कोरोना की ‘फुस्स’, बिहारी इम्यूनिटी की जय जय

Last Updated on 3 years by Nikhil

पटना (TBN स्पेशल रिपोर्ट) | पिछले कई महीनों से जानलेवा वायरस कोविड-19 (कोरोना) ने पूरे विश्व में करीब एक लाख लोगों की मौत का कारण बना हुआ है. चीन के वुहान शहर से शुरू हुए इस वायरस का तांडव अभी करीब 211 से अधिक देशों में अपनी प्रचंड लीला दिखा रहा है. भारत भी इससे अछूता नहीं है.
भारत में भले ही यह वायरस अपनी चाल चाल रहा है लेकिन यहाँ पर इसकी जानलेवा प्रकृति का असर कम दिखा रहा है. जैसा कि हम सब जानते हैं, पूरे विश्व में कई कोरोना संक्रमित मरीजों को आईसीयू और वेंटिलेटर (Ventilator) की जरूरत पड़ती है. लेकिन आश्चर्य है कि बिहार में अभी तक एक भी मरीज को वेंटिलेटर (Ventilator) पर रखने की जरूरत नहीं पड़ी है.
बिहार (Bihar) में अचानक बढ़े कोविड-19 (Covid-19) संक्रमित मामलों से यहाँ मरीजों की कुल संख्या 60 तक पहुँच चुकी है. अभी तक एक मरीज की मौत हो चुकी है जबकि 15 मरीज पूरी तरह ठीक होकर वापस अपने घरों को चले गए हैं. एक बात काफी आश्चर्यजनक है कि बिहार (bihar) में कोविड-19 (Covid-19) संक्रमित किसी भी मरीज को अभी तक आईसीयू (ICU) में नहीं रखा गया है. यही नहीं, अभी तक एक भी मामले में किसी भी मरीज को वेंटिलेटर की भी आवश्यकता नहीं पड़ी है.
जानकारी के अनुसार, बिहार में अभी तक कोरोना (Coronavirus) संक्रमित मरीजों को केवल क्वारंटीन में रखने के साथ साथ मलेरिया (Maleria) की दवाई खिलाकर ठीक किया जा रहा है.
ये वास्तव में एक आश्चर्यजनक बात है कि बिहारियों में कोरोना वायरस का प्रभाव लगभग फुस्स साबित हो रहा है. इस मामले में एक्सपर्टों की राय है कि बिहारी जनता पूरे साल किसी न किसी वायरस के हमले का सामना करते रहते हैं. इस कारण बिहारिययोन के शरीर में बेस्ट लाइन इम्यूनिटी सिस्टम डेवलप कर गया हो सकता है. हालांकि बिहारियों की इम्यूनिटी (Immunity) पर अभी तक कोई रिसर्च हुआ नहीं है लेकिन संभावना है कि बिहारियों के शरीर में वायरस के क्रॉस कनेक्शन की वजह से हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity) अर्थात सोसाइटी इम्यूनिटी (Society Immunity) डेवलप कर गया हो.
इस मामले पर पटना स्थित आरएमआरआई (RMRI) के डायरेक्टर पी दास के अनुसार बिहार की अधिकतर जनता गरीब तथा गांवों में रहने वाली है. बिहारी बच्चे जन्म से ही कई तरह के वायरस के प्रकोप से रूबरू होते रहते हैं. इस कारण, संभवतः यहाँ की जनता की प्रतिरोधक क्षमता अमेरिका और यूरोपिय लोगों से अधिक हो. फिर भी इस निष्कर्ष पर पहुंचना बहुत आसान नहीं है और यह एक रिसर्च का विषय है.
आज कोविड-19 के लिए किसी भी दवा के न होने की स्थित में विदेशों में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज मलेरिया की दवा से की जा रही है. जानलेवा संक्रमण की संकटभारी स्थिति में भारत ने अमेरिका, फिलीपींस आदि विश्व के कई देशों में मलेरिया की दवा भेजी भी है. एक बात और गौरतलब है कि बिहार में मलेरिया वायरस का असर बहुत है. साल दर साल आज भी लोग मलेरिया से संक्रमित होते रहते हैं तथा मलेरिया की दवा का सेवन करते हैं. इस स्थिति में बिहारियों में वायरस इम्यूनिटी क्षमता बढ़ गई हो सकती है. और इसी कारण कोरोना यानि कोविड-19 का प्रभाव बिहारियों पर फुस्स साबित हो रहा है.