उत्तराखंड बना समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य
देहरादून (TBN – The Bihar Now डेस्क)| बुधवार को समान नागरिक संहिता यूसीसी विधेयक (Uniform Civil Code UCC Bill) उत्तराखंड विधानसभा में विशेष सत्र के दौरान भारी बहुमत से पारित हो गया. इसके साथ ही उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जहां समान नागरिक संहिता लागू कर दिया गया है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने बुधवार को समान नागरिक संहिता पर बहस के दौरान कहा कि राज्य विधानमंडल समान नागरिक संहिता के पारित होने के साथ इतिहास रचने जा रहा है और राज्य का प्रत्येक नागरिक गर्व से भर गया है.
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code), जो सभी समुदायों के लिए समान या समान कानूनों का प्रस्ताव करती है, कल मंगलवार 6 फरवरी को मुख्यमंत्री द्वारा विशेष सत्र के दौरान पेश की गई थी.
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “मैं आज इस अवसर पर सभी प्रदेशवासियों को बधाई देना चाहता हूं, क्योंकि आज हमारे उत्तराखंडियों की विधानसभा इतिहास रचने जा रही है. आज इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनकर न केवल यह सदन बल्कि हर उत्तराखंडवासी गौरव से भर गया है. यह एक भावना है. हमारी सरकार ने ‘एक भारत, एक बेहतर भारत’ के मंत्र को साकार करने के लिए उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था.
विपक्ष सहित सभी सदस्यों को दिया धन्यवाद
मुख्यमंत्री ने यूसीसी पर अपने विचार साझा करने के लिए विपक्ष सहित सभी विधानसभा सदस्यों को धन्यवाद दिया.
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “राज्य की देवतुल्य जनता ने हमें इस उद्देश्य को पूरा करने का अवसर दिया, उन्होंने अपना आशीर्वाद दिया और हमें फिर से सरकार बनाने का मौका दिया. सरकार बनने के तुरंत बाद, पहली कैबिनेट बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी. 27 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया था. सीमावर्ती माणा गांव से शुरू हुई यह जनसंवाद यात्रा लगभग नौ माह बाद नई दिल्ली में 43वें जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित कर समाप्त हुई.”
इसे भी पढ़ें – भर्ती और प्रवेश परीक्षाओं में कदाचार रोकने के लिए संसद में विधेयक पारित
उन्होंने कहा, “समान नागरिक संहिता बनाने के लिए 2.32 लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए. राज्य के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों ने कानून बनाने के लिए अपने सुझाव दिए. यह हमारे राज्य की देवतुल्य जनता की जागरूकता का प्रत्यक्ष प्रमाण है.”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सदन से निकलने वाली समान अधिकार की गंगा नागरिकों के जीवन का कल्याण करेगी. उन्होंने कहा, “जिस प्रकार इस देवभूमि से निकलने वाली मां गंगा अपने तटों पर रहने वाले सभी प्राणियों को बिना किसी भेदभाव के सिंचित करती है, उसी तरह इस सदन से निकलने वाली समान अधिकार की गंगा हमारे सभी नागरिकों के जीवन का पोषण करेगी. हम संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करेंगे.”
सीएम धामी ने कहा कि यूसीसी कोई सामान्य बिल नहीं बल्कि ‘उत्कृष्ट’ बिल है. मुख्यमंत्री ने कहा, “यह एक सपना है जो हकीकत बनने जा रहा है और इसकी शुरुआत उत्तराखंड से होगी.”
पिछली राज्य और केंद्र सरकार पर साधा निशाना
इस दौरान पिछली राज्य और केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए सीएम धामी ने कहा, ”लंबा समय बीत गया. हमने अमृत महोत्सव मनाया. लेकिन 1985 के शाह बानो मामले के बाद भी सच्चाई को स्वीकार नहीं किया गया. जिस सच्चाई के लिए शाह बानो ने दशकों तक संघर्ष किया… वह सत्य जो पहले हासिल किया जा सकता था लेकिन अज्ञात कारणों से नहीं किया गया… पूर्ण बहुमत वाली सरकारें होने पर भी समान नागरिक संहिता लाने के प्रयास क्यों नहीं किए गए? महिलाएं क्यों नहीं समान अधिकार दिए गए? वोट बैंक को देश से ऊपर क्यों रखा गया? नागरिकों के बीच मतभेद क्यों जारी रहने दिए गए? समुदायों के बीच घाटी क्यों खोदी गई?”
