शिक्षक संघ ने किया अनिवार्य सेवानिवृति फैसले का विरोध
पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क) | बिहार सरकार द्वारा 3 महीने का वेतन देकर 21 वर्ष की सेवा या 50 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर अनिवार्य रिटायरमेंट का निर्णय लिया गया है. इस बावत सामान्य प्रशासन विभाग, बिहार सरकार ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए राज्य के सभी विभागों के प्रधानों से इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है.
सरकार के इस निर्णय का बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ, बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) , बिहार सचिवालय सेवा संघ एवं बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ (गोप गुट) ने एक संयुक्त बैठक कर विरोध किया है.
सरकार के इस पत्र पर बिहार के कर्मचारियों -शिक्षकों में तीखा आक्रोश व्याप्त है. इस बैठक में कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए 29 जुलाई 2020 को पटना सहित सभी जिला मुख्यालयों में सरकार के आदेश की प्रति को जलाने का निर्णय लिया गया है.
बता दें कि बिहार सरकार ने पत्र जारी किया है जिसमें लिखा है कि “कम से कम तीन माह पूर्व सूचना अथवा तीन माह के वेतन की समतुल्य राशि देकर 21 वर्ष की सेवा अथवा 50 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने पर सेवानिवृत्ति की जा सकती है. समीक्षा में समय-समय पर न्यायालय के निर्णयों को भी संज्ञान में लिया जाएगा. जिन कर्मियों की उम्र जुलाई से दिसंबर माह में 50 वर्ष से ज्यादा होने वाली हो, उनके मामलों की समीक्षा समिति द्वारा उसी वर्ष जून माह में की जाएगी”.
इस मामले पर बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष विश्वनाथ सिंह, बिहार सचिवालय सेवा संघ के अध्यक्ष बिनोद कुमार, बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) के महासचिव प्रेमचंद कुमार सिन्हा एवं बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ (गोप गुट ) के महासचिव नागेन्द्र सिंह ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है. सबों नें संयुक्त रूप से कहा है कि बिहार सरकार द्वारा 50 वर्ष उम्र पार कर चुके कर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृति का फरमान निहायत ही आपत्तिजनक है.
सरकार द्वारा जारी आदेश कर्मचारियों एवं शिक्षकों के संवैधानिक, वैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों पर सरकारी हमला बर्दाश्त के योग्य नहीं है. अनिवार्य सेवानिवृति से संबंधित संकल्प से बिहार सरकार का घोर कर्मचारी- शिक्षक विरोधी चेहरा उजागर हो गया है. शिक्षक संघ सरकार के इस फैसले का मजबूती से विरोध करेगा.