कृषि मंत्री ने किया 675 योजनाओं का उद्घाटन एवं 133 योजनाओं का शिलान्यास
पटना (TBN रिपोर्ट) | बिहार के कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने बुधवार को विकास भवन, नया सचिवालय, पटना अवस्थित कृषि विभाग के सभागार से वित्तीय वर्ष 2019-20 से लेकर अभी तक भूमि संरक्षण निदेशालय द्वारा कार्यान्वित सभी पूर्ण योजनाओं का उद्घाटन तथा प्रस्तावित योजनाओं का शिलान्यास वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया.
मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज कृषि विभाग के अंतर्गत भूमि संरक्षण निदेशालय द्वारा कार्यान्वित कुल 675 योजनाओं का उद्घाटन किया गया है. साथ ही, इस निदेशालय की 133 योजनाओं का शिलान्यास भी किया गया है. इन योजनाओं पर कुल वित्तीय लागत 3606.69 लाख रूपये है.
इसमें 244 पक्का चेक डैम, 97 साद अवरोधक बाँध, 154 आहर-पईन का जीर्णोद्धार, 18 शुष्क बागवानी, 82 जल संग्रहण टैंक और 60 कुआँ निर्माण की योजनाओं का उद्घाटन किया गया है. इसके साथ ही, 15 चैक डैम, 01 साद अवरोधक बाँध, 41 आहर-पईन जीर्णोद्धार, 12 शुष्क बागवानी, 02 फार्म पॉण्ड, 22 जल संग्रहण टैंक और 40 कुआँ निर्माण की योजनाओं का शिलान्यास किया गया.
मंत्री ने बताया कि लॉकडाउन में तेजी से कार्य कराया जा रहा है, जिसमें पलायन से लौटे कामगारों को बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराया गया है. अभी तक भूमि संरक्षण संभाग द्वारा 01 लाख 38 हजार 175 रोजगार दिवस सृजित किये गये हैं.
उन्होंने कहा कि इनमें अरवल जिला में 8, औरंगाबाद में 119, बांका में 52, भागलपुर में 10, भोजपुर में 20, बक्सर में 15, गया में 225, जमुई में 16, जहानबाद में 30, कैमूर में 35, लखीसराय में 9, मुंगेर में 30, नालन्दा में 14, नवादा में 21, पटना में 30, रोहतास में 30 एवं शेखपुरा जिला में 11 योजनाओं का उद्घाटन किया गया है. इसके अलावे गया में 122 और शेखपुरा में 11 योजनाओं का शिलान्यास भी किया गया.
प्रेम कुमार ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा बिहार के कुल 17 जिलों जैसे पटना, नालन्दा, रोहतास, कैमूर, गया, नवादा, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, जमुई, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, बाँका, भागलपुर, बक्सर एवं भोजपुर में भूमि एवं जल संरक्षण की योजना चलायी जा रही है. भूमि संरक्षण निदेशालय के अंतर्गत संचालित योजनाओं के माध्यम से इन जिलों में कृषि वानिकी के अंतर्गत फलदार एवं वन वृक्षारोपण, जल संग्रहण संरचनाएँ साद-अवरोध बाँध, चेक डैम आदि के निर्माण कार्य कराये जाते हैं.
उन्होंने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य फसलोत्पादन उद्यान विकास तथा मत्स्यपालन आदि कार्यों के लिए वर्षा जल का अधिक-से-अधिक संरक्षण करना, संरक्षित जल का समुचित उपयोग, भूमिगत जल स्तर को ऊपर उठाना एवं जलछाजन क्षेत्र के ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है. इसके साथ ही, उपजाऊ मिट्टी के क्षरण को रोकना तथा प्राकृतिक संसाधनों का विकास कर पर्यावरण को संतुलित करना है.
उन्होंने भूमि संरक्षण संभाग के पदाधिकारियों को निदेशित करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण जारी लॉकडाउन में बेरोजगारों को अधिक-से-अधिक रोजगार के अवसर सृजित किया जाये. भूमि संरक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत बड़े पैमाने पर तालाब, पक्का चेक डैम सहित विभिन्न प्रकार की जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया जाना है, जिसमें काफी अधिक संख्या में रोजगार की अवसर हैं.
डॉ कुमार ने कहा कि इन योजनाओं के कार्यान्वयन राज्य में आये प्रवासियों को बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध होगा तथा इसके साथ ही, राज्य में वर्षा जल संचय में बढ़ोत्तरी होगी, जिससे भू-जल पुनर्भरण के साथ ही, अतिरिक्त 5,000 एकड़ में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी. इसके अतिरिक्त वृक्षारोपण से उद्यानिकी, फलोत्पादन एवं पर्यावरण में सुधार होगा तथा परियोजना क्षेत्र के किसानों एवं भूमिहीन परिवारों की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ होगी.
कृषि विभाग के सचिव, डॉ एन॰ सरवण कुमार ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि कृषि रोड मैप के क्रियान्वयन के उपरांत गाँवों में बिजली की उपलब्धता होने के कारण किसानों द्वारा आज के समय में बीज और खाद की माँग नहीं की जाती है, बल्कि सिंचाई की सुविधा से संबंधित योजनाओं की सबसे ज्यादा माँग की जाती है. अन्य विभागों यथा जल संसाधन एवं लघु जल संसाधन विभाग द्वारा भी सिंचाई से संबंधित योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाता है. लेकिन कृषि विभाग के भूमि संरक्षण निदेशालय द्वारा चेक डैम, आहर पाईन, सामुदायिक कुआँ तथा तालाब के निर्माण से संबंधित योजनाएँ क्रियान्वित की जाती है, जिसका धरातल पर असर और अच्छा परिणाम राज्य के 17 जिलों में देखने को मिलता है.
एन॰ सरवण कुमार ने आगे कहा कि इन जिलों के किसानों द्वारा भूमि संरक्षण की योजनाओं की माँग अधिक है, क्योंकि काफी कम लागत में जल संचयन से संबंधित योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाता है. उन्होंने जिलास्तरीय पदाधिकारियों को निदेश दिया कि आज हुए शिलान्यास और उद्घाटन से संबंधित योजनाओं के शिलापट्टों को लाभुकों/योजना स्थल पर एक सप्ताह के अंदर लगा लिया जाये तथा विभाग के कल्याणकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार वृहत् पैमाने पर किया जाये. साथ ही, समय-समय पर पदाधिकारियों द्वारा किसानों से इन योजनाओं के फीडबैक प्राप्त किया जाये एवं उसका अनुश्रवण भी किया जाये. उन्होंने बताया कि भूमि संरक्षण निदेशालय की योजनाओं के लिए इस वित्तीय वर्ष में बजट आऊट ले बढ़ा दिया गया है.
इस अवसर पर विशेष सचिव श्रीमती पूनम, विशेष सचिव बिजय कुमार, निदेषक, भूमि संरक्षण गणेश कुमार, संयुक्त निदेशक (कृषि अभियंत्रण) भूमि संरक्षण अरविन्द शर्मा समेत विभाग के अन्य पदाधिकारी एवं कर्मीगण उपस्थित थे.