नीत, तीव्र, एवं शक्तिशाली पेंडेंट – ‘नीतीश’ पेंडेंट
वज्रपात, बाढ़,अत्यधिक गर्मी यानी लू और शीतलहरी जैसी अनेक आपदाओं से पहले पूर्व चेतावनी देगा
किसान, मजदूर, अनपढ़, दिव्यांग, बच्चे, महिला, बुजुर्ग किन्नरों आदि को ध्यान में रखकर बनाया गया
यह सुरक्षा कवच नीत, तीव्र, एवं शक्तिशाली पेंडेंट है
शरीर की गर्माहट से ही चार्ज होगा, इसे बिजली से चार्ज करने की आवश्यकता नहीं
सैटेलाईट और मौसम केंद्र से जुड़ा होगा
पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Bihar State Disaster Management Authority) ने आईआईटी, पटना (IIT. Patna) के साथ मिलकर एक शक्तिशाली सुरक्षा कवच (powerful protective shield) “नीतीश पेंडेंट” का निर्माण किया है. वज्रपात (Thunderclap) एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं को बिहार राज्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को लेकर इस सुरक्षा कवच का निर्माण किया गया है. यह पेंडेंट वज्रपात, बाढ़,अत्यधिक गर्मी यानी लू और शीतलहरी जैसी अनेक आपदाओं से पहले पूर्व चेतावनी देगा. इससे इन प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली मौतों में काफी कमी आएगी.
दरअसल, राज्य में वज्रपात एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं को बिहार राज्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) हमेशा से चिंतित रहे हैं. हाल फिलहाल में उनकी चिंता वज्रपात से होने वाली मृत्यु की बढ़ती संख्या को देखकर अधिक हुई. इसपर उन्होंने बिहार राज्य आपदा प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, डा० उदय कांत (Dr.Udai Kant) को इससे निपटने के उपाय ढूंढने का निर्देश दिया था.
अब इस परिकल्पना को मूर्त रूप देने की समस्या सामने आई. इसके लिए बहुत सोच-समझकर प्राधिकरण ने आईआईटी, पटना से हाथ मिलाया. प्रारंभिक कई कठिनाइयों के उपरांत आईआईटी, पटना के निदेशक, डॉ० त्रिलोक नाथ सिंह के दिशा-निदेश में आईआईटी, पटना के कम्प्यूटर साइंस विभागाध्यक्ष प्रो० राजीव मिश्रा, डॉ० अरजीत रॉय एवं आकाश ने गहन अन्वेषण के उपरांत एक नीत, तीव्र एवं शक्तिशाली सुरक्षा कवच नीतीश पेंडेंट का निर्माण कर लिया.
क्या है ‘नीतीश’ पेंडेंट
सामान्य कलाई घड़ी के जैसा ही 47 मिमी x 48 मिमी x 16 मिमी एवं मात्र 43 ग्राम से हल्के वजन वाले इस पेंडेंट, लॉकेट या ताबिज की शक्ल वाले इस इलेक्ट्रानिक डिवाइस का अंग्रेजी नाम है ‘NITISH’ – Novel & Innovative Technological Intervention for Safety of Human lives. इसे आसानी से गले में लटकाया या बांह पर बांधा जा सकता है.
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ उदय कान्त बताया कि नीतीश पेंडेंट की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह शरीर की ऊर्जा और गर्माहट से ही रिचार्ज होता रहता है. क्षेत्र विशेष में वज्रपात या किसी अन्य आपदा की पूर्व चेतावनी जैसे ही आएगी, नीतीश पेंडेंट अपने स्वामी को तीन प्रकार से सतर्क कर देगा. इससे वॉयस मैसेज सुनाई पड़ेगी. यह वाईब्रेट भी करेगा तथा इसका रंग हरे से लाल में तब्दील हो जाएगा.
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डॉ उदय कान्त ने आगे बताया कि जब तक इसे पहनने वाला इसका स्वीच ऑफ न कर दे तब तक नीतीश पेंडेंट चेतावनी देता ही रहेगा. स्वीच ऑफ करते ही प्राधिकरण के कम्प्यूटर में यह सूचना स्वत: ही आ जाएगी कि व्यक्ति विशेष तक चेतावनी पहुँच चुकी है. नीतीश पेंडेंट वाटरप्रुफ भी है जिसे किसान, मजदूर, अनपढ़, दिव्यांग, बच्चे, महिला, बुजुर्ग किन्नर आदि अर्थात समाज के प्रत्येक तबके को ध्यान में रखकर बनाया गया है.
नीतीश पेंडेंट इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस 100 प्रतिशत सुरक्षित है. बिहार मौसम सेवा केन्द्र के सहयोग से नीतीश पेंडेंट वज्रपात ही नहीं, बल्कि बाढ़, अत्यधिक गर्मी यानी लू और शीतलहरी जैसी अनेक आपदाओं से पहले, ससमय, पूर्व चेतावनी दे सकेगा.
आईआईटी, पटना एवं बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के बीच हुए एमओयू के अनुसार, आईआई टी पटना, अपने ही लैब में अभी ऐसे 1 लाख पीस बनाएगा. आईआईटी, पटना के प्रोफेसर डा. राजीव मिश्रा ने बताया कि शीघ्र ही नीतीश पेंडेंट का पेटेंट प्राधिकरण एवं आईआईटी पटना के संयुक्त नाम से कराया जाएगा.
‘नीतीश’ पेंडेंट की कीमत
डॉ० राजीव ने कहा है अभी नीतीश पेंडेंट में लगाये जाने पूर्जों में एक को आयातित करना पड़ रहा है इस कारण नीतीश पेंडेंट की लागत करीब 1000 रूपए से थोड़ी कम आ रही है. प्रयास यह है कि आयातित पूर्जे को आई आई टी, पटना में ही डिजाइन कर लिया जाए ऐसा होने से नीतीश पेडेंट की कीमत में तकरीबन 20 प्रतिशत कमी आने की संभावना है.
वज्रपात की पूर्व चेतावनी देने के लिए एक ‘एप’ है अभी
वैसे तो अबतक आपदा प्रबंधन विभाग की ओर इससे पूर्व वज्रपात की पूर्व चेतावनी देने के लिए, ‘इंद्रवज्र’ (Indravajra App) नामक एप बनवाया गया जो मोबाईल पर वज्रपात के आसन्न खतरे़ की पूर्व सूचना दे सकता है. इसके साथ ही अति संवेदनशील चिह्नित गांवों में जल मीनारों व ऊंची इमारतों पर तेज ध्वनि विस्तारक यंत्र (हूटर) लगाकर लोगों को पूर्व चेतावनी देने का काम भी किया जा रहा था – इन तमाम प्रयत्नों के बावजूद वज्रपात से होने वाली मौतों की संख्या में कोई खास कमी नहीं आई.
इसकी एक मात्र वजह यह थी कि बसावट से दूर खेतों में प्राय: अर्धनग्न अवस्था में काम कर रहे कृषि कर्मियों के पास न तो मोबाईल होता था न तो हूटर की आवाज उनतक पहुंचती थी. इन सभी सीमाओं को ध्यान में रखते हुए आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने एक ऐसे छोटे से उपकरण की अवधारणा सामने रखी जिसे खेतिहर मजदूरों के शरीर से बांध कर रखा जा सके.
बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में कार्यरत रवीन्द्र भारती तथा मुख्यमंत्री कार्यालय में सेवारत कई कर्मियों ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस प्रयोग की सफलता के लिए प्राधिकरण का लगातार उत्साहवर्धन करते रहें थे.