गांधी मैदान बम ब्लास्ट मामला: HC ने 4 आरोपियों की फांसी की सजा उम्रकैद में बदली
पटना (The Bihar Now डेस्क)| गांधी मैदान में हुए बम धमाके के मामले (Gandhi Maidan bomb blast case) में हाईकोर्ट (Patna High Court) का बड़ा फैसला आया है. अदालत ने चार आरोपियों को दी गई फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है. यह निर्णय उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो इस मामले को लेकर लंबे समय से न्याय की उम्मीद कर रहे थे. अब इन आरोपियों को जीवनभर जेल में बिताना होगा.
पटना के गांधी मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की रैली के दौरान हुए बम विस्फोट मामले में उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. न्यायालय ने चार आरोपियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में परिवर्तित कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप अब उन्हें फांसी नहीं दी जाएगी. हालांकि, दो अन्य आरोपियों को जो पहले से ही उम्रकैद की सजा भुगत रहे थे, उनकी सजा में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है, और वे अपनी उम्रकैद की सजा जारी रखेंगे. यह निर्णय न्यायालय द्वारा कानून और न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप लिया गया है.
इस मामले में, सिविल कोर्ट (Patna Civil Court) द्वारा चार आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी, साथ ही उन्हें आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया था. हालाँकि, उच्च न्यायालय ने अब उनकी फांसी की सजा को उम्रकैद में परिवर्तित कर दिया है. जिन आरोपियों को फांसी की सजा दी गई, उनके नाम हैं: हैदर अली, मुजीबुल्लाह, नोमान और इम्तियाज. वहीं, उम्रकैद की सजा पाने वाले आरोपियों में उमर और अजहरुद्दीन शामिल हैं. उच्च न्यायालय ने इनकी सजा को बरकरार रखा है.
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फांसी की सजा को उम्रकैद में परिवर्तित किया
पीड़ित पक्ष के वकील इमरान गनी (Imran Ghani, Advocate) ने उच्च न्यायालय द्वारा लिए गए निर्णय की जानकारी साझा करते हुए बताया कि जिन आरोपियों को पहले फांसी की सजा सुनाई गई थी, उनकी सजा को अब उम्रकैद में बदल दिया गया है. वहीं, जिन व्यक्तियों को पहले से उम्रकैद की सजा का सामना करना पड़ रहा था, उनकी सजा में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है.
क्या था मामला
पटना के गांधी मैदान में 27 अक्टूबर 2013 को प्रधानमंत्री मोदी की एक महत्वपूर्ण हुंकार रैली (Hunkar Rally) आयोजित की गई थी, जहां वे जनता को संबोधित करने पहुंचे थे. इस अवसर पर, दुर्भाग्यवश, राजधानी को दहलाने की एक घिनौनी कोशिश की गई, जिसमें बम विस्फोटों का सहारा लिया गया. पटना जंक्शन (Patna Railway Junction) के प्लेटफार्म नंबर 10 पर पहला धमाका सुलभ शौचालय (Sulabh Shauchalay) के निकट हुआ, जबकि गांधी मैदान के आसपास छह विभिन्न स्थानों पर अन्य धमाके किए गए. इन आतंकवादी घटनाओं में छह निर्दोष व्यक्तियों की जान चली गई, जबकि 89 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. निरंतर होते रहे इन विस्फोटों ने चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर दिया और जनता में गहरी दहशत का संचार किया. यह घटना न केवल सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताओं को उजागर करती है, बल्कि समाज में एकजुटता और साहस के महत्व को भी रेखांकित करती है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने धमाकों के बाद तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) द्वारा जांच की मांग की थी. इसके पश्चात, NIA ने 2014 में इस मामले में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी. अदालत में 187 व्यक्तियों ने गवाही दी, जिसके आधार पर पटना की निचली अदालत ने नुमान अंसारी, हैदर अली, इम्तियाज आलम, और मोजिबुल्ला अंसारी को फांसी की सजा सुनाई. आरोपियों ने इस निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय का सहारा लिया और निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी. अब, उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को संशोधित करते हुए आरोपियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है.