SC ने अनुच्छेद 370 की रद्दता को रखा बरकरार; कहा राष्ट्रपति को अनुच्छेद 370 को हटाने का अधिकार
नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सोमवार को सर्वसम्मति से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाली संविधान के अनुच्छेद 370 (Article 370 of the Constitution) को रद्द करने के केंद्र सरकार के 2019 के फैसले की वैधता को बरकरार रखा. साथ ही शीर्ष अदालत ने इस अनुच्छेद के “अस्थायी प्रावधान” होने की ओर भी इशारा किया.
कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने चार साल से भी अधिक समय से लंबित मामले पर आज अपना फैसला सुना दिया. फैसला सुनाने वाले जजों में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत शामिल थे.
पांच-न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने कहा कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रपति और संसद के पास 370 पर फैसला लेने का अधिकार है. इस तरह 5 अगस्त 2019 का भारत सरकार का फैसला बना रहेगा. इस फैसले को केंद्र सरकार की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है.
पीठ ने कहा, “इस फैसले को अनुच्छेद 370 को शामिल करने के ऐतिहासिक संदर्भ से समझा जा सकता है तथा संविधान के भाग XXI (Part XXI of the Constitution) में अनुच्छेद 370 को रखने से पता चलता है कि यह एक अस्थायी प्रावधान है.”
शीर्ष अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 370 राज्य में युद्धकालीन परिस्थितियों के कारण लागू किया गया था और इसका उद्देश्य एक संक्रमणकालीन उद्देश्य की पूर्ति करना था.
संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा, “अनुच्छेद 370 दो उद्देश्यों की पूर्ति के लिए लाया गया था. सबसे पहले, संक्रमणकालीन उद्देश्य: राज्य की संविधान सभा के गठन तक एक अंतरिम व्यवस्था प्रदान करना और विलय पत्र में निर्धारित मामलों के अलावा अन्य मामलों पर संघ की विधायी क्षमता पर निर्णय लेना और संविधान की पुष्टि करना; और दूसरा, एक अस्थायी उद्देश्य: राज्य में युद्ध की स्थिति के कारण विशेष परिस्थितियों को देखते हुए एक अंतरिम व्यवस्था.”
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि अनुच्छेद 370 अब “अस्थायी प्रावधान” नहीं है और जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा के विघटन के बाद इसने स्थायित्व प्राप्त कर लिया है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में बहुत सी दलीलें भी रखी गईं थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि आर्टिकल 370 एक “अस्थायी प्रावधान” है, इसे “परमानेंट” प्रावधान नहीं समझा जान चाहिए.
पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने तीन सहमति वाले फैसले सुनाए – एक सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने खुद के लिए और जस्टिस गवई और सूर्यकांत ने। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने दो अलग-अलग सहमति वाले फैसले लिखे हैं.
शीर्ष अदालत ने माना कि जम्मू और कश्मीर राज्य ने भारत संघ में शामिल होने पर संप्रभुता का कोई तत्व बरकरार नहीं रखा.
शीर्ष अदालत ने कहा कि हालांकि रियासत के पूर्व शासक महाराजा हरि सिंह ने एक उद्घोषणा जारी की थी कि वह अपनी संप्रभुता बरकरार रखेंगे, उनके उत्तराधिकारी करण सिंह ने एक और उद्घोषणा जारी की कि भारतीय संविधान राज्य में अन्य सभी कानूनों के ऊपर होगा.
कोर्ट ने कहा है कि आर्टिकल 370 का प्रावधान अस्थायी था और इसे बदला जा सकता था. इसे निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार ने सही प्रक्रिया के तहत निर्णय लिया. जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 और 370 से स्पष्ट है.
जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जल्द चुनाव कराने और केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस ने कहा कि चुनाव को ज्यादा देर तक होल्ड पर नहीं रखा जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने केंद्र सरकार से कहा कि जम्मू कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिया जाए. चीफ जस्टिस ने इसमें देरी नहीं करने कहा है.