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चुनाव परिणाम के बाद बिखर सकता है इंडी अलायंस का कुनबा !

पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की रिपोर्ट)| पांच राज्यों के चुनाव सम्पन्न हो गए. आज रविवार 3 दिसम्बर को यह स्पष्ट हो जायेगा कि एक्जिट पोल कितने एक्जैक्ट रहे. 4 दिसम्बर को मिजोरम का परिणाम भी आ जायेगा. छोटा राज्य है पर परिणाम महत्वपूर्ण है. पर सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है परिणाम आने के बाद कांग्रेस की स्थिति. जीत मिलने पर उसकी जो भंगिमा सामने आ सकती है वही अपेक्षित सफलता प्राप्त नहीं होने पर बदल जायेगी. जिस तरह से पांच राज्यों के चुनाव में इंडी अलायंस (I.N.D.I. Alliance) कहीं नजर नहीं आया, अलायंस के अन्य दलों की नजर परिणाम पर इसलिए रहेगी क्योंकि कांग्रेस का अलायंस के प्रति रुख साफ होगा. इसलिए चुनाव परिणाम इंडी अलायंस के लिए महत्वपूर्ण हैं.

वैसे, चुनावों में कांग्रेस को अपेक्षित सफलता मिलती है तब वह अलायंस का नेतृत्व करने की स्थिति में खुद को पेश करेगी जिसपर विवाद बढ़ सकता है. दरअसल, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलावा लगभग हर राज्य में (हिमाचल छोड़कर) उसकी स्थिति दोयम दर्जे की है. हर राज्य में वहां के क्षेत्रीय दल का सहयोग उसके लिए जरूरी है. इसलिए अगर चुनाव परिणाम उसके पक्ष में जाते हैं तो लोकसभा चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे पर इंडी अलायंस में कटुता बढे़गी. क्योंकि क्षेत्रीय दलों की आकांक्षा को रोक पाना कांग्रेस के वश का नहीं है. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, जैसे राज्यों ने बहुत पहले कांग्रेस को स्पष्ट कर दिया है कि राज्यों में उसकी स्थिति के मुताबिक ही उसे सीटें दी जायेंगी. ऐसें में विधानसभा चुनावों में जीत की स्थिति में भी कांग्रेस की बढ़त का क्षेत्रीय दल बहुत लोड नहीं लेंगे. दिलचस्प यह है कि अब जाकर कांग्रेस के सामने अपना बोया काटने की स्थिति बनी है.

इंडी अलायंस का बिहार चैप्टर भी खासा दिलचस्प है. यहां कांग्रेस को पता है कि किसी भी सूरत में वह लालू यादव की पिछलग्गू ही बनी रहेगी. लालू अगले लोकसभा चुनाव में 2019 की भरपाई चाहते हैं. इसे लेकर नीतीश कुमार भी दबाव में हैं. इसलिए, जातीय गणना सर्वे के आधार पर आरक्षण को लेकर वह लालू पर बढ़त बनाए हुए नजर आते हैं पर इससे उनको लोकसभा में उतनी सीटें मिल जायेंगी जितनी वह चाहते हैं, इसकी गारंटी नहीं है. इंडी अलायंस का बिहार चैप्टर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा विरोधी इस गुट का स्वरूप यही तैयार हुआ था. अब वही अपने अन्तर्द्वन्द्वों से पार पाने की फिराक में भी है.

कुल मिलाकर विधानसभा चुनाव परिणाम अगर कांग्रेस के अनुकूल आते हैं तब भी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अलायंस में उसकी निर्णायक स्थिति नहीं रहेगी. उसकी जीत की स्थिति में अलायंस उसका नेतृत्व स्वीकार नहीं करेगा और यदि चुनाव परिणाम उसके लिए खराब साबित हुए तो अलायंस में उसकी स्थिति दोयम दर्जे की होकर रह जायेगी.