प्रयागराज में गंगा के पानी में उच्च स्तर के रोगाणु पाए गए : CPCB रिपोर्ट
प्रयागराज / नई दिल्ली (The Bihar Now डेस्क)| राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal) ने प्रयागराज में गंगा नदी के पानी में फीकल बैक्टीरिया (मल जीवाणु) के उच्च स्तर को लेकर गंभीर चिंता जताई है. 13 जनवरी से चल रहे महाकुंभ मेले के दौरान करोड़ों श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान किया, जिससे जल की स्वच्छता पर प्रभाव पड़ा है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने NGT को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें बताया गया कि प्रयागराज के कई स्थानों पर पानी की गुणवत्ता स्नान के लिए आवश्यक मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई है.
फीकल कोलीफॉर्म (Faecal Coliform) एक प्रकार का जीवाणु है, जो सीवेज प्रदूषण (गंदे पानी के मिश्रण) का संकेत देता है. CPCB के अनुसार, इसकी स्वीकार्य सीमा 2,500 इकाई प्रति 100 मिलीलीटर होनी चाहिए. लेकिन प्रयागराज में यह स्तर काफी अधिक पाया गया.
CPCB की रिपोर्ट के अनुसार, प्रयागराज के कई स्थानों पर गंगा नदी का पानी स्नान के लिए उपयुक्त नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया कि महाकुंभ मेले के दौरान विशेष स्नान पर्वों पर लाखों लोग गंगा में डुबकी लगाते हैं, जिससे नदी में फीकल कोलीफॉर्म का स्तर बढ़ जाता है. जांच में यह पाया गया कि सभी परीक्षण स्थलों पर पानी की गुणवत्ता मानकों से नीचे थी.
NGT ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) को फटकार लगाई
NGT की एक पीठ, जिसमें अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल शामिल थे, इस मामले की सुनवाई कर रही थी. पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने पहले दिए गए निर्देशों का ठीक से पालन नहीं किया. UPPCB को संपूर्ण कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन उसने केवल एक संक्षिप्त पत्र और कुछ जल परीक्षण रिपोर्टें ही जमा कीं.
NGT की पीठ ने कहा कि 28 जनवरी 2025 को UPPCB द्वारा भेजे गए दस्तावेजों की समीक्षा करने पर यह सामने आया कि फीकल और टोटल कोलीफॉर्म की मात्रा विभिन्न स्थानों पर बहुत अधिक थी.
इसे भी पढ़ें – 10 हजार फीट की ऊंचाई से उड़ान ताकि यात्री ले सके महाकुंभ का नजारा
NGT ने उत्तर प्रदेश सरकार के वकील को रिपोर्ट की जांच करने और जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय दिया.
इसके अलावा, NGT ने आदेश दिया कि UPPCB के सदस्य सचिव और गंगा नदी की जल गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार राज्य प्राधिकरण को 19 फरवरी को ऑनलाइन (वर्चुअल माध्यम से) सुनवाई में उपस्थित रहना होगा.
नदी में गंदे पानी की निकासी रोकने की जरूरत
NGT इस मुद्दे की सुनवाई गंगा और यमुना में सीवेज और गंदे पानी के प्रवाह को रोकने के लिए कर रही है. यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि गंगा का जल आस्था के साथ-साथ पर्यावरणीय दृष्टि से भी स्वच्छ बना रहे.
फीकल कोलीफॉर्म (Faecal Coliform) के उच्च स्तर के स्वास्थ्य पर प्रभाव
फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया, जो मानव और पशुओं के मल से जल में पहुंचते हैं, संक्रमण और जलजनित बीमारियों का कारण बन सकते हैं. यदि लोग ऐसे दूषित पानी में स्नान करते हैं या इसे गलती से पी लेते हैं, तो निम्नलिखित स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं:
1. पेट और आंतों से जुड़ी समस्याएं
- डायरिया (दस्त) और डिहाइड्रेशन
- पेट दर्द, ऐंठन और उल्टी
- अमोएबिक और बैक्टीरियल डिसेंट्री (खूनी दस्त)
- टाइफाइड बुखार (साल्मोनेला संक्रमण के कारण)
2. त्वचा और शरीर के अन्य संक्रमण
- त्वचा पर चकत्ते, खुजली और एलर्जी
- आंखों में संक्रमण (कंजंक्टिवाइटिस/आई इन्फेक्शन)
- कानों में संक्रमण, जिससे दर्द और सुनने में दिक्कत हो सकती है
- नाक और गले में जलन व संक्रमण
3. गंभीर जलजनित बीमारियां
- हैजा (Cholera) – गंभीर दस्त और पानी की कमी से शरीर कमजोर हो सकता है
- हेपेटाइटिस A और E – दूषित पानी के सेवन से लीवर संक्रमण हो सकता है
- पोलियो – यदि वायरस दूषित पानी में हो, तो यह फैल सकता है
4. प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना
- लगातार गंदे पानी के संपर्क में रहने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) कमजोर हो सकती है.
- यह विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है.
निवारण और सुरक्षा के उपाय
- साफ और स्वच्छ पानी में स्नान करें.
- नदी के पानी को गलती से भी न पीएं.
- स्नान के बाद साफ पानी से खुद को अच्छी तरह धो लें.
- संभावित संक्रमण के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
गंगा जैसी पवित्र नदी का जल प्रदूषित होने से आस्था और स्वास्थ्य, दोनों पर असर पड़ता है. इसे स्वच्छ और सुरक्षित बनाए रखना आवश्यक है.