ग्लोबल वार्मिंग: ‘इनसे मिलिए’ कार्यक्रम में हुई पर्यावरण सुरक्षा पर चर्चा
हर व्यक्ति, बच्चे में भरना होगा पर्यावरण प्रेम का जज्बा : पद्मभूषण डा. अनिल प्रकाश जोशी
प्राधिकरण के सभाकक्ष में पर्यावरण परिवर्तन और पुन:संयोजन नीति पर हुई चर्चा
उद्यमियों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होना जरूरी
यदि मानव को बचाना है, तो पर्यावरण संरक्षण के अतिरिक्त कोई उपाय नहीं
पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Bihar State Disaster Management Authority) की ओर से पर्यावरण संरक्षण एवं पारिस्थितिकी के विकास में जन सहभागिता पर ‘इनसे मिलिए’ कार्यक्रम का आयोजन मंगलवार को किया गया. इसमें प्रख्यात पर्यावरणविद पदम भूषण डा.अनिल प्रकाश जोशी (Environmentalist Padma Bhushan Dr. Anil Prakash Joshi) ने आने वाली सभी आपदाओं के प्रति आगाह किया.
उन्होंने उद्यमियों को ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए भविष्य के लिए सचेत रहने को कहा. प्राधिकरण के कार्यालय में सदस्य कौशल किशोर मिश्र ने पौधा व अंगवस्त्र देकर डा.अनिल प्रकाश जोशी के साथ वरिष्ठ पत्रकार और पर्यावरणविद पंकज मालवीय को सम्मानित किया.
कार्यक्रम के उद्घाटन संबोधन में प्राधिकरण के सदस्य मनीष कुमार वर्मा (Manish Kumar Verma) ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कानून बनाए गए हैं. इनमें पेड़ पौधों को संरक्षण प्रदान करने के साथ जैव संरक्षण (bioconservation) के लिए विशेष क्षेत्र घोषित करने होंगे.
“नीतीश पेंडेंट” और ‘बीएसडीआरएन एप्प’
उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को जन आंदोलन के रूप में लेना होगा. सभी को उसमें अपनी सहभागिता निभानी होगी. उन्होंने प्राधिकरण के नए कदम “नीतीश पेंडेंट” (NITISH pendant) और ‘बीएसडीआरएन एप्प’ (BSDRN app) के बारें में भी विस्तार से चर्चा की.
वहीं, कार्यक्रम में डॉ अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि अभी जागरूक होकर हम उन भयावह परिणामों को रोक सकते हैं. इसके लिए जल, जीवन, जमीन और जंगल का संरक्षण करना होगा. यह संरक्षण सरकार की नहीं बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी है.
इसे भी पढ़ें – ‘सभी बीजेपी नेता और पीएम मोदी बिहार से सबसे ज्यादा डरे हुए हैं…’: तेजस्वी
डा. जोशी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर हालात बेकाबू होने लगे हैं. हमें यह समझना होगा, हवा, पानी, मिट्टी, प्रकृति के सबसे बड़े उत्पाद हैं. इनके संरक्षण की जिम्मेदारी हम सभी को लेनी होगी. पर्यावरण हमारे व्यक्तिगत जीवन से जुड़ा हुआ है, यदि मानव मात्र को बचाना है, तो पर्यावरण संरक्षण के अतिरिक्त कोई उपाय नहीं है.
औद्योगिक एवं आर्थिक विकास आवश्यक
“इनसे मिलिए” कार्यक्रम में भाग लेने आये डॉ जोशी ने कहा कि औद्योगिक एवं आर्थिक विकास आवश्यक है, लेकिन यदि मानव जीवन नहीं रहेगा, तो इस विकास का कोई अर्थ नहीं. इसलिए इकोलाजी इंक्लूसिव इकोनामी (Ecology Inclusive Economy) ही इस समस्या का एकमात्र हल है, इसलिए पर्यावरण शोधकर्ता उद्योगपतियों एवं जनमानस को एक साथ पर्यावरण के लिए सहभागिता करनी होगी.
उन्होंने कहा कि दुनिया 300 साल में बदली है. विकास के नए स्थान स्थापित हो और सीमाएं तय होनी चाहिए. विकास के साथ समृद्धि ज्यादा जरूरी है. स्वच्छ वायु और स्वच्छ जल आज की बहुत बड़ी जरूरत हैं. इसको-उद्यमी, प्राकृतिक पर्यावरण और व्यवसाय की कथित विरोधाभासी दुनिया को पाटते हैं.
डॉ जोशी ने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र के कई तत्व मजबूत हैं और आम तौर पर एक साथ विकसित हुए हैं. इसी तरह, इन पारिस्थितिक तंत्रों के गठन से पता चलता है कि सरकारें या सामाजिक नेता जो आर्थिक नीति के हिस्से के रूप में अधिक उद्यमशीलता को बढ़ावा देना चाहते हैं, उन्हें एक साथ कई ऐसे तत्वों को मजबूत करना होगा. आज हम कृषि के इकोनोमी से औद्योगिक अर्थतंत्र की ओर बढ़ रहे हैं जहां हमें ही तालमेल बिठाना होगा.
इस मौके पर सदस्य पीएन राय ने कहा कि पहले बिहार में मात्र 7 प्रतिशत हरित क्षेत्र था जो अब बढ़ कर 15 प्रतिशत हो गया है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में ग्रॉस इकॉलोजी प्रोडक्ट (gross ecology product) पर प्राधिकरण कार्य करेगा. इस अवसर पर प्राधिकरण के सचिव मीनेंद्र कुमार, विशेष सचिव आशुतोष सिंह, पर्यावरणविद डॉ नागेंद्र मेहता के साथ पदाधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे. जबकि प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ उदय कान्त मिश्रा दिल्ली से ऑनलाइन जुड़े थे.
(इनपुट-विज्ञप्ति)