UPSC द्वारा उम्मीदवारी खत्म करने के बाद पूर्व आईएएस पूजा खेडकर ने उठाया बड़ा कदम उठाया
नई दिल्ली (The Bihar Now डेस्क)| पूर्व आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेडकर (Former IAS trainee Puja Khedkar) ने उनकी उम्मीदवारी रद्द करने के संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) के फैसले को चुनौती देते हुए सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) का रुख किया. मामले को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मेन्शन किया गया और इस पर बुधवार को सुनवाई होनी है.
बता दें, 31 जुलाई को यूपीएससी (UPSC) ने धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपों का सामना कर रही पूजा खेडकर की प्रोविजनल उम्मीदवारी (provisional candidature) रद्द कर दी थी. यह पता चलने के बाद कि पूजा खेडकर ने नियमों का उल्लंघन किया है, यूपीएससी द्वारा उसे सभी आगामी परीक्षाओं और चयनों से भी रोक दिया गया था.
सरकार ने अपने एक बयान में कहा, ”यूपीएससी ने उपलब्ध रिकॉर्ड की सावधानीपूर्वक जांच की है और उन्हें (पूजा खेडकर को) सीएसई-2022 नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन में कार्य करने का दोषी पाया है. सीएसई-2022 के लिए उनकी प्रोविजनल उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है और उन्हें यूपीएससी की सभी भविष्य की परीक्षाओं/चयनों से स्थायी रूप से वंचित कर दिया गया है.”
सिविल सेवा परीक्षा-2022 (CSE-2022) के लिए प्रोविजनल रूप से अनुशंसित उम्मीदवार खेडकर को परीक्षा नियमों में निर्दिष्ट स्वीकार्य सीमा (allowable limit specified) से अधिक प्रयास करने के लिए गलत पहचान का उपयोग करने के लिए 18 जुलाई को यूपीएससी से कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) प्राप्त हुआ था.
उन्हें 25 जुलाई तक एससीएन (SCN) पर अपना जवाब भेजने का निर्देश दिया गया था. उन्हें दस्तावेज़ जमा करने के लिए 30 जुलाई तक का समय दिया गया था, जिसे करने में उन्होंने उपेक्षा की. इसके बजाय, उन्होंने शो कॉज़ नोटिस पर अपनी उत्तर के लिए सहायक दस्तावेज इकट्ठा करने के लिए 4 अगस्त तक का समय मांगा.
संघ लोक सेवा आयोग के अनुसार, 2009 और 2023 के बीच अनुशंसित (recommended) 15,000 से अधिक उम्मीदवारों से संबंधित 15 वर्षों के सीएसई डेटा (CSE data) की जांच की और कोई अतिरिक्त विसंगति नहीं पाई. इस महीने की शुरुआत में खेडकर को अपने पद का दुरुपयोग करने के आरोपों के कारण पुणे से वाशिम स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसके बाद वह विवाद का केंद्र बन गईं. विले पूजा खेडकर की योग्यता पर संदेह जताने वाले सोशल मीडिया पोस्ट के बाद, उनके जाली विकलांगता प्रमाण पत्र प्राप्त करने के संबंध में अतिरिक्त जानकारी सामने आई, जिससे उनके आसपास का विवाद और बढ़ गया.
उन पर उन लाभों और सुविधाओं का अनुरोध करके पुणे में अपने अधिकार और विशेषाधिकार की स्थिति का दुरुपयोग करने का आरोप है, जिनकी वह कानूनी रूप से हकदार नहीं थीं. उन पर यूपीएससी के ओबीसी और नॉन-क्रीमी लेयर कोटा का उपयोग करने का भी आरोप है.
उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के जवाब में उनकी परिवीक्षा अवधि (probationary period) निलंबित कर दी गई थी और बाद में उन्हें मसूरी, उत्तराखंड में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में वापस बुला लिया गया था. यूपीएससी की शिकायत के बाद, खेडकर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 464 (काल्पनिक व्यक्ति के नाम पर दस्तावेज़ बनाना), 465 (जालसाजी), और 471 (जाली दस्तावेज़ को असली के रूप में पेश करना) के तहत आरोप लगाया गया है. साथ ही विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम की धारा 89 और 91 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66डी का भी आरोप लगाया गया है.