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कोरोना वायरस उर्फ वुहान-400 ?

39 साल पहले कोरोना वायरस का नाम वुहान – 400 था. जिन लोगों ने अभी थोड़े समय पहले तक कोरोना वायरस को विध्वंसक बताते हुए इसे प्राकृतिक आपदा बताया था, अब सामने आ रहे तथ्य उन्हें झूठा साबित कर रहे हैं.
कोरोना वायरस का आकार 400 एमजी पाया गया है और इसीलिए मास्क की आवश्यकता बताई गई ताकि स्वांस के जरिये यह वायरस शरीर मे प्रवेश न कर सके. लेकिन इसका यह आकार ऐसे ही नही है. 39 साल पहले इसे वुहान – 400 का नाम दिया गया था. चीन का वही वुहान जो कोरोना वायरस का एपी सेन्टर पिछले साल नवम्बर में बना. हालांकि 39 साल बाद ही सही, चीन ने ऐसा कर दिया.

Page 353, The Eyes Of Darkness

1981 में एक पुस्तक सामने आई ” द आइज ऑफ डार्कनेस”. इस पुस्तक में आज के कोरोना वायरस के मकसद का जिक्र है जिसे उस समय वुहान – 400 का नाम दिया गया था. इस पुस्तक के लेखक Dean Koontz की चर्चा जितनी अभी हो रही है वह बेहद दिलचस्प है. वुहान – 400 के जरिये लेखक ने कोरोना वायरस से हुई तबाही की भविष्यवाणी की थी या नही, चर्चा के मूल में यही है. इस अमेरिकी लेखक को फिक्शन राइटर भी बताया जा रहा है. लेकिन वायरस, वुहान और बड़े दर पर दुनिया भर में हुई मौतों पर कोई कुछ नही बोल रहा है.
लेकिन तबाही के मंजर से जूझ रहे यूरोप सहित अन्य देशों की रफ्तार जहां ठहर सी गयी है वहीं चीन की सक्रियता चौंकाती है. इमेज बनाने के नाम के पीछे दुनिया की अर्थव्यवस्था को अपने इशारों पर नचाने की चीन की मंशा पर उठ रहे सवालों का जवाब चीन की मुस्तैदी से दी जाने कोशिश किसी के गले के नीचे उतर नही रही है.
अब जबकि कोरोना प्रभावितों की संख्या के मामले में अमेरिका पहले स्थान पर और कोरोना से मरने वालों में इटली पहले स्थान पर हैं, वहीं चीन का वुहान बहुत तेजी से वापस पटरी पर लौट रहा है. इतने (नवम्बर 2019 से अबतक) कम समय में इतना बड़ा नुकसान किसी बड़े षड्यंत्र का ही परिणाम हो सकता है. कोरोना वायरस से चीन की वापसी भी नाटकीय ही है.
इसलिए अब खबरें छन – छन कर बाहर आने लगी हैं. पिछले कुछ ही वर्षों में चीन ने भारत सहित विश्व मीडिया में 6 बिलियन डॉलर खर्च किये. इसमे विभिन्न मीडिया घरानों के शेयर खरीदे गए और कथित तौर पर बड़े – बड़े पत्रकारों को घूस दिया गया. खबर का आशय यही है कि विश्व मीडिया को मैनेज कर लेने के बाद ही कोरोना प्रकरण को वुहान के मार्फ़त दुनिया भर में फैलाने का चीनी अभियान शुरू हुआ.
अब चीन की तरफदारी करने वाले मीडिया घरानों की आवाज ज्यादा तेजी से सुनाई दे रही है जिसमे भारत के चुनिंदा मीडिया घराने भी शामिल हैं.
अभी जहां यूरोप कोरोना वायरस की तीव्रता से कांप रहा है, चीन समर्थक विश्व मीडिया ने वुहान का अगला एपिसोड शुरू कर दिया है. 6 बिलियन डॉलर का निवेश कर चुके चीन का इमेज तराशने के काम में दल्लू मीडिया घराने लग गए हैं.
इनमें पहला यह है कि चीन ने अपने संकट पर काबू पा लिया है. दूसरा यह है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश भारत की मदद करने के लिए वह तैयार है और तीसरा यह कि पड़ोसी देश भारत के साथ ही वह विश्व की कोरोना पीड़ित मानवता की सेवा के लिए भी तैयार है.
चीन का साथ दे रहे विदेशी मीडिया घरानों का एजेंडा दिलचस्प तरीके से भारत के इर्द – गिर्द ही घूमता है. इसकी वजह भारत की जनसंख्या है. यानी चीन के हित मे ही भारत की भूमिका को भी तराशने की कवायद होगी.
26 मार्च को जी-20 देशों की एक बैठक वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये हुई जिसमें चीन और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर एक शब्द का जिक्र तक नही हुआ. इसे चीन समर्थक मीडिया भुनाने की कोशिश में है. इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि उस बैठक में सभी देशों की नज़र भारत पर ही थी.
(ये वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा के निजी विचार हैं)