बिहार के 14 जिलों में बाढ़ का कहर, 50 लाख से ज्यादा आबादी प्रभावित
पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क) | बिहार में बाढ़ का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. बाढ़ ने राज्य के 14 जिलों के 112 प्रखंडों की 1043 पंचायतों की 49 लाख 50 हजार आबादी को प्रभावित किया है. आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्रडु ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चलाए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि बाढ़ से प्रभावित एक लाख 94 हजार परिवारों के खाते में छह-छह हजार की सहायता राशि भेज दी गई है. भुगतान की गई कुल राशि 116 करोड़ है. शेष प्रभावित परिवारों के खाते में भी शीघ्र ही राशि भेज दी जाएगी. राज्य के विभिन्न जिलों में 1340 सामुदायिक किचेन चलाए जा रहे हैं, जिनमें प्रतिदिन करीब नौ लाख लोग भोजन कर रहे हैं.
विभिन्न जिलों में 19 राहत केंद्र चलाए जा रहे हैं, जहां पर 27 हजार लोगों को रखा गया है और उन्हें जरूरी सामान मुहैया काराए जा रहे हैं. बाढ़ से प्रभावित जिलों में सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, खगड़िया, सारण, समस्तीपुर, सीवान और मधुबनी शामिल हैं.
हाईवे पर पानी, एनएच 722 और एसएच 74 ठप
उत्तर बिहार में शनिवार को भी बाढ़ का संकट घटता नहीं दिखा. बाढ़ के कारण छपरा-मुजफ्फरपर एनएच 722 पर आवागमन को बंद करा दिया गया है. वहीं मोतिहारी में एसएच 74 पर भी पानी के कारण आवागमन ठप है. मुजफ्फरपुर में बाया नदी में उफान के कारण एक दर्जन नई पंचायतों में पानी घुस गया है. दरभंगा के केवटी में महाराजी बांध टूटने से सैकड़ों घरों में पानी घुस गया है. चंपारण में लौरिया की भी स्थिति अभी भी खराब है. छपरा होते हुए मुजफ्फरपुर आने के रास्ते में मकेर में एनएच 722 पर पानी चढ़ गया है. इस कारण अब छपरा से मुजफ्फरपुर आने के लिए लोगों के पास हाजीपुर जाकर फिर लौटने का ही विकल्प बचा है. गोपालगंज का पानी मकेर में एनएच पर चढ़ा है.
वहीं मोतिहारी के केसरिया में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. नगर पंचायत सहित प्रखंड के दर्जन भर पंचायत बाढ़ की चपेट में हैं. वहीं स्टेट हाइवे 74 पर बच्चा प्रसाद सिंह कॉलेज के पास सड़क पर चार फीट पानी बह रहा है, जिससे आवागमन बाधित है. वहीं सीतामढ़ी में भी बागमती व अधवारा समूह की नदियां खतरे के निशान से ऊपर होने के बावजूद स्थिर हैं. गंडक, बूढ़ी गंडक व बागमती के जलस्तर में भी कई मीटरगेज पर स्थिरता दर्ज की गई.