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राज्य के सभी 101 अनुमंडलों में कृषि क्लिनिक योजना की होगी शुरूआत – कृषि मंत्री

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)|राज्य सरकार द्वारा किसानों को प्रखण्ड स्तर पर ‘कृषि क्लिनिक’ के माध्यम से कृषि के सभी क्रियाओं की सारी सुविधाएँ एक छत के नीचे उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ‘कृषि क्लिनिक योजना’ (Krishi Clinic Scheme) की शुरूआत की जा रही है. इस आशय की जानकारी कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत (Agriculture Minister Kumar Sarvjeet) ने कृषि भवन पटना (Krishi Bhawan Patna) अवस्थित सभागार में आयोजित एक प्रेस सम्मेलन में दी. यह सम्मेलन कृषि क्लिनिक विषय पर आयोजित था.

मंत्री ने कहा कि कृषि क्लिनिक योजना के कार्यान्वयन हेतु वित्तीय वर्ष 2023-24 में 424.00 लाख रूपये की स्वीकृति की जा रही है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को फसल उत्पादन संबंधित सभी सेवाएँ जैसे – मिट्टी जाँच की सुविधा, बीज विश्लेषण की सुविधा, कीट-व्याधि प्रबंधन संबंधित सुझाव, पौधा संरक्षण संबंधित छिड़काव-भुरकाव हेतु आवश्यक उपकरणों एवं तकनीकी विस्तार सेवा का स्थानीय स्तर पर उपलब्धता सुनिश्चित कराया जाना है. इस योजना के क्रियान्वयन से राज्य में फसलों के उत्पादन, उत्पादकता एवं उत्पाद की गुणवत्ता में वृद्धि होगी, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी.

उन्होंने कहा कि इस योजना का कार्यान्वयन राज्य के सभी 101 अनुमंडलों में किया जायेगा. इस योजनान्तर्गत प्रत्येक अनुमंडल के 2 प्रखंडों में कृषि क्लिनिक की स्थापना की जायेगी. इसके अंतर्गत एक अनुमंडल के प्रखंड मुख्यालय में तथा दूसरा किसी अन्य चयनित प्रखंड मुख्यालय में स्थापना की जायेगी.

मंत्री ने कहा कि कृषि क्लिनिक में सेवाएँ प्रदान करने के लिए कृषि स्नातक/कृषि व्यवसाय प्रबंधन स़्नातक तथा राज्य/केन्द्रीय विश्वविद्यालय या किसी अन्य विश्वविद्यालय से कृषि/उद्यान में स्नातक, जो आईसीएआर/यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त हो, पात्र होंगे. इसके अतिरिक्त उपर्युक्त के अनुपलब्ध होने पर न्यूनतम दो वर्षों का कृषि/उद्यान में अनुभव प्राप्त डिप्लोमाधारी/कृषि विषय में इन्टरमीडिएट तथा रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, जीव विज्ञान में स्नातक के योग्य प्रार्थियों पर भी विचार किया जायेगा. इस योजना के क्रियान्वयन से ग्रामीण स्तर पर 202 युवाओं को रोजगार का अवसर मिलेगा. साथ ही, कृषि क्लिनिक से अन्य कुशल/अर्द्धकुशल व्यक्तियों के लिए भी रोजगार सृजन किया जा सकेगा.

उन्होंने बताया कि एक कृषि क्लिनिक की स्थापना के लिए कुल अनुमानित लागत 5 लाख रूपये का 40 प्रतिशत, अधिकतम 2 लाख रूपये की राशि सहायता अनुदान के रूप में दी जायेगी तथा लागत की शेष राशि का वहन आवेदक द्वारा स्वयं किया जायेगा. इस योजनान्तर्गत चयनित लाभार्थी बैंक से ऋण प्राप्त कर योजना का लाभ ले सकेगें. कृषि क्लिनिक की स्थापना के लिए चयनित लाभार्थियों को निःशुल्क प्रशिक्षण देने के साथ ही, उनकी इच्छा अनुसार उर्वरक, बीज, कीटनाशी लाईसेंस, कस्टम हायरिंग सेंन्टर सहित अन्य आवश्यक योजनाओं का लाभ देने में प्राथमिकता दी जायेगी.

प्रेस को संबोधित करते हुए कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि किसानों के फलदार वृक्षों जैसे – आम, लीची और अमरूद में लगने वाले कीट-व्याधि से बचाव के लिए सेवा प्रदाता के माध्यम से छिड़काव हेतु पौधा संरक्षण से संबंधित सरजमीन सेवा एवं उपादान वितरण योजना के लिए 14.24 करोड़ रूपये कर्णाकिंत की गई है.

सचिव ने बताया कि इस योजना के माध्यम से छिड़काव शुल्क कीटनाशी सहितद्ध पर किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान पर सेवा प्रदाता के माध्यम से सेवाएँ उपलब्ध करायी जायेगी. इसके साथ ही, विभिन्न फसलों में कीट-व्याधि प्रबंधन हेतु 75 प्रतिशत अनुदान पर फेरोमोन ट्रैप, लाईफ टाईम ट्रैप एवं स्टीकी ट्रैप पर किसानों को अधिकत्तम 02 हेक्टेयर जबकि टाल क्षेत्रों में 05 हेक्टेयर के लिए अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा.

उन्होंने कहा कि उपरोक्त दोनों योजनाओं का उद्देश्य सरकारी व्यवस्थाओं के साथ-साथ निजी क्षेत्र के माध्यम से किसानों को उनके फसलों को कीट-व्याधि हेतु बचाव के लिए सहायता उपलब्ध करायी जा सके, ताकि किसानों की उत्पादन में होने वाले नुकसान से बचाया जा सके.

इस प्रेस सम्मेलन में कृषि निदेशक डॉ॰ आलोक रंजन घोष, संयुक्त सचिव शैलेन्द्र कुमार, संयुक्त निदेशक प्रशासन अनिल कुमार ठाकुर, अपर निदेशक (शष्य) धनंजयपति त्रिपाठी, संयुक्त निदेशक-पौधा संरक्षण डॉ॰ प्रमोद कुमार सहित मुख्यालय के पदाधिकारीगण उपस्थित थे.