यूसीसी (अधिनियम) में संशोधन किया जा सकता है – सीएम
सीएम ने कहा कि भविष्य में समान नागरिक संहिता विधेयक में विशिष्ट खंड शामिल करने की आवश्यकता होने पर संशोधन किया जा सकता है. सीएम धामी ने कहा, “यदि विशिष्ट खंड को शामिल करने की आवश्यकता हुई तो हम भविष्य में यूसीसी (अधिनियम) में संशोधन कर सकते हैं.”
क्या है समान नागरिक संहिता विधेयक
इस विधेयक में विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, लिव-इन रिलेशनशिप और संबंधित मामलों से संबंधित कानून शामिल हैं. कई प्रस्तावों में, समान नागरिक संहिता विधेयक लिव-इन रिलेशनशिप के लिए कानून के तहत पंजीकृत होना अनिवार्य बनाता है.
एक बार प्रस्तावित यूसीसी विधेयक लागू हो जाने के बाद, “लिव-इन रिलेशनशिप” को “रिश्ते में प्रवेश करने की तारीख” से 1 महीने के भीतर कानून के तहत पंजीकृत होना होगा. लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए वयस्कों को अपने माता-पिता से सहमति लेनी होगी.
बाल विवाह पर रोक और तलाक के लिए एक समान प्रक्रिया
यह विधेयक बाल विवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है और तलाक के लिए एक समान प्रक्रिया शुरू करता है. शादी के एक साल बाद पहले तलाक की कोई याचिका दायर करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
यह संहिता सभी धर्मों की महिलाओं को उनकी पैतृक संपत्ति में समान अधिकार प्रदान करती है. यूसीसी विधेयक के अनुसार, सभी समुदायों में शादी की उम्र महिलाओं के लिए 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 21 वर्ष होगी. सभी धर्मों में विवाह पंजीकरण अनिवार्य है और बिना पंजीकरण के विवाह अमान्य होंगे.
आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा
> यूसीसी लागू होने के बाद पति-पत्नी को तलाक का बराबर हक मिलेगा. यानी सभी धर्मों के लिए तलाक की एक ही नीति होगी.
> सभी धर्मों में शादी के बाद रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा. बिना रजिस्ट्रेशन के शादी अमान्य मानी जाएगी. साथ ही किसी भी प्रकार की सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा.
> शादी के अलावा लिवइन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल को भी रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा. इसके साथ ही माता-पिता को भी रिलेशन के बारे में बताया होगा. पुलिस में भी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य हो जाएगा.
> सभी बच्चों का संपत्ति पर बराबर अधिकार होगा. साथ ही लिवइन रिलेशन में पैदा हुए बच्चों को भी संपत्ति में समान अधिकार होगा.
> बहु विवाद पर रोक रहेगी. यानी कि पति या पत्नी के जीवित होने पर दूसरी शादी नहीं की जा सकती. केवल एक ही शादी मान्य मानी जाएगी.
> संपत्ति में लड़कियों को बराबर का अधिकार मिलेगा. इसके तहत घर हर धर्म के लिए घर की संपत्ति में बेटियों को बराबर का अधिकार होगा.
> हर धर्म में शादी के लिए एक ही कानून होगा. शादी का जो कानून हिंदूओं के लिए है, वही दूसरों के लिए भी होगा. ऐसे में मुस्लिमों को 4 शादियां करने की छूट नहीं मिलेगी.
> यूसीसी लागू होने से किसी धर्म की मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. ना ही रिति-रिवाजों पर कोई असर होगा. गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है. विवाह धार्मिक मान्यताओं, प्रथाओं, प्रथागत संस्कारों और समारोहों के अनुसार किया जा सकता है या अनुबंधित किया जा सकता है.
> यूसीसी कानून के तहत उत्तराखंड के सभी लोगों के लिए शादी, तलाक, संपत्ति, उत्तराधिकार के समान कानून हो जाएंगे. इसमें सभी धर्म के लोगों के लिए समान कानून होंगे.