित नहीं है. बोर्ड की संपत्ति पर पहला अधिकार गरीब और पसमांदा मुसलमानों का है. धार्मिक संगठनों के ठेकेदारों ने भी वक्फ बोर्ड की जमीन पर कब्जा जमा रखा है. बोर्ड की संपत्ति को कब्जे से मुक्त कराया जाना चाहिए.”

बोर्ड की संपत्ति बेच नहीं सकते

यहां एक महत्वपूर्ण बात यह है कि नियमों के अनुसार वक्फ बोर्ड की संपत्ति को बेचा नहीं जा सकता. वक्फ बोर्ड की संपत्ति को अधिकतम 30 साल के लिए मोतवल्ली के जरिए दिया जा सकता है. इस दौरान, संपत्ति का उपयोग करने वालों को बाजार मूल्य के अनुसार किराया वक्फ बोर्ड को देना होता है. लेकिन ज्यादातर मामलों में, सरकार या लोग 50 साल या उससे अधिक समय से इन संपत्तियों पर कब्जा किए हुए हैं और बोर्ड को किराया भी नहीं दे रहे हैं.

(इनपुट – मीडिया रिपोर्ट्स)