मंगलवार को सबसे महत्वपूर्ण निर्जला एकादशी, कोरोना काल में है विशेष महत्व
पटना (TBN एस्ट्रो डेस्क) | मंगलवार यानी 2 जून को ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी है जिसको निर्जला एकादशी भी कहते है. सनातन धर्म में साल भर की सभी एकादशियों से ज्यादा महत्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का है. इसे निर्जला, पांडव और भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता हैं.
लोग इस दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत रखते है. हमारे शास्त्रों में मान्यता है कि सिर्फ इस एक दिन के व्रत से साल भर के सभी एकादशियों के बराबर पुण्य फल मिलता है.
सनातन धर्म में कुल 24 एकादशी होते हैं. लेकिन मलमास यानि एक महीना दो बार आने से, किसी किसी साल में कुल 26 एकादशी हो जाते हैं. इस साल भी कुल 26 एकादशी है. इन सभी एकादशियों में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व है.
इस साल कोरोना को लेकर निर्जला एकादशी का व्रत विशेष रुप से प्रासंगिक हो गया है, क्योंकि इस व्रत को आरोग्यवर्द्धक कहते है. एक दिन बिना जल ग्रहण किए रहने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है.
इस एकादशी को क्यों कहते हैं भीमसेनी एकादशी
महाभारत की एक प्रचलित कथा के अनुसार महर्षि वेद व्यास ने पांडवों को चारों पुरुषार्थ अर्थात धर्म, अर्थ, काम औऱ मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का संकल्प कराया था. इस पर महाबली भीम ने एकादशी व्रत के संबंध में वेदव्यास से कहा था मैं एक दिन तो क्या, एक समय भी खाने के बिना नहीं रह सकता हूं. इस वजह से मैं एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त नहीं कर संकूगा. तब वेदव्यास ने भीम को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी के बारे में बताया. उन्होंने भीम से कहा कि तुम इस एकादशी का व्रत करो. इस एक व्रत से तुम्हें साल भर की सभी एकादशियों का पुण्य मिल जाएगा. भीम ने इस एकादशी पर व्रत किया था, इसी वजह से इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं.
इसे क्यों कहते हैं निर्जला एकादशी
इस तिथि पर निर्जल रहकर यानी बिना पानी पिये व्रत किया जाता है, इसीलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है. व्रत करने वाले भक्त पानी भी नहीं पीते हैं. सुबह-शाम भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और अगले दिन द्वादशी तिथि पर पूजा-पाठ और ब्राह्मण को भोजन करवाने, दान देने के बाद खुद भोजन ग्रहण करते हैं. इस बार एकादशी सोमवार की दोपहर शुरु हो कर मंगलवार को दोपहर बारह बजे तक है. व्रत करने वाले लोग इस दौरान भगवान विष्णु अर्थात श्रीहरि की पूजा करते है और उनको याद करते है.