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पार्टी द्वारा निष्कासित जसवंत सिंह की बीजेपी को अचानक याद क्यों आई?

नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) से निष्कासन के एक दशक बाद पूर्व विदेश, वित्त और रक्षा मंत्री स्व जसवंत सिंह (late Jaswant Singh) को बुधवार को उनकी 86वीं जन्मदिन पर उनके पूर्व पार्टी सहयोगियों ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी.

राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा (Rajasthan CM Bhajanlal Sharma) से लेकर उनकी डिप्टी दीया कुमारी, मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ (Rajyavardhan Rathore) और कई अन्य बीजेपी (BJP) नेताओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (social media platform X) पर श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्हें “वरिष्ठ बीजेपी नेता” कहा गया और देश के लिए उनके “अविस्मरणीय योगदान” को याद किया.

2014 में बाड़मेर संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ने के बाद भाजपा ने जसवंत सिंह को निष्कासित कर दिया था. उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया गया था, इस फैसले का श्रेय तत्कालीन राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) को दिया गया था.

संयोग से, राजे ने भी दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि देश की सुरक्षा और राजनीति में उन्होंने जो सेवाएं दीं, उन्हें भुलाया नहीं जा सकता.

आम चुनाव से पहले कद्दावर राजपूत नेता की ज़रूरत

मीडिया ने दिल्ली और राजस्थान में कई बीजेपी नेताओं से बात की. सबने अपने निष्कासित दिवंगत सहयोगी को अचानक याद करने के लिए कम से कम दो कारण बताए. सबसे पहले, आम चुनाव से पहले भाजपा को उस कद्दावर राजपूत नेता की राजनीतिक विरासत पर दावा करने की ज़रूरत महसूस हुई, जो चार बार लोकसभा और पांच बार राज्यसभा के लिए चुने गए थे. भाजपा नेता अब खुले तौर पर उनकी विरासत पर दावा कर सकते हैं क्योंकि जसवंत सिंह की विरोधी वसुंधरा राजे को संगठन में किनारे कर दिया गया है.

जसवंत के बेटे तक पहुँचने की एक सुविचारित योजना

दूसरा, पार्टी द्वारा उठाया गया यह कदम जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह (Manvendra Singh) तक पहुँचने की एक सुविचारित योजना है. बता दें, मानवेंद्र सिंह ने 2018 में ‘स्वाभिमान’ के लिए भाजपा छोड़ दी थी. उस वक्त मानवेंद्र भाजपा से विधायक थे और उन्हें 2014 में अपने पिता जसवंत सिंह के पक्ष में प्रचार करने के लिए निलंबित कर दिया गया था. मानवेंद्र ने दावा किया था कि उन्हें गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी (Gujarat CM Narendra Modi) का फोन आया था कि बाड़मेर (Barmer) का टिकट उनके हाथ में नहीं है और यह तीन लोगों की “साजिश” थी – एक जयपुर से और दो दिल्ली से.

बीजेपी छोड़ने के बाद मानवेंद्र सिंह अक्टूबर 2018 में कांग्रेस में शामिल हो गए और 2019 में बाड़मेर-जैसलमेर से लोकसभा चुनाव और 2023 में सिवाना से विधानसभा चुनाव लड़े लेकिन असफल रहे. 2018 में वह झालरापाटन विधानसभा क्षेत्र में राजे से हार गए थे.

मानवेंद्र भी अब बीजेपी में लौटने के मूड में

बताया जा रहा है कि मानवेंद्र अब बीजेपी में लौटने के बारे में अपने विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. मानवेंद्र सिंह ने मीडिया को बताया. “मुझे कांग्रेस नेतृत्व द्वारा एक सीट (सिवाना) से चुनाव लड़ने के लिए भेजा गया था, जिसमें मेरी कोई दिलचस्पी नहीं थी. इसलिए मुझे नहीं पता कि मैं कांग्रेस में वांछित हूं या नहीं. और इसलिए, भविष्य के संबंध में जो भी निर्णय लेना होगा वह मेरे समर्थकों के परामर्श से ही लिया जाएगा. यह भी एक तथ्य है कि अधिकांश समर्थक चाहते हैं कि मैं फिर से भाजपा में शामिल हो जाऊं. अधिकांश समर्थक भाजपा के समय से और उसके बाद भी परिवार के साथ रहे हैं और उनके इनपुट मेरे लिए मूल्यवान हैं. इसलिए कोई भी निर्णय उनके साथ ही लिया जाएगा.”

हालाँकि आधिकारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन पार्टी पदाधिकारियों ने मीडिया को बताया कि ‘राजनीति में हर चीज़ का एक समय होता है’.

इधर भाजपा के एक राज्य पदाधिकारी ने कहा, “जसवंत सिंह भाजपा के एक बड़े नेता थे. उन्होंने भले ही स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा हो लेकिन वह किसी अन्य पार्टी में शामिल नहीं हुए. भैरों सिंह शेखावत की तरह ही पार्टी में उनका सम्मान किया जाता है और उनकी एक विरासत है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. विशेषकर मारवाड़ क्षेत्र में उनका काफी प्रभाव है. उन्होंने विकास की राजनीति की. आज भी लोग उनके बारे में शासन और विकास पर ध्यान केंद्रित करने वाले व्यक्ति के रूप में बात करते हैं.”

हालाँकि पहले भी, दिया सिंह जैसे कुछ भाजपा नेताओं ने जसवंत सिंह के जन्म और मृत्यु वर्षगाँठ पर पोस्ट किया था, एक पार्टी पदाधिकारी ने इस बार ‘वॉल्यूम’ में अंतर समझाया.

पार्टी के एक कार्यकर्ता ने कहा, “देखिए वातावरण बदल रहा है. जिस व्यक्ति (वसुंधरा राजे) ने उन्हें परेशान किया था, उसे किनारे कर दिया गया है, इसलिए इससे उनके समर्थकों को खुद को और अधिक स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने का अधिक आत्मविश्वास मिला है. इसलिए लोग भावनाओं को व्यक्त करने में अधिक मुखर हैं, जिसे स्थानीय स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करने या उनके संबंध में श्रद्धांजलि और शुभकामनाएं पोस्ट करने के संदर्भ में देखा जा सकता है.”

राजस्थान इकाई के एक अन्य नेता ने कहा कि मारवाड़ क्षेत्र में सिंह के प्रभाव के कारण, जो लोग चुनाव की तैयारी कर रहे हैं, वे ‘उनकी विरासत को हथियाने की कोशिश कर रहे हैं’.

बुधवार को जसवन्त सिंह को श्रद्धांजलि देने वालों में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी.पी.जोशी, भाजपा सांसद और राजे के बेटे दुष्यंत सिंह और वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ भी शामिल थे.

हालांकि, राजस्थान बीजेपी के प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने इस मामले पर पर्दा डालने की कोशिश करते हुए कहा कि पार्टी नेताओं द्वारा जसवंत सिंह को श्रद्धांजलि देने में कुछ भी असामान्य नहीं है.

(इनपुट-न्यूज)