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Ranchi HC के जमानत आदेश के बाद बिरसा मुंडा जेल से रिहा हुए हेमंत सोरेन

रांची (The Bihar Now डेस्क)| कथित भूमि घोटाला मामले में जांच का सामना कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha) प्रमुख हेमंत सोरेन (Hemant Soren) को शुक्रवार को झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) के जमानत आदेश के बाद बिरसा मुंडा जेल (Hemant Soren released on bail from Birsa Munda Jail, Ranchi) से रिहा कर दिया गया.

हेमंत सोरेन अपनी पत्नी और पार्टी सदस्यों के साथ शुक्रवार शाम जेल से बाहर निकले. झामुमो नेता की पत्नी कल्पना सोरेन (Kalpana Soren) ने जमानत आदेश के लिए झारखंड उच्च न्यायालय का आभार व्यक्त किया और कहा, “आखिरकार लंबे समय के बाद यह दिन आया है. बहुत-बहुत धन्यवाद.”

झामुमो नेता उस आदिवासी नेता की एक झलक पाने के लिए बिरसा मुंडा जेल के बाहर एकत्र हुए, जिन्हें इस साल जनवरी में कथित भूमि घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग (alleged land scam and money laundering) से संबंधित आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (Directorate of Enforcement) ने गिरफ्तार किया था.

मीडिया से बात करते हुए, जेएमएम नेताओं में से एक ने हेमंत सोरेन का चित्र रखते हुए कहा, “जिस तरह से दादा पर आरोप लगा था, आज माननीय उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें जमानत दिये जाने के बाद उन्हें न्याय मिला है. मैं पूरे झारखंड की तीन करोड़ जनता की ओर से माननीय न्यायालय का हृदय से आभार व्यक्त करना चाहता हूं.”

झामुमो के एक अन्य नेता ने कहा, “आज हम सभी बहुत उत्साहित हैं क्योंकि हमारे नेता जेल से बाहर आए हैं. वह हमारी पार्टी को मजबूत करेंगे और सशक्त बनाएंगे.”

आपको बता दें, हेमंत सोरेन के खिलाफ मामले की जांच आधिकारिक रिकॉर्ड की जालसाजी के माध्यम से कथित तौर पर पर्याप्त आय अर्जित करने से संबंधित है, जिसमें करोड़ों रुपये की जमीन के बड़े पार्सल हासिल करने के लिए नकली विक्रेताओं और खरीदारों को शामिल किया गया है.

इस मामले से संबंधित घटनाओं में, 22 मार्च को एक विशेष पीएमएलए अदालत ने सोरेन की न्यायिक हिरासत 4 अप्रैल तक बढ़ा दी थी. सोरेन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया. एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत सोरेन द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के बाद रांची पुलिस ने ईडी अधिकारियों को जांच में शामिल होने के लिए एक नोटिस भी जारी किया था.

एजेंसी द्वारा सोरेन की एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने के बाद झारखंड उच्च न्यायालय ने पहले ईडी अधिकारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया था. सोरेन ने आरोप लगाया था कि उनके आवासों पर ईडी की तलाशी का उद्देश्य उनकी छवि खराब करना और आदिवासी होने के कारण उन्हें परेशान करना था.

ईडी ने 36 लाख रुपये नकद और जांच से संबंधित दस्तावेज बरामद करने का दावा किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सोरेन ने धोखाधड़ी के माध्यम से 8.5 एकड़ जमीन हासिल की थी. जांच से पता चला कि राजस्व उप-निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद सहित एक सिंडिकेट भ्रष्ट संपत्ति अधिग्रहण में शामिल था.

उधर झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में शामिल होने की सोरेन की याचिका 29 फरवरी को हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी. इसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी के बाद हेमंत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

हेमंत के जमानत पर रिहा होने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee) ने कहा – एक महत्वपूर्ण आदिवासी नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक मामले के कारण इस्तीफा देना पड़ा था, लेकिन आज उन्हें माननीय उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई है! मैं इससे बहुत खुश हूं और मुझे यकीन है कि वह अपनी सार्वजनिक गतिविधियां तुरंत शुरू कर देंगे. हेमन्त, हमारे बीच फिर से आपका स्वागत है!

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