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स्कूली शिक्षा में 10+2 फार्मेट खत्म, 5+3+3+4 नई व्यवस्था होगी लागू

Patna (TBN – The Bihar Now डेस्क) | केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. वहीं नई शिक्षा नीति में 10+2 के फॉर्मेट को भी पूरी तरह खत्म कर दिया गया है.

अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है. इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 व कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे. फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा.

इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12). इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वो ले सकते हैं.

यहां नई NEP के बारे में जाने 10 महत्वपूर्ण बातें-

1) बोर्ड परीक्षाएं मॉड्यूलर रूप में हो सकती हैं, अब बोर्ड परीक्षा रट्टा मारकर याद रखने वाले सिद्धांत को हतोत्साहित करते हुए ज्ञान और योग्यता आधारित होंगी.

2) मल्टिपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री दी जाएगी.

3) सभी उच्च शिक्षा संस्थानों, कानूनी और मेडिकल कॉलेजों को छोड़कर, एकल नियामक यानी सिंगल रेगुलेटर द्वारा होगी.

4) केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत निजी और सार्वजनिक उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए सामान्य मानदंड अपनाया जाएगा. प्रेस कांफ्रेंस में शिक्षा सचिव अमित खरे ने कहा कि आज की तारीख तक हमारे पास अलग-अलग स्टैंडअलोन संस्थानों के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालयों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए अलग-अलग मानदंड हैं. नई शिक्षा नीति कहती है कि गुणवत्ता के कारणों के लिए मानदंड सभी के लिए समान होंगे, न कि स्वामित्व के अनुसार.

5) नई शिक्षा नीति के अनुसार विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली आम प्रवेश परीक्षा होगी. ये परीक्षा एनटीए यानी नेशनल टेस्ट‍िंग एजेंसी कराएगी.

6) स्कूल पाठ्यक्रम को मेन कॉन्सेप्ट में कम किया जाएगा. इसके साथ नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कक्षा 6 से व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण शामिल है.

7) नई नीति 2035 तक हाई स्कूल के 50% छात्रों के लिए उच्च शिक्षा तक पहुंच का विस्तार करना चाहती है, और इससे पहले सार्वभौमिक वयस्क साक्षरता (universal adult literacy ) प्राप्त करना है.

8) मंत्रिमंडल ने तय किया है कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 6% तक शिक्षा पर सार्वजनिक खर्च बढ़ाया जाए जो कि अभी करीब 4.43 प्रतिशत के करीब है.

9) सरकार 2030 तक प्री स्कूल से सेकेंड्री लेवल यानी माध्यमिक स्तर तक 100% ग्रॉस एनरोलमेंट के अनुपात को लक्षित कर रही है.

10) 5 वीं कक्षा तक मातृभाषा शिक्षा का एक माध्यम बनाया जाए.

यहां समझें आसान भाषा में कि क्या है 5+3+3+4 फार्मेट का सिस्टम- 

स्कूल शिक्षा का नया ढांचा, 5+3+3+4 फार्मूला

फाउंडेशन स्टेज

पहले तीन साल बच्चे आंगनबाड़ी में प्री-स्कूलिंग शिक्षा लेंगे. फिर अगले दो साल कक्षा एक एवं दो में बच्चे स्कूल में पढ़ेंगे. इन पांच सालों की पढ़ाई के लिए एक नया पाठ्यक्रम तैयार होगा. मोटे तौर पर एक्टिविटी आधारित शिक्षण पर ध्यान रहेगा. इसमें तीन से आठ साल तक की आयु के बच्चे कवर होंगे. इस प्रकार पढ़ाई के पहले पांच साल का चरण पूरा होगा.

प्रीप्रेटरी स्टेज

इस चरण में कक्षा तीन से पांच तक की पढ़ाई होगी. इस दौरान प्रयोगों के जरिए बच्चों को विज्ञान, गणित, कला आदि की पढ़ाई कराई जाएगी. आठ से 11 साल तक की उम्र के बच्चों को इसमें कवर किया जाएगा.

मिडिल स्टेज

इसमें कक्षा 6-8 की कक्षाओं की पढ़ाई होगी तथा 11-14 साल की उम्र के बच्चों को कवर किया जाएगा. इन कक्षाओं में विषय आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा. कक्षा छह से ही कौशल विकास कोर्स भी शुरू हो जाएंगे.

सेकेंडरी स्टेज

कक्षा नौ से 12 की पढ़ाई दो चरणों में होगी जिसमें विषयों का गहन अध्ययन कराया जाएगा. विषयों को चुनने की आजादी भी होगी.

पहले यह थी व्यवस्था

पहले सरकारी स्कूलों में प्री-स्कूलिंग नहीं थी. कक्षा एक से 10 तक सामान्य पढ़ाई होती थी. कक्षा 11 से विषय चुन सकते थे.