जैविक खेती एवं बीज प्रमाणन को बढ़ावा देने के लिए एक दिवसीय सेमिनार का हुआ उद्घाटन
पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| राज्य में बीज उत्पादन में वृद्धि के लिए राजधानी के कृषि भवन स्थित ऑडिटोरीयम में राज्यस्तरीय एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन हुआ. शुक्रवार को इसका उद्घाटन कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह (Agriculture Minister Amarendra Pratap Singh) ने किया.
इस सेमिनार में अपने संबोधन में मंत्री ने कहा कि बिहार राज्य बीज एवं जैविक प्रमाणन एजेंसी (Bihar State Seed & Organic Certification Agency, BSSOCA) की स्थापना बीज प्रमाणन एजेंसी के नाम से अप्रैल, 1979 में हुआ था. ISO 9001:2015 प्रमाणित इस संस्थान को वर्ष 2017-18 में राज्य सरकार द्वारा राज्य में जैविक प्रमाणन हेतु इस एजेंसी को अधिकृत किया गया था. उन्होंने बताया कि इस संस्था को National Council for Organic Farming (NCOF) द्वारा Participatory Guarantee System (PGS) के अंतर्गत जैविक प्रमाणीकरण हेतु Regional Council के रूप में मान्यता प्रदान की गई है. मार्च, 2020 में एपीडा द्वारा National Programme for Organic Production (NPOP) के तहत जैविक प्रमाणन हेतु इस एजेंसी को Accridated किया गया.
मंत्री ने बताया कि वर्ष 2020-21 में इस एजेंसी के माध्यम से राज्य के कुल 22,000 किसानों द्वारा किये जा रहे जैविक खेती का जैविक प्रमाणीकरण के रूप में प्रथम वर्ष का प्रमाण पत्र NPOP एवं PGS के अंतर्गत कुल 20,059 एकड़ रकवा हेतु निर्गत किया गया है. BSSOCA द्वारा वर्ष 2021-22 में बिहार के अतिरिक्त प बंगाल एवं महाराष्ट्र में क्रमश 10 एकड़ एवं 289 एकड़ रकवा का प्रमाणीकरण कार्य प्रक्रियाधीन है, जो न केवल कृषि विभाग, बल्कि पूरे प्रदेश के लिये एक गौरव का विषय है. इस संस्था को Quality Council of India (QCI) द्वारा Indgap Certification के लिए मान्यता देने की प्रक्रिया चल रही है.
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उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 2020-21 में इस एजेंसी द्वारा 62,500 एकड़ रकवा में होने वाले उत्पादित बीजों का प्रमाणीकरण किया गया है. इस एजेंसी में अधिष्ठापित डीएनए प्रयोगशाला द्वारा अब तक 380 संकर प्रभेदों का उपयोग किसानों द्वारा उत्पादन हेतु किया जा रहा है, जिसका डीएनए Standardization किया जा चुका है. किसानों द्वारा उपयोग किये जा रहे संकर प्रभेदों का Standardization किये गये डाटा से Identification की प्रक्रिया चल रही है, ताकि बीज उत्पादन संस्थान द्वारा किसानों को नकली बीज देकर छला न जा सके.
BSSOCA द्वारा उत्पादित किये जा रहे जैविक उत्पाद की जाँच करने हेतु National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories (NABL) प्रयोगशाला की स्थापना प्रक्रियाधीन है। बसोका द्वारा प्रमाणीकरण किये जाने वाले बीजों की जाँच करने हेतु मुख्यालय एवं कुदरा में दो बीज परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित हैं, जिसके अंतर्गत प्रतिवर्ष लगभग 5,000 बीज नमूना की जाँच की जाती है. इस एजेंसी के अंतर्गत बीज प्रमाणन एवं जैविक प्रमाणन कार्य पूर्णतः कम्पयुटरीकृत है, जिसके कारण किसानों को जाँच फलाफल प्रमाण-पत्र इत्यादि प्राप्त करने हेतु कार्यालयों के चक्कर लगाना नहीं पड़ता है.
उन्होंने कहा कि बसोका द्वारा वर्ष 2018-19 में 16,602 हेक्टेयर क्षेत्र का निबंधन किया गया, जहाँ 2,50,543 क्विं बीज का उत्पादन किया गया. इसी प्रकार इस संस्था द्वारा वर्ष 2019-20 एवं वर्ष 2020-21 में क्रमशः 21,675 हेक्टेयर तथा 22,191 हेक्टेयर क्षेत्र का निबंधन किया गया. वर्ष 2019-20 में 2,82,626 क्विं बीज का उत्पादन हुआ तथा वर्ष 2020-21 में 2,61,312 क्विं बीज का उत्पादन हुआ. चूंकि वर्ष 2020-21 के अंतर्गत उत्पादित रबी बीज का प्रसंस्करण कार्य चल रहा है, इसलिए बीज उत्पादन का पूर्ण आँकड़ा अभी उपलब्ध नहीं हुआ है.
सिंह ने कहा कि बसोका के अंतर्गत बीज परीक्षण प्रयोगशालाओं द्वारा विगत तीन वर्षों में 7723 बीज नमूना का परीक्षण किया गया, जिनमें 5,181 नमूना संतोषप्रद पाया गया. इस संस्थान के अंतर्गत डीएनए फिंगर प्रिटिंग प्रयोगशाला में वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 में क्रमशः 48 एवं 169 संकर प्रभेदों के बीज नमूनों का Standardization किया गया. वर्ष 2021-22 में अब तक 104 संकर प्रभेदों के नमूनांे का Standardization कार्य किया गया है, शेष के लिए कार्य प्रगति पर है.
मंत्री ने कहा कि बिहार राज्य बीज निगम बीज उत्पादक किसानों का भुगतान निर्धारित तय समय सीमा के अंदर करना सुनिश्चित करें. साथ ही, किसानों को किसी प्रकार की कठिनाई न हो, इसका ध्यान दिया जाये.
समय-समय पर इस प्रकार का प्रशिक्षण हो – सचिव
कृषि विभाग के सचिव डॉ एन सरवण कुमार ने कहा कि बसोका के माध्यम से बीज उत्पादक किसानों का समय-समय पर इसी प्रकार का प्रशिक्षण का आयोजन किया जाये. कृषि रोड मैप के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन से धान एवं गेहूँ के बीज प्रतिष्ठापन दर में बढ़ोतरी हुई है. बीज उत्पादन में हम धान एवं गेहूँ के मामले में आत्मनिर्भर हो गये है, परन्तु तेलहनी एवं दलहनी बीज उत्पादन में अभी और कार्य किया जाने की जरूरत है. इसके लिए बिहार राज्य बीज निगम 05 वर्षों का रोलिंग प्लान तैयार कर सरकार का अनुमोदन शीघ्र प्राप्त करे. बिहार राज्य बीज निगम और किसानों के बीच बीज उत्पादन के लिए MOU होना चाहिए. किसान गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादित करेंगे इससे राज्य में उत्पादन एवं उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी. बीज के मूल्य निर्धारण नीति में बदलाव करते हुऐ इसे गतिशील बनाने की आवश्यकता है.
इस अवसर पर विशेष सचिव बिजय कुमार, कृषि निदेशक राजीव रौशन, निदेशक, बसोका सुनील कुमार पंकज, कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकगण, कृषि विभाग के पदाधिकारी तथा बीज उत्पादक किसानगण उपस्थित थे.