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Justice Yashwant Varma केस में बड़ा ट्विस्ट, Delhi Fire सर्विसेज ने नकदी मिलने को नकारा

नई दिल्ली (The Bihar Now डेस्क)| दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Varma) के खिलाफ लगे आरोपों को लेकर एक बड़ा मोड़ आया है. दिल्ली अग्निशमन विभाग के प्रमुख अतुल गर्ग ने उन खबरों को खारिज कर दिया है, जिनमें दावा किया गया था कि फायर ब्रिगेड की टीम को उनके घर में आग बुझाने के दौरान भारी मात्रा में नकदी मिली थी. इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी स्पष्ट किया है कि न्यायमूर्ति वर्मा का स्थानांतरण इस कथित घटना से जुड़ा नहीं है, लेकिन यह भी पुष्टि की कि उनके खिलाफ आंतरिक जांच शुरू कर दी गई है.

आग लगने और नकदी मिलने की खबरों पर विवाद

पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि होली से एक दिन पहले न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के घर में आग लगी थी. घटना के समय वह शहर से बाहर थे और उनके परिवार के सदस्यों ने फायर ब्रिगेड को सूचना दी. जब दमकल कर्मियों ने आग बुझाकर अंदर प्रवेश किया, तो उन्हें एक कमरे में बड़ी मात्रा में नकदी रखी हुई मिली. इसके बाद, उन्होंने तुरंत पुलिस को जानकारी दी और फिर पुलिस ने शीर्ष कानून प्रवर्तन अधिकारियों को इसकी सूचना दी.

हालांकि, अब दिल्ली फायर सर्विसेज (Delhi Fire Services) के प्रमुख अतुल गर्ग (Atul Garg) ने इन दावों को खारिज कर दिया है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि दमकल कर्मियों को घर में कहीं भी नकदी नहीं मिली. गर्ग ने बताया, “आग बुझाने के तुरंत बाद हमने पुलिस को घटना की सूचना दी. इसके बाद हमारी टीम मौके से रवाना हो गई. हमारे किसी भी फायरफाइटर को कोई नकदी नहीं मिली.”

घटना को ‘संवेदनशील मामला’ बताया गया

अतुल गर्ग ने इस पूरे मामले को संवेदनशील बताया और इस पर ज्यादा टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने बताया कि 14 मार्च की रात 11:35 बजे न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास से उनके स्टाफ के किसी सदस्य ने अग्निशमन विभाग को कॉल किया था. इसके बाद दो दमकल गाड़ियां तुरंत मौके पर भेजी गईं और पाया गया कि स्टोर रूम में रखे स्टेशनरी और घरेलू सामान में आग लगी थी. टीम ने आग पर काबू पा लिया और फिर वापस लौट गई.

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति वर्मा के ट्रांसफर को लेकर दी सफाई

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भी एक आधिकारिक बयान जारी किया. इसमें उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज किया गया, जिनमें दावा किया गया था कि कोलेजियम ने इस घटना के कारण न्यायमूर्ति वर्मा का स्थानांतरण इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad HC) के लिए प्रस्तावित किया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह स्थानांतरण एक नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है, और यह अब तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है.

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस बात की पुष्टि की कि न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच शुरू हो चुकी है.

कोलेजियम की बैठक और न्यायमूर्ति वर्मा पर जांच की प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, “दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीशों में से एक और कोलेजियम के सदस्य न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के स्थानांतरण का प्रस्ताव इलाहाबाद हाईकोर्ट में किया गया है, जहां उनकी वरिष्ठता नौवें स्थान पर होगी. यह प्रस्ताव कोलेजियम ने 20 मार्च 2025 को विचार किया था, और फिर इसके बाद संबंधित न्यायाधीशों, सुप्रीम कोर्ट के सलाहकार न्यायाधीशों और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र भेजे गए. प्राप्त प्रतिक्रियाओं की समीक्षा के बाद कोलेजियम अंतिम निर्णय लेगा.”

इस बीच, दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. उन्हें इस घटना की जानकारी मिलने के बाद ही सबूत और जानकारी एकत्रित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी. यह जांच कोलेजियम की 20 मार्च 2025 को हुई बैठक से पहले ही शुरू कर दी गई थी. मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय अपनी जांच रिपोर्ट आज सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सौंपेंगे.

सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के तहत जांच

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यह जांच 1995 के ‘सी. रविचंद्रन अय्यर बनाम न्यायमूर्ति ए.एम. भट्टाचार्य’ मामले में दिए गए फैसले के अनुसार की जा रही है. यह फैसला न्यायपालिका के भीतर अनुशासन और नैतिकता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल माना जाता है.

अब सभी की निगाहें इस मामले में जांच रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के अगले कदम पर टिकी हैं.