मकान मालिकों के लिए बजट में बड़ी खुशखबरी
नई दिल्ली (The Bihar Now डेस्क)| वित्त मंत्री (finance minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने आम बजट (general budget) पेश करते हुए कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की हैं, जिनका सीधा लाभ टैक्सपेयर्स (taxpayers) को होगा. इनमें से एक महत्वपूर्ण घोषणा घर के मालिकाना हक से जुड़ी हुई है. शनिवार को निर्मला सीतारमण ने बताया कि अब टैक्सपेयर बिना किसी शर्त के अपनी दो संपत्तियों का वार्षिक मूल्य शून्य बताने की अनुमति होगी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में बताया कि टैक्सपेयर केवल कुछ खास शर्तें पूरी करने पर ही अपनी खुद की संपत्तियों का वार्षिक मूल्य शून्य (annual value zero) के रूप में दिखा सकते हैं. टैक्सपेयर को आने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, बिना किसी शर्त के दो खुद की संपत्तियों का फायदा देने का प्रस्ताव रखा गया है.
कानून में होगा संशोधन
इस बजट में सरकार ने आयकर अधिनियम की धारा 23 की उप-धारा 2 में बदलाव करने का प्रस्ताव रखा है, जो आवासीय संपत्तियों के वार्षिक मूल्य को निर्धारित करने से संबंधित है. बजट दस्तावेज़ में बताया गया है कि इस धारा की उपधारा (2) में यह कहा गया है कि यदि कोई आवासीय संपत्ति स्वामी के पास है, लेकिन वह उस पर वास्तव में नहीं रह रहा है क्योंकि वह काम या व्यवसाय के कारण किसी और स्थान पर है, तो उस संपत्ति का वार्षिक मूल्य शून्य माना जाएगा. इसके अलावा, बजट ने यह भी बताया है कि उपधारा (4) में यह प्रावधान है कि उपधारा (2) के नियम केवल दो आवासीय संपत्तियों पर ही लागू होंगे.
किराये पर टीडीएस की लिमिट बढ़ाई जाएगी
इसके अलावे, वित्त मंत्री ने किराए पर टीडीएस (tax deducted at source) की सालाना लिमिट को बढ़ाकर 2.4 लाख रुपये से छह लाख रुपये करने का सुझाव दिया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा, “मैं टीडीएस कटौती की दरों और सीमा को कम करके स्रोत पर कर कटौती को सरल बनाने का प्रस्ताव करती हूं.”
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इसके अतिरिक्त, बेहतर स्पष्टता और एकरूपता के लिए कर कटौती की सीमा राशि को बढ़ाया जाएगा. उन्होंने बताया कि किराये पर टीडीएस के लिए सालाना 2.40 लाख रुपये की सीमा को बढ़ाकर 6 लाख रुपये किया जा रहा है.
क्या है नियम ?
बजट दस्तावेज के अनुसार, आयकर अधिनियम की धारा 194-आई के तहत, यदि कोई व्यक्ति किसी निवासी को किराए के रूप में आय देने के लिए उत्तरदायी है, तो उसे लागू दरों पर आयकर तभी काटना चाहिए, जब उस किराए की आय की कुल राशि एक वित्तीय वर्ष में 2.4 लाख रुपये से अधिक हो. इसमें यह कहा गया है, “स्रोत पर कर कटौती की आवश्यकता के लिए किराए के माध्यम से आय की इस सीमा को एक वित्तीय वर्ष में 2.4 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 रुपये करने का प्रस्ताव है.”
क्या फायदा होगा ?
टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि बजट में जो प्रस्ताव रखा गया है, वह उन सभी लोगों को प्रभावित करेगा जो किराया देते या लेते हैं और जो टीडीएस के अधीन हैं. यह प्रस्ताव घर के किराए के साथ-साथ कार्यालयों, दुकानों और अन्य संपत्तियों के किराए पर भी लागू होगा. वार्षिक टीडीएस-ऑन-रेंट की सीमा को 2.40 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये करने से कम मूल्य के किराए के लेन-देन में टीडीएस कटौती की आवश्यकता कम हो जाएगी.
इससे मुख्य रूप से छोटे मकान मालिकों को लाभ होगा, जो प्रति वर्ष 6 लाख रुपये से कम किराया प्राप्त करते हैं, क्योंकि अब किरायेदार इस किराए पर टीडीएस नहीं काटेंगे. इसके साथ ही, कम किराया देने वाले किरायेदारों को भी फायदा होगा, क्योंकि उन्हें टीडीएस काटने और जमा करने के लिए अतिरिक्त कागजी कार्रवाई या अनुपालन करने की जरूरत नहीं होगी. इसका मतलब है कि अगर वार्षिक किराया 6 लाख रुपये से कम है, तो उस पर टीडीएस लागू नहीं होगा (यदि यह प्रस्ताव कानून बन जाता है). इस प्रस्ताव का उद्देश्य छोटे करदाताओं की सहायता करना है.